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अमेठी की ये महिलाएं कर रही कमाल, खुद के दम पर चला रही बिजनेस और कमा रही हजारों, जानिए कैसे

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अमेठी की नीति राव ने लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के जरिए महिलाओं को रोजगार से जोड़ा. 31 जड़ी बूटियों से हवन सामग्री बनाकर महिलाएं 15-20 हजार रुपए महीना कमा रही हैं.

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हवन

हवन सामग्री तैयार करती महिलाएं.

हाइलाइट्स

  • अमेठी की महिलाएं लक्ष्मी समूह से आत्मनिर्भर बन रही हैं.
  • हवन सामग्री बेचकर महिलाएं 15-20 हजार रुपए महीना कमा रही हैं.
  • नीता राव ने 31 जड़ी-बूटियों से हवन सामग्री बनाने की शुरुआत की.

अमेठी: “पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों में उड़ान होती है, मंजिलें उन्हें ही मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है.”
अमेठी की कुछ महिलाएं इस कहावत को सच कर दिखा रही हैं. कभी रोजगार की कमी से जूझने वाली ये महिलाएं आज आत्मनिर्भर बनकर न केवल अपनी पहचान बना रही हैं, बल्कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर रही हैं. स्वयं सहायता समूह के जरिए वे घर की दहलीज लांघकर रोजगार के क्षेत्र में कदम रख चुकी हैं और अपने बेहतर भविष्य की राह तैयार कर रही हैं.

महिलाओं के सपनों को मिल रही उड़ान
हम बात कर रहे हैं लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी नीता राव की, जो गांव की बेरोजगार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही हैं. नीता राव 31 जड़ी-बूटियों से हवन सामग्री तैयार करती हैं, जिसे विभिन्न पैकेट्स में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जाता है. इसके साथ ही, समूह की अन्य महिलाएं समूह सखी के रूप में भी काम कर रही हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय का लाभ मिल रहा है.
आज, इन महिलाओं को किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि वे खुद रोजगार का साधन बन गई हैं.

हवन सामग्री से हर महीने हजारों की कमाई
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं 100 ग्राम से 1 किलो तक के हवन सामग्री पैकेट तैयार करती हैं, जिनकी बिक्री से वे अच्छी कमाई कर रही हैं. इस हवन सामग्री की कीमत 25 रुपये से लेकर 150 रुपये तक होती है, जिससे वे हर महीने 15,000 से 20,000 रुपए तक की बचत कर पा रही हैं.

संघर्ष से सफलता तक का सफर
समूह की अध्यक्ष नीता राव बताती हैं कि जब उन्होंने इस काम की शुरुआत की, तो कई तरह की मुश्किलें आईं. गांव के लोगों ने उनका मजाक उड़ाया और कहा कि यह काम सफल नहीं होगा. लेकिन धीरे-धीरे मेहनत रंग लाई और उनका कारोबार बढ़ने लगा.
आज, वे स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं. अब न सिर्फ वे, बल्कि उनके साथ जुड़ी सभी महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं.

स्वयं सहायता समूह से बदल रही महिलाओं की जिंदगी
इस पहल से न केवल इन महिलाओं का भविष्य उज्जवल हो रहा है, बल्कि वे अपने परिवार के लिए भी एक मजबूत आर्थिक सहारा बन गई हैं. स्वयं सहायता समूह से जुड़कर वे अपने दम पर आगे बढ़ रही हैं और यह साबित कर रही हैं कि अगर हौसले बुलंद हों, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है.

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