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चरपाई पर लिटाकर अस्पताल ले जाते परिजन
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
हम बात कर रहे हैं छतरपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य गांव हिरदेपुर की, जहां विकास आज भी अछूता है। वैसे तो बड़ी बात यह है कि यह वह गांव है जो हीरा भंडारण क्षेत्र में आता है। पर शायद सरकार इस गांव से वादा करके भूल गई है। जब देश में सबसे अच्छे हीरा भंडारण की बात हुई तो इसके आसपास आने वाले 16 गांव चर्चा में आए, जिनमें से एक हिरदेपुर भी था, पर हीरा भंडारण वाले ग्राम से सरकार ने वादा किया कि यहां सड़क समेत सभी मूलभूत सुविधाएं बेहतर मिलेंगी, लेकिन हीरा निकालने पर जैसे ही रोक लगी सरकार अपना वादा भी भूल गई।
यह है ताजा मामला
मामला बीते शुक्रवार का है। जहां गांव की जंगी बारेला (उम्र 40 साल) को अचानक सीने में दर्द होने लगा और पहुंच मार्ग न होने के कारण ग्रामीणों चारपाई पर लिटाया और 1 किलोमीटर तक का सफर कंधों पर चारपाई को लेकर तय किया, जिसके बाद फिर वाहन से बकस्वाहा स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे और प्राथमिक उपचार किया गया। पर मरीज की हालत गंभीर होने पर डॉक्टर शिवांश असाटी ने उसे जिला अस्पताल रेफर करने को कहा, पर बदकिस्मती ने अभी भी साथ न छोड़ा और सिस्टम की मार झेल रही आदिवासी महिला को यहां भी एंबुलेस न मिली। बीमार महिला के पुत्र प्रताप बारेला बताते हैं कि हमारे द्वारा कई बार एंबुलेस को कॉल किया गया, पर हर बार जवाब मिला कीि एंबुलेस को आने में दो घण्टे लग जाएंगे। जिसके बाद आदिवासी परिवार ने प्राईवेट गाड़ी की और जिला अस्पताल ले गए। परिजनों ने कहा कि उनको ऑक्सीजन की जररूत थी पर वो एंबुलेस से ही संभव थी।
अस्पताल में क्यों नहीं मिल पाती एंबुलेंस सुविधा
बकस्वाहा में ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि एंबुलेंस समय से नहीं मिल पाती। इसका कारण यह है कि बकस्वाहा के लिए सिर्फ एक एंबुलेस लगी हुई है, जबकि क्षेत्र बहुत बड़ा है। साथ ही एंबुलेस का नियंत्रण अस्पताल के पास नहीं रहता, सीधा भोपाल से कंट्रोल रहता है। जिस कारण अस्पताल प्रवंधन हस्तक्षेप नहीं कर पता और एंबुलेस व्यस्था पटरी से उतरती जा रही है।
डॉक्टर क्या बोले
BMO डॉक्टर सत्यम असाटी कहते हैं कि मामला बहुत गंभीर है। मरीज को एंबुलेस नहीं मिली, जबकि ड्यूटी डॉक्टर के द्वारा और परिजनों के द्वारा एंबुलेस को कॉल किया गया था। फिर भी उपलब्ध नहीं हो सकी, इस मामले को संज्ञान में लेकर मैं नोटिस भेजूंगा और उच्च अधिकारियों को अवगत कराऊंगा।
यह है भौगोलिक और वस्तुस्थिति
ग्राम पंचायत वीरमपुरा में कुल सात गांव हैं जिनमें वीरमपुरा, तिलई, कसेरा, जगारा, हिरदेपूर, हरदुआ, और डुगासरा + पठा शामिल हैं। जिनकी कुल आबादी 3107 है। इनमें से हिरदेपुर, हरदुआ और डुगासरा + पठा पूरी तरह से आदिवासी गांव हैं। हिरदेपुर की आबादी 213 है, जिसमें 102 महिलाएं और 111 पुरुष शामिल हैं। हिरदेपुर गांव की सड़क की स्थिति बेहद खराब है। तिलई गांव से हिरदेपुर तक की लगभग तीन किलोमीटर लंबी सड़क में से डेढ़ किलोमीटर हिस्सा पूरी तरह से खस्ताहाल हो चुका है। बरसात के दौरान यह सड़क दलदल में बदल जाती है, जिससे ग्रामीणों को अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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