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Chaitra Navratri starts from today | चैत्र की नवरात्र आज से प्रारम्भ: हरसिद्धि मंदिर में घट स्थापना के बाद दर्शन,आज दो बार जलेगी दीपमालिका – Ujjain News

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देश भर के माता मंदिरों में रविवार से चैत्र के नवरात्र की धूम रहेगी। उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर में भी बड़ी संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए सुबह से पहुंचने लगे है। 51 शक्तिपीठों में शामिल उज्जैन के रूद्र सागर स्थित हर सिद्धि माता का मंदिर शिव और शक्

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सुबह 6 बजे घट स्थापना

मान्यता है कि नवरात्र के दौरान हरसिद्धि में हर सिद्धि पूर्ण होती है। राजा विक्रमादित्य यहां सिद्धि किया करते थे। शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर्व पर तड़के तीन बजे पट खुलने के बाद माता हरसिद्धि का अभिषेक श्रृंगार किया गया। सुबह 6 बजे घट स्थापना की गई। हरसिद्धि के पुजारी लाला गिरी ने बताया पूजन अभिषेक के बाद मंगल आरती की गई माता जी की घट स्थापना हुई , अजा के दिन से नए युग का निर्माण मन जाता है। इसलिए इसे नव वर्ष की तरह भी मनाया जाता है। यहाँ भगवती शक्ति स्वरूप में विराजित है , मंदिर में दो दीप स्तंभ की बुकिंग आगामी सात दिनों के लिए फूल हो चुकी है। ख़ास बात ये कि नवरात्र के पहले दिन दोपहर में जलेंगे दीपमाला।

नवरात्रि में भगवती के रजत मुखौटे के दर्शन-

मंदिर में प्रतिदिन सुबह 7 बजे माता की मंगला आरती और शाम को 7 बजे संध्या आरती होगी। देवी की प्रसन्नता के लिए नवचंडी पाठ किए जाएंगे। अनुष्ठान का समापन राम नवमी तिथि पर होगा। नवरात्रि में सबसे ज्यादा श्रद्धालु शक्तिपीठ हरसिद्धि माता के दरबार में पहुंचते है। श्री हरसिद्धि माता मंदिर के पुजारी लाला गिरी ने बताया कि नवरात्रि पर्व पर माता के दर्शन का विशेष महत्व रहता है। शक्तिपीठ पर सभी राज्यों से श्रद्धालु दर्शन और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए आते है। नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि में माता भगवती के आकर्षक श्रृंगार होगेंं। नवरात्रि में भगवती के रजत मुखौटे के दर्शन होगें। घट स्थापना के साथ ही नित्य नवचंडी पाठ हवन होगा। नवरात्रि में महत्व रात्रि का विशेष रहता है। सतत भगवती की आराधना की जाती है।

ये शक्तिपीठ बनने की मान्यता –

शास्त्रों के अनुसार माता सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया था। इसमें सभी देवी-देवता को आमंत्रित किया गया था, लेकिन भगवान शिव को नहीं बुलाया गया। यहां पहुंचने पर माता सती को ये बात पता चली। माता सती को शिव का अपमान सहन नहीं हुआ। उन्होंने खुद को यज्ञ की अग्नि के हवाले कर दिया।भगवान शिव को ये पता चला, तो वे क्रोधित हो गए। वे सती का मृत शरीर उठाकर पृथ्वी का चक्कर लगाने लगे। शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर माता सती के अंग के 51 टुकड़े कर दिए। माना जाता है कि जहां-जहां माता सती के शरीर के टुकड़े गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। उज्जैन में इस स्थान पर सती माता की कोहनी गिरी थी। इस मंदिर का नाम हरसिद्धि रखा गया।

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