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छत्तीसगढ़ की महिलाएं रच रहीं इतिहास, फूड प्रोडक्ट से कर रही तगड़ी कमाई, जानें इनकी सक्सेस जर्नी

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Chhattisgarh Women Success Story: कर्वधा जिले के बबई गांव में जगदम्बा महिला स्वसहायता समूह से जुड़कर महिलाएं कई तरह के उत्पाद तैयार कर रही हैं. इनमें स्वादिष्ट आचार, नमकीन मिक्सचर सहित छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यं…और पढ़ें

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महिला समूह बबई, कवर्धा

हाइलाइट्स

  • महिलाएं बनाती हैं स्वादिष्ट आचार, नमकीन और पारंपरिक व्यंजन.
  • केमिकल-फ्री और शुगर-फ्री गुड़ की छत्तीसगढ़ में अधिक मांग.
  • मेलों और प्रदर्शनियों में उत्पादों की अच्छी बिक्री होती है.

रायपुर. छत्तीसगढ़ की महिलाएं संघर्ष से सफलता की नई आयाम रच रही हैं. कवर्धा जिले के बबई गांव की महिलाएं आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं. यहां की महिलाओं ने संगठित होकर न केवल खुद को सशक्त बनाया, बल्कि अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत की है. ‘जगदम्बा महिला स्वसहायता समूह’ की अध्यक्ष किरण चौबे बताती हैं कि समूह की शुरुआत 24 दिसंबर 2003 को हुई थी. शुरुआत में 14 महिलाएं जुड़ीं, जो केवल धन संचय करती थीं. इन महिलाओं के एकत्रित प्रयास ने सफलता के राह को प्रशस्त किया और सभी मिलकर अच्छी कमाई भी कर रहे हैं.

महिलाएं सामुहिक रूप से बनाती हैं फूड प्रोडक्ट

किरण चौबे ने बताया कि इन महिलाओं ने  धीरे-धीरे उन्होंने व्यवसाय की ओर कदम बढ़ाया और गांव में राशन दुकान चलाई. इसके बाद महिलाओं को रेडी-टू-ईट भोजन बनाने का अवसर मिला. समूह की महिलाएं आज कई तरह के उत्पाद तैयार कर रही हैं. इनमें स्वादिष्ट आम का आचार, नमकीन मिक्सचर, और छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन बड़ी और बिजौरी शामिल हैं. इसके अलावा, वे केमिकल-फ्री और शुगर-फ्री गुड़ बनाती हैं, जो पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है. इस गुड़ की कीमत 60 रुपए प्रति किलो है, जबकि आम का अचार 400 रुपए प्रति किलो और नमकीन 260 रुपए प्रति किलो में बिकता है. महिलाएं इसके अलावा भी कई फूड प्रोडक्ट बना रही हैं और इनका व्यवसाय भी बेहतर तरीके से चल रहा है.

मेलों और प्रदर्शनियों में होती है अधिक डिमांड

महिलाओं के द्वारा तैयार उत्पाद की सबसे अधिक डिमांड मेलों और प्रदर्शनियों में होती है, जहां इनकी अच्छी बिक्री होती है. इससे मिलने वाली आय को महिलाएं आपस में बांट लेती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है. छत्तीसगढ़ के बबई गांव की ये महिलाएं पूरे प्रदेश की महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं. उनके संघर्ष और मेहनत ने साबित कर दिया कि अगर महिलाएं संगठित होकर काम करें, तो वे आत्मनिर्भर बन सकती हैं और समाज में अपनी मजबूत पहचान बना सकती हैं.

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संगठित होकर महिलाएं रच रहीं इतिहास, आचार और देसी गुड़ की है जबरदस्त डिमांड

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