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Success Story: शासन प्रसासन ने दिखाया ठेंगा, तो बुजुर्ग महिला ने यह काम शुरू कर बदल दी खुद की तकदीर!

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Raebareli News: यूपी के रायबरेली की महिला भगवंता सोनकर को सरकारी की एक भी योजना का लाभ अब तक नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि वह सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा लगाकर ऊब चुकी हैं. सरकारी कार्यालयों में उनकी सुनने…और पढ़ें

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मूंगफली के ठेला लगाए भगवन्ता सोनकर 

रायबरेली: महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित कर रही हैं, जिससे लाभान्वित होकर वह स्वरोजगार के जरिए सशक्त बनने के साथ ही आत्मनिर्भर भी बन रही हैं. ऐसे में यूपी के रायबरेली जिले की एक ऐसी भी शख्सियत हैं. जिन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी भी योजना का लाभ अब तक नहीं मिल सका है. फिर भी वह स्वरोजगार के जरिए अपनी तकदीर बदल रही हैं.

ठेला लगाकर परिवार का कर रही पालन-पोषण

रायबरेली की इस महिला की कहानी दूसरी महिलाओं के लिए बड़ी ही प्रेरणादायक है. क्योंकि वह बिना किसी सहारे के ही अपना स्वरोजगार करके खुशहाल जीवन यापन कर रही हैं. आज हम बात कर रहे हैं रायबरेली जिले की रहने वाली भगवंता सोनकर की. वह बीते 40 सालों से शहर के बस स्टैंड के पास अपना ठेला लगाकर मूंगफली बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करने के साथ ही अपनी तकदीर बदल रही हैं. उन्होंने बताया कि मूंगफली के सीजन में मूंगफली तो खीरा, ककड़ी के सीजन में खीरा ककड़ी बेचकर वह अपने परिवार का पालन पोषण करती हैं.

नहीं मिला सरकारी योजना का लाभ

भगवंता सोनकर ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि देश को आजाद हुए लगभग 7 दशक से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन उन्हें और उनके परिवार को आज तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है. वह और उनका परिवार बस स्टैंड के आसपास ठेले लगाकर जीवन यापन कर रहा है. आगे की जानकारी देते हुए बताती हैं कि सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी काटने पड़ते हैं फिर भी लाभ नहीं मिलता है.

सरकारी दफ्तरों में कोई नहीं है सुनने वाला

वह कई बार सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकारी दफ्तरों में गई, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी. सरकारी कार्यालयों में कोई सुनने वाला नहीं है. फिर भी उन्होंने बिना निराश हुए स्वरोजगार की राह चुनी. आज वह अपने परिवार का मूंगफली बेचकर पालन पोषण कर रही हैं. साथ ही सीजन के हिसाब से खीरा भी बेचती हैं.

भगवंता सोनकर बताती हैं कि वह ठेला लगाकर दिनभर में लगभग 800 से 900 रुपए तक की कमाई कर लेती हैं, जिससे उनके परिवार का खर्च आसानी से चल जाता है. साथ ही किसी के सामने हाथ भी नहीं फैलाना पड़ता है. सरकारी योजनओं का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है.

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सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाकर थकी बुजुर्ग महिला, फिर बेचने लगी…


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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