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Sahara land scam complainant’s statement recorded | सहारा जमीन घोटाला:शिकायतकर्ता के बयान दर्ज: संजय पाठक की कंपनी के अधिकारी नहीं आए; ₹1000 करोड़ की जमीन ₹98 करोड़ में बेचने का आरोप – Bhopal News

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सहारा जमीन घोटाले में शुक्रवार की शाम को शिकायतकर्ता आशुतोष मनु दीक्षित ने EOW कार्यालय भोपाल में बयान दर्ज कराए। उन्हें EOW का नोटिस पिछले दिनों मिला था। इस नोटिस में बयान दर्ज कराने के लिए उन्हें शुक्रवार की शाम 4 बजे भोपाल कार्यालय बुलाया गया था।

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मेरे साथ संजय पाठक और उनकी कंपनी के पदाधिकारी को भी नोटिस भेजा गया था। लेकिन नोटिस मिलने के बाद भी वह लोग ईओडब्ल्यू कार्यालय नहीं पहुंचे। भोपाल, जबलपुर और कटनी में सहारा की जमीन को मिट्टी के मोल बेच दिया गया।

सहारा की जमीन को बेचने के बाद भी सहारा में निवेश करने वालों को पैसा नहीं मिला। संजय पाठक की कंपनी के डायरेक्टर और सहारा ग्रुप और सहारा ग्रुप के डायरेक्टर को पूरे मामले में नोटिस जारी किया गया था, लेकिन वह ईओडब्ल्यू के कार्यालय अपने बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि, संजय पाठक और उनकी कंपनी के पदाधिकारी को भी नोटिस भेजा गया था। लेकिन नोटिस मिलने के बाद भी वह लोग ईओडब्ल्यू कार्यालय नहीं पहुंचे।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि, संजय पाठक और उनकी कंपनी के पदाधिकारी को भी नोटिस भेजा गया था। लेकिन नोटिस मिलने के बाद भी वह लोग ईओडब्ल्यू कार्यालय नहीं पहुंचे।

EOW ने 9 लोगों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किए हैं

बता दें कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने इन कंपनियों द्वारा सहारा ग्रुप की जमीन खरीदने की पड़ताल पीई दर्ज करके 25 दिन पहले जांच शुरू की थी। मामले में EOW ने क्रेता और विक्रेता पक्ष के नौ लोगों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किए हैं।

इसमें मुंबई के तपस कुमार और सीहोरा जबलपुर के रहने वाले अमित मिश्रा भी शामिल हैं। आरोपियों को खरीद फरोख्त की बैंकिंग दस्तावेज सहित अन्य डॉक्यूमेंट्स के साथ ईओडब्ल्यू कार्यालय भोपाल में 5 फरवरी को दोपहर 1 बजे तक हाजिर होने की बात नोटिस में लिखी गई है।

भोपाल, जबलपुर और कटनी में सहारा की 310 एकड़ जमीन को कौड़ियों के भाव में खरीदने के आरोप संजय पाठक के रिश्तेदारों पर है। फिलहाल जमीनों का बाजार मूल्य करीब 1000 करोड़ रुपए है। जबकि जमीनों का सौदा नियमों की अनदेखी कर 98 करोड़ में कर दिया गया।

सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा की जानी थी रकम

सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग कॉर्पोरेशन इन्वेस्टमेंट ग्रुप द्वारा कई शहरों में निवेशकों से धन जुटाकर सहारा सिटी बनाने के उद्देश्य से जमीनें खरीदी गई थीं। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट और (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) SEBI द्वारा सहारा समूह को निवेशकों की राशि लौटाने के लिए कम्पनी की प्रॉपर्टी बेचने की अनुमति दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जमीन के सौदे की सीमा अधिकतम 90 प्रतिशत या उससे ज्यादा तक तय की गई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रॉपर्टी बेचने की अनुमति इस शर्त पर दी गई थी कि, पैसे खरीदार द्वारा सीधे मुंबई में बैंक ऑफ इंडिया के सेबी-सहारा रिफंड खाता नंबर 012210110003740 में जमा किए जाएंगे।

सहारा ग्रुप ने शैल कंपनियों में जमा कराए रुपए

ईओडब्ल्यू के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार भोपाल स्थित जमीन बेचकर सेबी-सहारा रिफंड खाते में रुपए जमा कराने के नियम का भी उल्लंघन किया गया है। सहारा ग्रुप ने ये रुपए सहारा इंडिया रियल एस्टेट लिमिटेड, सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कार्पोरेशन और निजी शैल कम्पनियों के खातों में जमा कराए। एजेंसी ने आशुतोष दीक्षित मनु की शिकायत पर इसी मामले की जांच शुरू की है।

ईओडब्ल्यू दस्तावेजी सबूत जुटाने के लिए मेसर्स सिनाम रियल एस्टेट प्रा.लि. और जबलपुर की मेसर्स नायसा देवबिल्ड प्रा.लि. के संचालकों से सवाल-जवाब करेगी। सहारा इंडिया रियल स्टेट कॉर्पोरेशन, सहारा हाउसिंग कॉर्पोरेशन इन्वेस्टमेंट समूह के अधिकारी, कर्मचारी और संबंधित राजस्व अधिकारियों के खिलाफ पीई दर्ज की गई है।

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