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Minister, please pay attention- the future of children is in the dark | जबलपुर के स्कूलों में लगती है कॉलेज की क्लास: संभाग में डेढ़ साल पहले खुले थे 9 नए कॉलेज; कहीं टीचर नहीं, कहीं एक ही दाखिला – Jabalpur News

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नए कॉलेजों में से कुछ में छात्र पढ़ने नहीं आते हैं तो कुछ में शिक्षकों की कमी है।

स्कूलों में कॉलेज की क्लास लगती है। आर्ट के स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए साइंस टीचर की नियुक्ति की गई। एक कॉलेज तो ऐसा है जहां एक स्टूडेंट का एडमिशन है और उसे पढ़ाने के लिए एक शिक्षक पदस्थ है। ये सब चौंकाने वाली बातें जबलपुर संभाग के कॉलेजों की है।

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जुलाई 2023 में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए 9 नए कॉलेज खोले गए थे। डेढ़ साल बीत चुके हैं। अब भी ये नए कॉलेज बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी से जूझ रहे हैं। जहां छात्र हैं वहां व्यवस्था नहीं है। जहां शिक्षक हैं, वहां बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के चलते छात्र पढ़ने ही नहीं आते हैं।

दीवारों पर कॉलेज का नाम तो लिखा है, पर यहां पढ़ाई नहीं होती। कुछ बच्चों ने कॉलेज में एडमिशन तो ले लिया लेकिन जब देखा कि पढ़ाई नहीं हो रही है तो वे दूसरे कॉलेजों में शिफ्ट हो गए। आनन-फानन से शुरू किए गए इन कॉलेजों की दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। जिसमें कई खामियां मिली। पढ़िए यह रिपोर्ट…

2023 में खुले थे महाविद्यालय जबलपुर संभाग में 10 जुलाई 2023 को नरसिंहपुर के सालीचौका, बालाघाट के हट्टा, कटनी के रीठी, डिंडौरी, मंडला के नारायणगंज और जबलपुर जिले के शहपुरा, गढ़ा, बघराजी और चरगवां में शासकीय कॉलेज खोले गए थे।

आइए जानते हैं नए कॉलेजों की स्थिति

2 कमरे में संचालित कॉलेज में 10 कर्मचारियों का स्टाफ है।

2 कमरे में संचालित कॉलेज में 10 कर्मचारियों का स्टाफ है।

शासकीय महाविद्यालय गढ़ा: बीए-बीकॉम और बीएससी के 70 छात्र हैं। रेगुलर 40 से 50 छात्रों के आने का दावा है। दैनिक भास्कर की टीम हकीकत जानने पहुंची। दोपहर 3 बजे सभी क्लास खाली थी। सफाई कर्मी कमरे में पोंछा लगाती मिली। 2 कमरे में संचालित कॉलेज में एक रेगुलर प्रोफेसर और 7 गेस्ट फैकल्टी के टीचर हैं। 2 कर्मचारियों को लेखा और सफाई व्यवस्था के लिए रखा है। कॉलेज में एक भी छात्र नहीं मिला।

चरगंवा में सामुदायिक भवन के एक कमरे में कॉलेज शुरू किया गया है।

चरगंवा में सामुदायिक भवन के एक कमरे में कॉलेज शुरू किया गया है।

शासकीय महाविद्यालय चरगंवा- सामुदायिक भवन के एक कमरे में कॉलेज शुरू किया गया है। साइंस के प्रोफेसर मनोज शर्मा को तात्कालिक व्यवस्था के लिए भेजा गया था। वे डेढ़ साल यहां रहे। जबकि महाविद्यालय में सिर्फ आर्ट्स विषय ही है। 2 माह पहले डॉक्टर रश्मि बुनकर आईं हैं। वर्तमान में इस कॉलेज में सिर्फ एक छात्र अध्ययनरत है। यानी कि एक छात्र के लिए एक प्रोफेसर।

बघराजी कॉलेज में 19 स्टूडेंट्स में से सिर्फ 3 या 4 ही पढ़ने आते हैं।

बघराजी कॉलेज में 19 स्टूडेंट्स में से सिर्फ 3 या 4 ही पढ़ने आते हैं।

शासकीय महाविद्यालय बघराजी- जबलपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित है। कहने को तो बीए, बीकॉम और बीएससी में 19 छात्र हैं। लेकिन, पढ़ने सिर्फ 3 या 4 ही आते हैं। एक रेगुलर और एक गेस्ट टीचर के भरोसे चल रहा कॉलेज कब खुलता है, और कब बंद हो जाता है, किसी को नहीं पता। महाविद्यालय के प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार बागरी सिहोरा कॉलेज में पदस्थ है। उच्च शिक्षा विभाग ने उन्हें तात्कालिक व्यवस्था करते हुए डेढ़ साल पहले बघराजी में पोस्टेड किया था।

उत्कृष्ट स्कूल के 3 कमरों में शासकीय महाविद्यालय शहपुरा संचालित हो रहा है।

उत्कृष्ट स्कूल के 3 कमरों में शासकीय महाविद्यालय शहपुरा संचालित हो रहा है।

शासकीय महाविद्यालय शहपुरा- डेढ़ साल में कॉलेज में सिर्फ 5 छात्र ही पढ़ाई के लिए पहुंच पाए हैं। इन छात्रों की पढ़ाई के लिए एक प्रोफेसर और एक अतिथि शिक्षक को रखा है। शासकीय कला महाविद्यालय में 3 छात्र बीए फर्स्ट ईयर में हैं। 2 छात्र बीए सेकेंड ईयर में। अभी यह कॉलेज शासकीय उत्कृष्ट स्कूल की बिल्डिंग में लग रहा है, जहां तीन कमरे स्कूल की तरफ से दिए गए हैं।

सालीचौका कॉलेज में बेसिक सुविधाएं भी नहीं हैं। बीए के छात्रों को पढ़ाने के लिए साइंस टीचर है।

सालीचौका कॉलेज में बेसिक सुविधाएं भी नहीं हैं। बीए के छात्रों को पढ़ाने के लिए साइंस टीचर है।

शासकीय महाविद्यालय सालीचौका- सिर्फ दो छात्र और एक टीचर हैं। शासकीय उच्चतर स्कूल बवाईकला ने 2 कमरे महाविद्यालय को दिए हैं। न पंखा और न ही लाइट। कॉलेज में बीकॉम और बीएससी में एक भी छात्र नहीं है, जबकि बीए में दो छात्र हैं। कॉलेज में पदस्थ की गई प्रोफेसर साइंस की टीचर है।

शासकीय महाविद्यालय हट्टा-शासकीय कन्या शाला हट्टा बालाघाट के कैंपस में संचालित महाविद्यालय के लिए दो कमरे में हैं। इस कॉलेज में रेगुलर छात्रों की संख्या करीब 232 हैं। 150 रेगुलर आते हैं। एक रेगुलर और 10 गेस्ट टीचर इन छात्रों को पढ़ा रहे हैं। कॉलेज के प्रिंसिपल मुकेश बिसेन का कहना है कि स्कूल की तरफ से दो कमरे मिले हैं, इसी में टीचर बैठते हैं और इन्हीं 2 कमरों में बीए, बीकॉम और बीएससी की क्लास लगती है।

रीठी के इस कॉलेज में 200 से अधिक स्टूडेंट्स हैं।

रीठी के इस कॉलेज में 200 से अधिक स्टूडेंट्स हैं।

शासकीय महाविद्यालय रीठी– बीए, बीकॉम और बीएससी के छात्रों के लिए एक रेगुलर और 12 गेस्ट टीचर पदस्थ किए गए हैं। 200 से अधिक छात्र हैं। लेकिन, प्रेक्टिकल के लिए छात्रों को कटनी मुख्यालय आना पड़ता है। हाल ही में शासन स्तर से डेढ़ लाख रुपए मिले थे, जिससे लाइब्रेरी बनाई गई है। टीचर्स की मांग है कि अगर बिल्डिंग और व्यवस्था बेहतर कर दी जाए तो यह कॉलेज संभाग के अच्छे कॉलेजों में से एक होगा।

शासकीय महाविद्यालय नारायणगंज- इस कॉलेज में बीए, बीकॉम और बीएससी में 250 से अधिक छात्र हैं। बीए में 180, बीकॉम में 15 और बीएससी में 68 छात्र-छात्राएं है। 5 कमरों में चल रहे कॉलेज में एक रेगुलर और 10 गेस्ट टीचर हैं। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में खुले इस कॉलेज में छात्रों की संख्या तो अच्छी है, पर व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते टीचर के साथ-साथ छात्र भी परेशान हो रहे हैं।

शासकीय महाविद्यालय डिंडोरी- यह कॉलेज अभी तक शुरू नहीं हुआ है। कॉलेज के लिए छात्र इंतजार कर रहे हैं।

एनएसयूआई करेगी आंदोलन

कॉलेज में छात्रों की कम संख्या और टीचर के ना होने को लेकर एनएसयूआई अब सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में जुट गई है। एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष सचिन रजक का कहना है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जब 2023 में अपनी कुर्सी खिसकती नजर आई तो आनन-फानन में कॉलेज खुलवा दिए गए।

वर्तमान जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया

बरगी विधानसभा के पूर्व विधायक संजय यादव का कहना है कि मुश्किल से अपनी विधानसभा में दो कॉलेज चरगवां और शहपुरा में उच्च शिक्षा मंत्री से स्वीकृत करवाए गए थे, पर वर्तमान के जनप्रतिनिधियों ने उस पर ध्यान नहीं दिया।

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