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International seminar held at Sika College | सिका कॉलेज में हुआ इंटरनेशनल सेमिनार: टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में अपार संभावनाएं – दिनेश बाबूजी – Indore News

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सिका कॉलेज में मंगलवार को इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें दुबई स्थित ओरेकल कंसल्टिंग फॉर ग्लोबल बिजनेस यूनिट्स के दिनेश बाबूजी ने टेक्नोलॉजी कंसल्टेंट व प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की अवधारणा बहुत ही आसान शब्दों में स्टूडेंट्स को समझाई। उन्होंने

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सेमिनार में सवाल पूछती बालिका।

सेमिनार में सवाल पूछती बालिका।

टेक्नोलॉजी कंसल्टेंसी का 20 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले दिनेश बाबूजी ने कहा कि दुनिया भर में हर कंपनी बेहतर प्रदर्शन करने और मुनाफा बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग करना चाहती है। टेक्नोलॉजी कंसल्टेंट कंपनियां इन्हीं कंपनियों की मदद करती हैं। कौन सा बेस्ट सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करना है कैसे करना है और उसमें कोई कमी है तो उसे कैसे दूर करना है, यह टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग कंपनियां ही बताती हैं। कुछ कंपनियां सॉफ्टवेयर बनाती हैं जैसे माइक्रोसॉफ्ट और कुछ कंपनियां अन्य कंपनियों में यह सॉफ्टवेयर लागू करने का काम करती हैं। यही उनके बिजनेस का आधार होता है। टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग कंपनियां बैंकिंग, ऑटोमोबाइल, हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री, हेल्थ समेत सभी क्षेत्रों के लिए काम करती हैं।

सेमिनार में जानकारी देते दिनेश बाबूजी।

सेमिनार में जानकारी देते दिनेश बाबूजी।

बिजनेस मैनेजमेंट में करियर बनाने की चाह रखने वालों के लिए टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग संभावनाओं से भरा क्षेत्र है, यहां पर बिजनेस टेक्नोलॉजी से मिलता है। वहीं प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में किसी काम या उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्लानिंग, एग्जिक्यूशन, मॉनिटरिंग की जाती है। टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट जिन तीन बिंदुओं पर मिलते हैं वे हैं टेक्नोलॉजी, पीपल्स और प्रोसेस। यानी कि इन तीनों को साथ लेकर चलना एक प्रोजेक्ट मैनेजर का काम होता है अर्थात किसी प्रोजेक्ट के लिए क्या प्रोसेस है, वह किन लोगों के लिए उपयोगी है और उसमें कौन सी टेक्नोलॉजी उपयोग की जानी चाहिए। यही काम प्रोजेक्ट मैनेजर का होता है। टेक्नोलॉजी कंसल्टेंट और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में करियर बनाने के लिए स्टूडेंट्स में कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होना चाहिए, उन्हें टेक्नोलॉजी का ज्ञान होना चाहिए इसके साथ ही उन्हें इंडस्ट्री का ज्ञान और नेगोशिएशन करने की क्षमता भी उनमें होना चाहिए। इसके साथ ही ग्राह्यशीलता यानी एडेप्टेबिलिटी का गुण भी इस करियर में मदद करता है। कम्युनिकेशन में उन्होंने खास तौर पर नान वायलेंट कम्युनिकेशन का जिक्र किया जिससे प्रोजेक्ट को पूरा करने में मदद मिलती है।

जानकारी देते दिनेश बाबूजी।

जानकारी देते दिनेश बाबूजी।

सिका कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गुंजन शुक्ला ने कहा कि सिका कॉलेज ने आईआईटी इंदौर समेत कई प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ एमओयू किया है, यहां पर एंटरप्रेन्योरशिप सेल है जिसमें विद्यार्थियों को एंटरप्रेन्योर बनने के लिए प्रेरित किया जाता है इसके साथ ही इंडस्ट्री के साथ स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर प्रतिभा सारस्वत ने आभार माना। इस अवसर मुख्य वक्ता दिनेश बाबूजी और सिका एजुकेशन ट्रस्ट के चेयरमैन पी बाबूजी ने सिका कॉलेज परिसर में पौधारोपण किया। कार्यक्रम में सिका कॉलेज की फैकल्टी उपस्थित रही।

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