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Narasimha Jayanti will be celebrated on 21st May in Ravi Yoga | 21 मई को रवि योग में मनेगी नृसिंह जयंती: शहर के विभिन्न नृसिंह मंदिरों में विशेष पूजन, अनुष्ठान होगें – Ujjain News

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वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार स्वरूप नृसिंह जयंती या प्रकट उत्सव का पर्व काल मनाया जाता है। इस बार नृसिंह जयंती रवि योग में है। ऐसी मान्यता है कि इस पर्व काल में यथाविधि यथाशक्ति धार्मिक मान्यता अनुसार क्रियाविधि स

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नृसिंह चतुर्दंशी पर 21 मई को शहर के विभिन्न नृसिंह मंदिरों में विशेष पूजन, अनुष्ठान के आयोजन होगें। शिप्रा तट स्थित नृसिंह मंदिर के पुजारी अविराज दाणी ने बताया कि चतुर्दशी पर सुबह से ही पूजा अनुष्ठान के साथ भगवान नृसिंह का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। संध्या को आरती के पश्चात प्रसाद वितरित होगा। इसी तरह छोटा सराफा स्थित लक्ष्मी नृसिंह मंदिर में प्रात: भगवान का अभिषेक पूजन, तुलसी अर्चना, दोपहर में आरती एवं प्रसाद वितरण तथा शाम को गोधुलि बेला में नृसिंह भगवान की शोभा यात्रा निकाली जाएगी। यह शोभा यात्रा मंदिर से आरंभ होकर क्षेत्र में भ्रमण कर वापस मंदिर पहुंचेगी।

पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि सामान्यत: नक्षत्र का परिभ्रमण ज्यादा समय का नही होता है, किंतु यदि वह पर्व काल विशेष पर संपूर्ण रात्रि विद्यमान हो या 60 घटी का हो तो नक्षत्र की संज्ञा बदल जाती है और रात्रि में इस नक्षत्र की उपस्थिति नृसिंह पूजन के लिए विशेष मानी गई है। स्वाति नक्षत्र को अवतार तिथि के नक्षत्र के संयुक्त होना विशेष माना जाता है। साथ ही किसी कार्य विशेष को अपने अनुकूल स्थापित करना भी इस नक्षत्र की विशेषता है। इस दृष्टि से इस नक्षत्र की साक्ष्य में नृसिंह भगवान के अलग-अलग उपाय कर आशीर्वाद स्वरुप लाभ लिया जा सकता है।

व्रत करने से होगा संकटों का निराकरण

धर्म शास्त्रीय मान्यता के अनुसार नृसिंह चतुर्दशी के एक दिन पूर्व और चतुर्दशी वाले दिन दो दिन व्रत रखकर भगवान का पूजन अर्चन करने से सभी प्रकार के संकट दुख और शोक व रोग का निराकरण होता है। सायं काल के समय धान्य के ऊपर स्थापना कर कुंभ पर पूर्ण पात्र में स्वर्ण की प्रतिमा रखकर षौडष उपचार पूजन करें अघ्र्य प्रदान करें और यह प्रार्थना करें इस साधुओं की रक्षा के लिए आप विष्णु से उत्पन्न हुए है, मेरे दिए गए अघ्र्य को लक्ष्मी सहित स्वयं ग्रहण करो। यह कहकर के अपनी साधना आरंभ करें और जागरण रख कर प्रात: काल देवता का पूजन कर विसर्जन करें और धेनु व दक्षिणा दान करें।

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