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कुछ ना कहो: खटाई में मेडिकल कालेज और ठगी का शिकार छतरपुर 

(धीरज चतुर्वेदी।।

अंशप्रभात/ छतरपुर।। शासन प्रशासन का छल, अपनों का छल। बस लूटा जा रहा है, तरक्की के नये सोपान गढ़ने वाला छतरपुर जिला। जहाँ का ग्रेनाइट विदेशो में चमक बिखेरता हो, जहाँ की बालू रेत महानगरों के आलिशान भवनो को गढ़ देती हो। वह जिला ठगी का शिकार होता आया है और हो रहा है। छतरपुर जिले को पहचान देने वाले कई सरकारी दफ्तर शासन की योजना में पलायन हो गये। विश्व धरोहर खजुराहो से अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा तक इंदौर शिफ्ट कर गया। जी- 20 सम्मलेन के लिये आज यही खजुराहो याद आ गया है जिसकी अंतराष्ट्रीय पहचान को दरकिनार कर दिया गया। खजुराहो जरूर विश्व की धरोहर है पर उसके भोग और उपभोग का दोहन किया जाता रहा है। जब खजुराहो भी इस्तमाल का साधन बन गया हो तो छतरपुर जिले की अस्मत से खिलवाड़ होना तय है। मूल बात मेडिकल कालेज। जिसका राजनैतिक लिहाज से भरपूर इस्तमाल किया जा रहा है। अंत में सामने आता है ठगी। अब छतरपुर जिले को संभाग बनाने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसा ना हो कि आगामी चुनाव को घोषणा हो जाये जैसे लवकुशनगर को जिला बनाने की पिछले चुनाव समय घोषणा हो गई थी।

कोई संदेह नहीं है कि शासन प्रशासन, राजनैतिक रूप से छतरपुर जिला छला जा रहा है। जबकि सम्पदा से यह जिला अमीर है, लेकिन ठगी का शिकार है।  चीरहरण कर जिले के छोटे बड़े नाले, नदिया अपना वजूद समाप्त कर गये है। शासन के भेजे गये बाहरी प्रशासनिक जिम्मेदार कुछ स्थानीय धन कुबेरो की मदद से दोहन कर निजी स्वार्थ में अपना जमीर गिरवी रख चुके है। इस आढ़ में छतरपुर जिले को लूटा जा रहा है। राजनैतिक लिहाज से दोहन का सबसे बड़ा मामला छतरपुर जिले का मेडिकल कालेज है। पिछले चुनाव समय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसका भूमि पूजन कर दिया। अब यह मेडिकल कालेज अदालत के मामलो में उलझ गया है। कौन है दोषी, तो सीधा कटघरे में प्रशासन के अधिकारी, जिन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री तक से विवादित भूमि का पूजन करा दिया। फिलहाल छतरपुर मेडिकल कालेज का मामला अदालत के अंतिम आदेश में है। इसके पीछे भी शासन और प्रशासन की लापरवाही है। जब मेडिकल कालेज की भूमि विवादित थी तो उस भूमि पर निर्माण कार्य करने का ठेका क्यों दिया गया, क्या इसके पीछे भी कोई आचरण की कहानी छुपी हुई है जो सरकार की नियत को बदनीयत करती है? एक प्रश्न यह भी है कि जब यह जमीन किसी के कब्जे में थी तो शासन प्रशासन ने हाईकोर्ट में केवीयट दायर क्यों नहीं की, जिससे किसी भी कब्ज़ाधारी को स्थगन आदेश देने के पहले उच्च न्यायालय भी सरकार का पक्ष सुनकर अपना आदेश पारित करता। खटाई में मेडिकल कालेज और ठगी का शिकार छतरपुर जिला अब जिले के संभाग बनाने के कुचक्र में फंस जायेगा। ठीक उसी कहानी की तरह कि शिकारी आयेगा, जाल बिछायेगा लेकिन फंसना नहीं फिर भी राजनैतिक घोषणाओ के जाल में ढ़ोल बाजो के फंस जायेंगे। छतरपुर को मिली सौगात के पोस्टर बैनर पट जायँगे पर कुछ समय बाद पता चलेगा कि राजनैतिक रूप से छल करने वाले छल गये और छतरपुर जिले को अंत में फिर मिला कि अच्छे दिन आएंगे। बस कुछ ना कहो.।।

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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