अजब गजब

कभी दूसरों के घरों में धोए बर्तन, लगाते थे झाड़ू-पोछा, फिर भी जारी रखी पढ़ाई, अब बने लोको पायलट

धीरज कुमार/मधेपुरा. पुरानी कहावत है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है. ऐसी ही कुछ कोशिश बिहार के मधेपुरा जिले के मुरहो गांव के रहने वाले विकास ऋषिदेव ने की और उन्हें सफलता भी मिली. गरीबी के कारण वे पांच साल तक दूसरे के घरों में बर्तन धोते और पोछा लगाते थे. लेकिन, अपनी पढ़ाई को रुकने नहीं दिया. पहले उन्हें रेलवे के ‘ग्रुप डी’ में सफलता मिली. फिर कुछ साल बाद बतौर लोको पायलट की परीक्षा पास कर संबलपुर में ज्वाइन किया. इन दिनों वे बिहार के ही सहरसा जिले में पोस्टेड हैं. अपने समाज के युवाओं के लिए वे आज किसी प्रेरणा स्त्रोत से कम नहीं हैं.

विकास ऋषि देव के माता-पिता बहुत गरीब थे. गरीबी के कारण वे अपने बच्चों को अच्छे से नहीं पढ़ा पाए. पर्याप्त इलाज नहीं होने के कारण असमय ही उन दोनों की मौत भी हो गई. बावजूद विकास ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. अभी विकास के परिवार में वह दो भाई और दादी हैं. विकास उसी गांव से ताल्लुक रखते हैं, जहां से मंडल कमीशन के अध्यक्ष बीपी मंडल आते हैं. मुरहो में एक महादलित बस्ती है. वहीं से निकलकर विकास रेलवे में लोको पायलट बने हैं.

लोकल 18 बिहार से बात करते हुए विकास काफी भावुक हो गए. कहने लगे कि उसके गांव मुरहो को पूरा देश जनता है. समाजवाद की राजनीति करने वालों के लिए यह किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है. हर साल राजकीय कार्यक्रम होते हैं. लेकिन गांव की दलित बस्ती में रहने वाले लोगों की हालत आजादी के इतने साल बाद भी नहीं बदली. पैसे के अभाव में लोग अपने बच्चों को पढ़ाने के बजाए दिल्ली-पंजाब में मजदूर का काम करने के लिए भेज देते हैं.

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घरों में लगाते थे झाड़ू-पोछा
विकास बताते हैं कि इलाज के अभाव में उसके माता-पिता साल 2003 में ही चल बसे. लेकिन हमने भी ठान लिया था कि कुछ तो करना ही है. ऐसे हालात से बाहर निकलना है, चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े. उन्होंने बताया कि गांव से 10वीं करने के बाद इंटर की पढ़ाई मधेपुरा से की. खर्च निकालने के लिए वह यहीं के एक उद्योगपति के घर में बर्तन धोने और झाड़ू-पोछा लगाने का भी काम करते थे. इंटर की पढ़ाई के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी में जुटा रहे. फिर 2007 में वह दिन आया. उनका जीवन बदल गया. फिलहाल वे लोको पायलट हैं और बीपीएससी मेंस परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए हैं.

FIRST PUBLISHED : March 17, 2024, 10:19 IST

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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