अचार बेचकर बेटी को बनाया फैशन डिजाइनर, बेटा कर रहा MBA, 10 से 12 लाख की होती है कमाई

रोहतास : संगीता गुप्ता की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो आर्थिक मुश्किलों से जूझ रही हैं और अपने पैरों पर खड़े होने का सपना देखती हैं. उनका जीवन संघर्ष और मेहनत की मिसाल है, जिसने उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का हौसला दिया. शुरुआती दिनों में संगीता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. परिवार के खर्चे चलाने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी के कई प्रयास किए, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. उन्होंने तीन बार टी हाउस में नौकरी के लिए आवेदन किया और लगातार 3-4 साल तक प्रयासरत रहीं. लेकिन जब कहीं भी नौकरी नहीं मिली, तो उन्होंने नौकरी की तलाश छोड़ दी.
मशरूम की खेती से मिली नई राह
एक दिन, जब संगीता गुप्ता एक अखबार पढ़ रही थीं, तो उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, बिक्रमगंज द्वारा मशरूम की खेती के प्रशिक्षण के बारे में जाना. इसे देखकर उन्हें एक नई दिशा मिली और उन्होंने मशरूम की खेती की ट्रेनिंग ली. इसके बाद उन्होंने छोटे स्तर पर मशरूम का उत्पादन शुरू किया. शुरुआती दिनों में उनकी कमाई उतनी नहीं थी कि वह अपने परिवार का खर्च चला सकें, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करती रहीं.
अचार बनाने का सफर कैसे शुरू हुआ?
अपने पति के इलाज के लिए बनारस गईं संगीता गुप्ता के जीवन में एक और मोड़ तब आया, जब उन्होंने वहां एक अचार बनाने के प्रशिक्षण केंद्र का दौरा किया. वहां से उन्हें अचार बनाने का आइडिया मिला. 2012 में मशरूम की खेती शुरू करने के बाद, संगीता ने 2013 में अचार का उत्पादन शुरू किया. शुरुआती दिनों में मुनाफा कम था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. निरंतर मेहनत और लगन के बाद उनके उत्पादों को पहचान मिलने लगी और उन्होंने पटना, खाड़ी देशों और दिल्ली तक अपने अचार के उत्पादों को भेजना शुरू कर दिया.
कई अन्य उत्पाद भी बना रहीं हैं संगीता
संगीता गुप्ता अब केवल अचार बनाने तक सीमित नहीं हैं. वे अचार के साथ-साथ बड़ी, चटनी, पापड़, और अन्य घरेलू सामानों का भी उत्पादन करती हैं, जिन्हें वे बाजार में बेचती हैं. इनके व्यवसायिक प्रयासों से उनकी आय में अच्छा खासा इजाफा हुआ है, जिससे वे अपने बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा दिला रही हैं. उनकी एक बेटी फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर चुकी है, जबकि एक बेटा एमबीए कर रहा है और दूसरा बेटा नौकरी में है.
मेहनत और आत्मनिर्भरता की मिसाल
संगीता गुप्ता का सफर संघर्ष और मेहनत की अनूठी कहानी है. उनके प्रयासों ने न केवल उन्हें आर्थिक स्थिरता दिलाई है, बल्कि उन्हें इस बात का भी यकीन दिलाया कि किसी भी परिस्थिति में हार मानने के बजाय अपनी मेहनत और लगन से आत्मनिर्भर बना जा सकता है. आज वे अपने परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा हैं, जो अपने पैरों पर खड़े होने का सपना देखती हैं.
Tags: Bihar News, Local18
FIRST PUBLISHED : October 13, 2024, 21:47 IST
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