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देशभर में गणेशोत्सव शुरू हो गया है, ऐसे में हम आप को दर्शन करा रहे हैं। प्रदेश की इकलौती अलौकिक और चमत्कारी पाषाण प्रतिमा के जो दक्षिण भारतीय शैली में स्थापित है। यह प्रतिमा बड़वानी शहर की जम्मू गली में 15 फिट जमीन के अंदर स्थित पाताल गणेश मंदिर में स
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रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजे हैं गणेश
यहां चमत्कारी भगवान गणेश अपनी पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं। जानकारों के मुताबिक यह प्राचीन मंदिर 600 से 700 साल पुराना है। कालांतर में बड़वानी का नाम सिद्ध नगर था और यहां के महाराजा ने भगवान शिव, कालिका और गणेश के सिद्ध मंदिरों का निर्माण कराया था। उनके वंशज वर्तमान में इन मंदिरों में समय समय पर दर्शन के लिए आते रहते हैं।
मान्यता है कि यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती है। मंदिर समिति से जुड़े लोगों ने बताया कि मंदिर का निर्माण रियासत कालीन समय में कराया गया था। करीब 50 से 55 साल पहले इसका जीर्णोद्धार कराया गया था रियासतकाल के समय शहर में एकमात्र यह गणेश मंदिर था। यहां राजा रणजीत सिंह का परिवार भी पूजा-अर्चना करने के लिए आता था।
अगस्त्य ऋषि ने की थी स्थापना
शहर के बीचो-बीच स्थित भगवान गणेश मंदिर की मूर्ति की स्थापना पुराणों के अनुसार, अगस्त्य ऋषि द्वारा की गई थी। जो कालांतर में कुएं की खुदाई के दौरान निकली थी। जिसे बड़वानी रियासत के तात्कालीन महाराज ने मंदिर बनवाकर स्थापित करना चाहा, लेकिन मूर्ति जहां पाई गई वहां से हिली तक नहीं और राजा को गणेश जी की स्थापना वहीं करनी पड़ी। इसलिए ये मंदिर करीब 15 फीट नीचे बना हुआ है।
विशेष है प्रतिमा
बात मूर्ति की विशेषता को लेकर करें तो भगवान गणेश की यह अनूठी मूर्ति दक्षिण मुखी है और दक्षिण भारत शैली में निर्मित है, जो दूर से देखने पर काष्ठ की बनाई प्रतिमा लगती है। गणेश जी की बैठक मुद्रा वाली प्रतिमा जिसके गले में सर्प है। वहीं एक हाथ में वैजन्तीमाला और दूसरे हाथ लड्डू दिखाई देते हैं।






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