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Cameras with AI technology will be installed in the city | चेहरा पहचानकर बता देंगे, कहां है बदमाश, अभी 153 लोकेशन पर 781 कैमरे पर कारगर नहीं, सिर्फ नंबर प्लेट ट्रेस करते हैं

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भोपालएक घंटा पहले

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153 लोकेशन पर 781 कैमरे हैं अभी, लेकिन इतने कारगर नहीं, सिर्फ नंबर प्लेट स्कैन करने में माहिर। - Dainik Bhaskar

153 लोकेशन पर 781 कैमरे हैं अभी, लेकिन इतने कारगर नहीं, सिर्फ नंबर प्लेट स्कैन करने में माहिर।

सुनीत सक्सेना राजधानी में बदमाशों को अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक की मदद से पकड़ने की कवायद चल रही है। इसके लिए शहर के मुख्य स्थानों पर एआई पर आधारित कैमरे लगाए जाएंगे। यह कैमरे फेस रिकग्निशन (चेहरा पहचानने) वाले ऐप से जुड़कर काम करेंगे।

शहर में अभी पुलिस के 153 लोकेशन पर 781 सीसीटीवी कैमरे काम कर रहे हैं। जिसमें पीटीजेड, एएनपीआर और फिक्स कैमरे शामिल हैं। इसके अलावा आईटीएमएस के कैमरे भी काम कर रहे हैं। ये कैमरे अभी वाहनों की नंबर प्लेट स्कैन करते हैं। पुलिस इन सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल किसी भी वारदात के बाद कैमरों की चेन बनाकर बदमाशों तक पहुंचने के लिए करती है।

अब आने वाले समय में शहर में लगने वाली सीसीटीवी कैमरे एआई टेक्निक आधारित होंगे जिसमें फेस रिकग्निशन के जरिए अपराधी स्कैन किए जाएंगे। इसके बाद बदमाश पुलिस की नजर से बच नहीं सकेगा। एक कैमरे में तस्वीर कैद होने के बाद वह अन्य कैमरों में भी कैद होता जाएगा। पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा का कहना है कि एआई टेक्निक के सीसीटीवी कैमरों का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। आने वाले समय में एआई टेक्निक के ही कैमरे लगेंगे।

समझिए किस तरह से काम करता है फेस रिकग्निशन सिस्टम
1. जिन स्थानों पर भी सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है वहां की पूरी फीड को यह मेन सर्वर तक पहुंचाता है।
2. फीड मिलने पर सर्वर में पहले से अपलोड तस्वीरों से अपने आप मिलान करता है।
3. जो भी व्यक्ति कैमरे में दिखाई दिया वो रिकॉर्ड के मुताबिक अपराधी है या नहीं, एआई साफ्टवेयर चंद सेकंड में इसकी पहचान कर लेता है
4. अपराधी मॉनिटर पर दिखाई देने लगता है।
5. सीसीटीवी के सामनेआने वाले लोगों की उम्र और लिंग की जानकारी भी सिस्टम बता देता है।
6. अगर पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक वह अपराधी नहीं होता है तब सिग्नल हरा दिखता है।

बड़ा चैलेंज: क्या अंधेरे में चेहरा पहचान पाएंगे कैमरे…
हाल ही में दैनिक भास्कर की टीम ने शहर की स्ट्रीट लाइट की हकीकत जानने के लिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ज्ञानेंद्र सक्सेना के साथ प्रमुख सड़कों पर प्रकाश का स्तर मापा था। तकनीकी तौर पर ल्यूमनस लेवल ऑफ लाइट यानी प्रकाश की चमक को मापने की इकाई लक्स है।

भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तय मापदंडों के अनुसार शहर की प्रमुख सड़कों पर लक्स लेवल 15 होना चाहिए, लेकिन शहर की किसी भी सड़क पर समान रूप से 15 लक्स नहीं मिला। कुछ जगहों पर पोल के ठीक नीचे 15 या इससे अधिक लक्स मिला, लेकिन वह इसलिए बेमानी है क्योंकि दस कदम दूरी पर ही यह घटकर 7 -8 या उससे भी कम रह गया। ऐसी स्थिति में रात में एआई टेक्निक के कैमरे कितने कारगर होंगे यह भी बड़ा चैलेंज होगा।

16 आउटर पर लगेंगे 94 कैमर‌े
जल्द ही शहर के 16 एक्सिट और एंट्री पाइंट पर 94 कैमरे लगाए जा रहे हैं। इन स्थानों पर फिक्स और एनपीएआर (नंबर प्लेट रीड करने वाले) कैमरे लगाए जा रहे हैं। जिसकी लागत करीब 2.50 करोड़ रुपए है। इसका जल्द ही टेंडर होने वाला है।

धार्मिक स्थल, शापिंग माॅल से होगी शुरुआत
शुरुआत एआई के लिए सिस्टम अपग्रेड होगा। एआई सॉफ्टवेयर काम करेगा। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, भीड़भाड़ वाले इलाके, मार्केट, धार्मिक स्थल और शापिंग माॅल में यह सिस्टम शुरूआत में काम करेगा। -बीएम शाक्या, एसपी रेडियो

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