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संतोष जैन मामा.इंदौरएक घंटा पहले
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आध्यात्मिक पर्व भारतीय संस्कृति के असली प्राण हैं। इसके माध्यम से संपूर्ण मानव समाज में सद्भावों का संचार होता है। महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में गुरुवार को राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश ने रक्षाबंधन पर संबोधित करते कहा कि जाति, पंथ, प्रांत, भाषा, गरीब, अमीर की दीवारों को ध्वस्त करके मानवीय एकता के रिश्तों को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि पर्व हमारी अनमोल धरोहर है जो इतिहास के माध्यम से आने वाली पीढ़ी में संस्कारों का बीजारोपण करता है प्रेरणा मिलती है। मुनि कमलेश से कहा कि आडंबर, दिखावा, प्रदर्शन के कारण पर्व का मूल स्वरूप विकृत हो रहा है यह सिद्धांतों को दफनाने के समान है।
राष्ट्र संत ने बताया कि रक्षाबंधन मात्र दो कच्चे धागों का नहीं है, बल्कि इसमें असीम शक्ति, भक्ति और प्रेम का अकूत भंडार भरा हुआ है। जैन संत ने कहा कि इसका मुख्य लक्ष्य परस्पर सेवा सुरक्षा और कर्तव्य का बोध कराता है। तपस्वी अक्षत मुनि जी के 31 अगस्त को 33वां उपवास है। रक्षाबंधन पर राखी को मंत्रों से अभिमंत्रित करके महावीर भवन में भाई-बहन ने राखी बांधी। प्रकाश भटेवर ने संचालन किया। रमेश भंडारी ने आभार माना।

महावीर भवन में उपस्थित समाजजन।
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