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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर
– फोटो : सोशल मीडिया
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रिटायर्ट करने की बजाये दो साल तक काम करवाया। इसके बाद 50 प्रतिशत वेतन की रिकवरी आदेश जारी कर दिये। जिसके खिलाफ पीड़ित कर्मचारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपना पक्ष स्वंय रखा। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने रिकवरी आदेश को निरस्त करते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग पर दस हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है। एकलपीठ ने कॉस्ट की राशि याचिकाकर्ता को प्रदान करने के निर्देश जारी किये हैं।
सीधी निवासी शिवचरित्र तिवारी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह लोक निर्माण विभाग में टाइमकीपर के पद पर कार्यरत था। विभाग की गलती के चलते उसे 2007 की जगह 2009 में सेवानिवृत्त किया गया। इसके बाद में 11 सितंबर 2013 को चीफ इंजीनियर (नेशनल हाइवे जोन) भोपाल ने कर्मचारी को दो वर्ष अतिरिक्त दी गई वेतन से 50 फीसदी कटौती का आदेश जारी कर दिया।
याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि जब याचिकाकर्ता ने दो वर्ष तक काम किया है, तो उससे रिकवरी नहीं की जा सकती। कर्मचारी को समय पर रिटायर नहीं करना विभागीय अधिकारियों की गलती है। एकलपीठ ने रिकवरी आदेश को खारिज करते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग पर दस हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए कहा है कि यह राशि भी दोषी अधिकारियों से वसूल की जानी चाहिए थी। याचिका की सुनवाई के दौरान ने याचिकाकर्ता ने अपना स्वयं अपना पक्ष रखा।
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