Indore News:35 करोड़ रुपये में लौटा राजवाड़ा, गोपाल मंदिर और गांधी हॉल का राजसी वैभव, देखिये तस्वीरें – Gandhi Hall Of Indore Returned In 35 Crores, The Majestic Splendor Of Rajwada, Now Tourism Will Increase

मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर के प्रतीक राजवाड़ा का पुराना वैभव लौट आया है। गांधी हॉल और गोपाल मंदिर को भी नया स्वरूप दिया गया है। 35 करोड़ रुपये खर्च कर न केवल इन ऐतिहासिक इमारतों को मजबूती दी है, बल्कि उनकी सुरंदता में भी चार चांद लगाए गए हैं। अब यह इमारतें शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने में मददगार साबित होंगी। नगर निगम गांधी हाॅल का रखरखाव पीपीपी मोड पर करने की तैयारी में है। राजवाड़ा में भी फिर से लाइट एंड साउंड शो शुरू हो सकता है। नए सिरे से तैयार हुए राजवाड़ा को आकर्षक लाइट से भी सजाया गया है और रात के समय इसकी खूबसूरती अलग ही नजर आ रही है।
सिर्फ राजवाड़े पर हुए 20 करोड़ रुपये खर्च
- दो सौ साल पुराने राजवाड़ा को संवारने में 20 करोड़ रुपये और तीन साल लगे हैं। राजवाड़ा की सात मंजिलों के पिलरों को विशेष तरह के नट-बोल्ट से कसकर मजबूती दी है। ताकि वह अलगे 100 सालों तक मजबूती से खड़ा रह सके।
- राजवाड़ा की नींव को मजबूत करने के लिए जूट, बेलफल, चूना, उड़द दाल, इमली का पानी, पूजा में काम आने वाले गूगल के घोल से मजबूत किया गया, ताकि चूहे नींव के आसपास अपने बिल न बना सकें। यह घोल बारिश के पानी से भी नींव को बचाएगा।
- राजवाड़ा पर विशेष पेंट किया गया है। यह उसे काई और सीलन से बचाएगा। राजवाड़ा का रंग पीला है। राजवाड़ा की पहली मंजिल पर लगे पत्थरों की पॉलिश की गई है।
- सबसे ऊपरी हिस्से की गैलरी तोड़कर नए सिरे से बनाया गया, क्योकि वह काफी पुरानी हो चुकी थी। छत पर समय-समय पर वाॅटर प्रूफिंग के लिए डाले गए मटेरियल को भी निकालकर छत से वजन कम किया गया।
- राजवाड़ा का निर्माण 1833 में चार लाख रुपये की लागत से मल्हारराव होलकर ने करावाया था। दौलतराव सिंधिया के ससुर सरजेराव घाड़गे ने राजवाड़ा में आग लगा दी थी। तब प्रवेश द्वार की सात मंजिलों में से दो मंजिल जल गई थी। 1984 के दंगों में राजवाड़ा के पिछले हिस्से में आग लग गई थी। एक बार पहले भी राजवाड़ा की मरम्मत की गई थी।
गांधी हाॅल की रंगत भी बदली
1904 में बने गांधी हॉल पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दस करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उसके बाहरी हिस्से की मजबूती और पत्थरों की पाॅलिश के अलावा हाॅल की लकड़ी की सिलिंग को भी पुराने अंदाज में बनाया गया है। गांधी हाल के पार्क का निर्माण अब दूसरे चरण में होगा। पहले इसका नाम किंग एहवर्ड हाॅल था। देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद इसका नाम गांधी हाॅल रख दिया गया। होलकरों के शासनकाल में इसका डिजाइन वास्तुकार जेजे स्टीवेंस ने तैयार किया था। इसकी निर्माण शैली राजपूताना रखी गई है। पाटन के पत्थरों से बनी इस इमारत को लोग घंटा घर के नाम से भी जानते हैं, क्योकि गांधी हाॅल की ऊपरी मंजिल पर लगी घड़ी आधा किलोमीटर दूर से ही लोगों को समय बता देती है।
गोपाल मंदिर की उम्र भी बढ़ गई
शहर के प्राचीन गोपाल मंदिर में भी नक्काशीदार लकड़ी, स्टील के वर्क से मजबूती दी गई। इस मंदिर की उम्र भी बढ़ गई। मंदिर के आसपास की दुकानों को भी प्रशासन ने हटा दिया। मंदिर के जीर्णोद्धार में मंदिर की पुरानी नक्काशीदार लकड़ियों का इस्तेमाल भी किया गया है। इसके निर्माण पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
पर्यटन बढ़ेगा इंदौर मेें
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि उज्जैन और ओंकारेश्वर जाने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक इंंदौर भी आते हैं। अब उन्हें राजवाड़ा और गांधी हाॅल भी नए और ऐतिहासिक स्वरूप में देखने को मिलेगा। प्रवासी भारतीय सम्मेलन के समय भी राजवाड़ा की सैर मेहमानों को कराई जाएगी। हेरिटेज वाॅक में राजवाड़ा, गांधी हाॅल और गोपाल मंदिर को शामिल किया जाएगा।