मध्यप्रदेश

Ujjain:गर्भवती महिलाओं के रजिस्ट्रेशन में पिछड़ा, जिलेवार रैंकिंग में 5वें नंबर पर, सरकार की योजनाओं से वंचित – Ujjain Backward In Registration Of Pregnant Women District Wise Ranking At Number Five


सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

उज्जैन जिले में गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन शत-प्रतिशत नहीं है। जिलेवार रैंकिंग में अब उज्जैन का नंबर पांचवें स्थान पर आ चुका है। यह खुलासा गत दिनों कलेक्टर आशीष सिंह की अध्यक्षता में आयोजित जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक के दौरान हुआ, जिसमें कलेक्टर आशीष सिंह ने जिले में मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं की अनमोल पोर्टल की समीक्षा के दौरान अधीनस्थों को कहा कि लक्ष्य के खिलाफ जिले में एएनसी पंजियन की स्थिति काफी गंभीर है और एएनसी रजिस्ट्रेशन की जिलेवार रेंकिंग में उज्जैन जिला पूरे प्रदेश में पांचवे नंबर पर है।

बता दें कि बैठक में कलेक्टर ने एएनसी रजिस्ट्रेशन शत-प्रतिशत किए जाने की बात कही। एएनसी (गर्भवती महिला) रजिस्ट्रेशन की ब्लॉक वाइज समीक्षा के दौरान खाचरौद और तराना में कम प्रतिशत सामने आया, जिस पर कलेक्टर ने अगले सात दिनों के अंदर जिले के सभी ब्लॉक 90 प्रतिशत के ऊपर एएनसी पंजियन करने की बात कही थी। साथ ही इसकी मॉनिटरिंग सेक्टर्स के चिकित्सकों के द्वारा करवाने के निर्देश भी दिए थे।

कलेक्टर ने जताई थी नाराजगी…

कलेक्टर ने कहा कि सभी स्वास्थ्य अधिकारी इसे गंभीरता से लें और नैतिक दायित्व समझते हुए इस पर कार्रवाई करें। एएनसी पंजीयन के खिलाफ चार एएनसी जांच की समीक्षा के दौरान बड़नगर, उज्जैन और महिदपुर में प्रतिशत कम होने पर कलेक्टर ने नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य अधिकारी जिम्मेदारी से काम करें और प्रतिशत को बढ़ाएं।

मॉडरेट एनिमिया के चिन्हांकन और मैनेजमेंट की समीक्षा के दौरान जिले में 87.67 प्रतिशत चिन्हांकन होने पर कलेक्टर ने कहा कि इसमें काफी सुधार हुआ है। लेकिन उज्जैन और खाचरौद को इसमें अभी और परिश्रम करना होगा। जिले में रिपोर्ट की गई प्रसव के खिलाफ डिलीवरी ऑपडेशन की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि शासकीय माधवनगर चिकित्सालय में अभी डिलीवरी प्वॉइंट शुरू नहीं हुआ है। इसका शुरू होना बहुत जरूरी है। कलेक्टर ने कहा कि इसमें इतना अधिक समय नहीं लगना चाहिए।

योजना से मिलता है यह लाभ…

ये योजना केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाई जाती है। इसकी शुरुआत साल 2016 में हुई थी। इस स्कीम के तहत गर्भवती महिलाएं पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान फ्री में जांच करा सकती हैं। इसके अलावा डिलीवरी के दौरान भी महिलाओं को कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। 

5000 रुपये तक का इलाज मुफ्त…

इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को 5000 रुपये का मुफ्त इलाज दिया जाता है। डिलीवरी के समय महिला का ब्लड प्रेशर, ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, हीमोग्लोबिन और अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधाएं फ्री में दी जाती हैं।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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