खाद संकट से जूझ रहे अन्नदाता: सैकड़ों किसान मायूस होकर लौटे

छतरपुर। जिले में खाद संकट से जूझ रहे किसानों को राहत नहीं मिल रही है। बोवनी का समय धीरे-धीरे निकल रहा है। किसान फसलों के लिए खाद लेने रोजाना जिला मुख्यालय के गोदामों पर पहुंच रहे हैं लेकिन इनमें से सैकड़ों किसानों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है। शुक्रवार को भी ऐसा ही हुआ जब सटई रोड पर बनाए गए एक नए खाद वितरण केन्द्र पर वितरण के लिए 694 डीएपी की बोरियां रखी गईं लेकिन खाद लेने के लिए दो हजार से ज्यादा किसान यहां पहुंच गए। सुबह से शाम तक खाद का वितरण होता रहा लेकिन लगभग 1300 किसानों को खाद नहीं मिल सकी और उन्हें वापस लौटना पड़ा। उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग 20 दिन से किसान बोवनी के लिए परेशान है। समय पर खाद नहीं मिलने के कारण या तो उन्हें प्राइवेट दुकानों से महंगे दामों पर खाद खरीदना पड़ रहा है या फिर ब्लैक से खाद का इंतजाम करना पड़ रहा है। बसाटा से आए किसान गोरेलाल यादव ने बताया कि वे सुबह अपनी साईकिल से एक बोरी खाद खरीदने आए थे। सुबह 8 बजे से शाम के 8 बज चुके हैं लेकिन खाद नहंी मिला है। हिम्मतपुरा से आए परमलाल अहिरवार ने बताया कि उन्हें सिर्फ एक बोरी खाद चाहिए लेकिन वह भी नसीब नहीं हो रहा है। ग्राम पुछी से आए भागचन्द्र पटेल ने बताया कि उनके पिता के नाम पर 10 एकड़ जमीन है जिसकी बंदी पर छोटे भाई के द्वारा सिर्फ एक बोरी खाद ली गई है। हमारा बंटवारा हो चुका है अब हमें इस बंदी पर खाद नहीं दी जा रही है। ऐसे सैकड़ों किसान हैं जो खाद न मिलने के कारण परेशान हैं।
चक्काजाम का निदान निकाला, केन्द्र ही बदल डाला
अब तक शहर के पन्ना रोड पर स्थित नागरिक आपूर्ति विभाग के वेयर हाउस से खाद का वितरण किया जा रहा था। पिछले 10 दिन में यहां किसानों को खाद नहीं मिल पाने के कारण हाइवे पर तीन बार चक्काजाम करना पड़ा। हर बार पुलिस और प्रशासन को मौके पर पहुंचकर किसानों पर काबू पाना पड़ता था। प्रशासन ने अब इस समस्या का रास्ता निकालते हुए सटई रोड के भीतरी हिस्से में बने कृषि मण्डी के गोदाम से खाद का वितरण शुरू कराया है। शुक्रवार को यहीं से लगभग 25 टन खाद का वितरण हुआ। सैकड़ों किसान मायूस लौटे लेकिन भीतरी हिस्से में होने के कारण किसानों ने आक्रोशित होकर जाम नहीं लगाया।
48 हजार से ज्यादा किसान डिफाल्टर, इसलिए समितियों से नहीं मिल रहा खाद
जिला मुख्यालय के वेयर हाउस एवं जिले भर में बनाए गए ऐसे डबल लॉक गोदामों से किसान नगद पैसा देकर खाद खरीद रहे हैं। इन गोदामों से नगद में खाद मिलने के कारण यहां भारी भीड़ लग रही है। भीड़ लगने का सबसे बड़ा कारण ये है कि जिले के लगभग 48 हजार किसान कर्जमाफी योजना के योग्य होने के बावजूद दस्तावेजों में आज भी डिफाल्टर बने हुए हैं। नियमों के मुताबिक डिफाल्टर किसानों को समिति से ऋण स्वरूप खाद नहीं दिया जाता एवं समितियों द्वारा नगद पर खाद की बिक्री नहीं होती। अत: हजारों किसानों को डबल लॉक गोदामों के बाहर कतारें लगानी पड़ रही हैं।
रात के अंधेरे में गोदाम से चला कालाबाजारी का खेल

एक तरफ किसान एक-एक बोरी खाद के लिए परेशान हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ व्यवस्था में मौजूद लोग इस आपदा को भी अवसर में तब्दील कर रहे हैं। बीती रात वेयर हाउस पन्ना रोड से ऐसी ही तस्वीरें सामने आयीं। यहां ग्राम कर्री से आए तीन किसान एक साथ गाड़ी में 10 डीएपी की बोरियां लेकर जा रहे थे। इन किसानों के पास एक साथ 10 पर्चियां मौजूद थीं। पूछने पर पता चला कि गोदाम में पदस्थ शानू अली अपने चार बेटों के माध्यम से वेयर हाउस के बाहर एक चाय के डिब्बे पर पर्चियोंं का वितरण कर रहे हैं। किसानों के नाम पर भीतर पर्चियां बनाई जाती हैं और फिर चाय के डिब्बे पर इन्ही पर्चियों को ब्लैक में बेचा जा रहा था। 1200 रूपए की डीएपी की बोरी ब्लैक में 1500 रूपए से लेकर 1800 रूपए तक में बेची गई। जब कैमरे में ये सब कैद हुआ तो 10 पर्चियां लेकर आए लोग गाड़ी से खाद उतारकर फरार हो गए।