‘स्तन पकड़ना, नाड़ा तोड़ना रेप की कोशिश नहीं’… हाईकोर्ट के इस फैसले में ‘गलती’ सुधारेगा सुप्रीम कोर्ट

Last Updated:
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें नाबालिग के साथ रेप की कोशिश को खारिज किया गया था. जस्टिस गवई और जस्टिस मसीह की बेंच सुनवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. (प्रतीकात्मक)
हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया.
- जस्टिस गवई और जस्टिस मसीह की बेंच सुनवाई करेगी.
- हाई कोर्ट ने रेप की कोशिश को खारिज किया था.
नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 17 मार्च को दिए विवादित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच इस मसले पर सुनवाई करेगी. इलाहाबाद कोर्ट ने अपने अपने फैसले में कहा था, ‘पीड़ित के ब्रेस्ट को पकड़ना और पजामे के नाड़े को तोड़ने के आरोप के चलते ही आरोपी के खिलाफ रेप की कोशिश का मामला नहीं बन जाता”
फैसला देने वाले जज जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने 11 साल की लड़की के साथ हुई इस घटना के तथ्यों को रिकॉर्ड करने के बाद यह कहा था कि इन आरोप के चलते यह महिला की गरिमा पर आघात का मामला तो बनता है लेकिन इसे रेप का प्रयास नहीं कह सकते. इस विवादित फैसले को लेकर विरोध हुआ. कई कानूनविदों ने SC से इस फैसले पर स्वत: संज्ञान लेने की मांग की थी.
पहले किया था इनकार
इससे पहले नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े फैसले को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया था. याचिका में जजमेंट के उस विवादित हिस्से को हटाने की मांग की गई है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि ‘इस केस में पीड़ित के ब्रेस्ट को पकड़ना,और पजामे के नाड़े को तोड़ने के आरोप के चलते ही आरोपी के खिलाफ रेप की कोशिश का मामला नहीं बन जाता’.
Source link