बिहार शराबबंदी: आरती देवी की जीविका योजना से आत्मनिर्भरता की कहानी

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बिहार शराबबंदी: बिहार में शराबबंदी से कई परिवारों में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हुई. आरती देवी ने जीविका योजना से जुड़कर किराना दुकान और बकरी पालन शुरू किया, जिससे वे आत्मनिर्भर बनीं.
घास सिक्की और लकड़ी से तैयार करती है खास सामान
हाइलाइट्स
- बिहार में शराबबंदी से कई परिवारों में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हुई.
- आरती देवी ने जीविका योजना से किराना दुकान और बकरी पालन शुरू किया.
- सिक्की घास से बनी वस्तुओं ने आरती देवी की किस्मत बदली.
विशाल कुमार/छपरा. बिहार में अचानक हुई शराबबंदी से कई घरों में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई. कई लोग एक वक्त के भोजन के लिए भी सोचने लगे, खासकर उन परिवारों में जहां घर का गुजारा शराब बनाने और बेचने पर निर्भर था. शराबबंदी लागू होते ही पुलिस ने लगातार छापेमारी शुरू कर दी, जिससे छोटे शराब कारोबारियों ने डर के कारण यह काम छोड़ दिया. इस स्थिति में कई परिवारों के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया.
हालांकि, सरकार ने महिलाओं को बेरोजगारी से निकालने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष योजनाएं शुरू कीं. इन योजनाओं के तहत महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं, जिससे वे नई आजीविका की ओर बढ़ रही हैं. छपरा में हजारों महिलाएं जीविका से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. मांझी प्रखंड के बरेजा गांव की आरती देवी की कहानी भी प्रेरणादायक है. उनके पति पहले शराब बनाकर बेचते थे, जिससे घर चलता था, लेकिन शराबबंदी के बाद परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया.
बकरी पालन किया शुरू
इसी दौरान आरती देवी जीविका से जुड़ीं. उन्हें किराना दुकान खोलने के लिए 10,000 रुपए की सहायता मिली, जिससे उनका कारोबार तेजी से बढ़ा. इसके बाद उन्होंने और पूंजी जुटाकर बकरी पालन शुरू किया और अच्छा मुनाफा कमाने लगीं. अब वे सिक्की घास से एक से बढ़कर एक चीजें बना रही हैं, जिनकी मांग पूरे बिहार में है. उनकी सफलता को देखते हुए कई अन्य महिलाएं भी इस उद्योग से जुड़ रही हैं और अच्छी कमाई कर रही हैं.
ऐसे बदले हालत
लोकल 18 से बातचीत में आरती देवी ने बताया कि उनके घर में कमाई का मुख्य स्रोत शराब का कारोबार था. लेकिन, शराबबंदी के बाद पुलिस की लगातार छापेमारी से उनके पति ने यह काम छोड़ दिया, जिससे घर में भुखमरी की स्थिति आ गई. उसी समय आरती देवी जीविका योजना से जुड़ीं, वहां से उन्हें 10,000 रुपए की सहायता राशि मिली और उन्होंने किराना दुकान खोली, जो अच्छी चलने लगी. इसके बाद उन्हें बकरी पालन के लिए भी आर्थिक सहायता मिली, जिससे उनकी कमाई बढ़ गई.
घास ने बदली किस्मत
अब आरती देवी सिक्की घास और अन्य सामग्रियों से तस्वीरें, लकड़ी की ट्रे, घर की सजावट का सामान, राखी और दौड़ी जैसी चीजें बनाकर बेच रही हैं, जिससे उनका परिवार अच्छे से चल रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की योजना से कई बेरोजगार महिलाओं को रोजगार मिला, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही हैं और अपने घर का खर्च चला रही हैं.
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