LoC पार किए बिना ही दुश्मनों को मिलेगी मौत! भारत के लिए कैसे गेमचेंजर बनेगी ATAGS आर्टिलरी गन, ताकत ऐसी कि…

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ATAGS Artillery Gun: भारत ने 7000 करोड़ रुपये की लागत वाली ATAGS तोप खरीद को मंजूरी दी है, जो स्वदेशी रूप से विकसित 155 मिमी आर्टिलरी गन है. यह कदम आत्मनिर्भरता और सुरक्षा में महत्वपूर्ण है.
307 ATAGS गन की खरीदारी के लिए भारत ने 7000 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है. (डीआरडीओ)
हाइलाइट्स
- भारत ने 7000 करोड़ रुपये की ATAGS तोप खरीद को मंजूरी दी.
- ATAGS 155 मिमी आर्टिलरी गन है, जो 48 किमी तक मार कर सकती है.
- ATAGS स्वदेशी रूप से विकसित और ‘मेक इन इंडिया’ पहल का प्रमाण है.
नई दिल्ली. चीन और पाकिस्तान से बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के बीच भारत ने अपने हथियारों में तेजी से इजाफा करना शुरू कर दिया है. ऐसे इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि में, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने लगभग 7000 करोड़ रुपये की लागत वाली एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद को मंजूरी दी है.
यह कदम तोप निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है. ATAGS, पहली स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और तैयार 155 मिमी आर्टिलरी गन है, जो अपनी अत्याधुनिक तकनीक और दूर तक मार करने की ताकत के साथ भारतीय सशस्त्र बलों की ऑपरेशन कैपेबिलिटी को बढ़ाएगी.
इंडियन आर्टिलरी में एक खास बदलाव
ATAGS एक एडवांस टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम है जिसमें 52-कैलिबर की लंबी बैरल है, जो 48 किमी तक की फायरिंग रेंज की इजाजत देती है. इसके बड़े कैलिबर के साथ, यह सिस्टम दूर तक मार करती है, जिससे अधिक विस्फोटक पेलोड डिलीवर होते हैं और ऑटोमैटिक तैनाती, टारगेट इंगेजमेंट और क्रू के कम थकान की सुविधा मिलती है. यह मंजूरी स्वदेशी रक्षा निर्माण और तकनीकी प्रगति में भारत की बढ़ती क्षमता को दिखाता है.
प्राइवेट इंडस्ट्रीज द्वारा स्वदेशीकरण
‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक प्रमाण, ATAGS को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय निजी उद्योग भागीदारों के सहयोग से विकसित किया गया है. इसके 65% से अधिक सामान घरेलू रूप से तैयार किए गए हैं, जिसमें बैरल, मज़ल ब्रेक, ब्रीच मैकेनिज्म, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम, और गोला-बारूद हैंडलिंग मैकेनिज्म जैसे प्रमुख सिस्टम शामिल हैं. यह विकास न केवल भारत के रक्षा उद्योग को मजबूत करता है, बल्कि विदेशी आयात पर निर्भरता को भी कम करता है.
स्ट्रैटेजिक और ऑपरेशनल एडवांटेज
ATAGS की तैनाती भारतीय सेना की तोपखाने को आधुनिक बनाने में खास भूमिका निभाएगी, जो पुराने 105 मिमी और 130 मिमी तोपों की जगह लेगी. इसका पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनात होना सशस्त्र बलों को महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त प्रदान करेगा, जिससे ऑपरेशनल तैयारी और मारक क्षमता में वृद्धि होगी.
लॉन्ग-टर्म सस्टेनेबिलिटी और सपोर्ट
पूरी तरह से स्वदेशी प्रणाली होने के कारण, ATAGS को स्पेयर पार्ट्स की मजबूत सप्लाई चेन और बिना किसी परेशानी के मेंटेनेंस का लाभ मिलेगा. स्वदेशी रूप से विकसित प्रणाली लंबे समय तक प्रोडक्स सपोर्ट भी तय करती है, जिससे डिफेंस टेक्नोलॉजी में भारत की आत्मनिर्भरता मजबूत होती है.
विदेशी निर्भरता में कमी
ATAGS का एक प्रमुख लाभ इसका विदेशी घटकों पर न्यूनतम निर्भरता है. नेविगेशन सिस्टम, म्यूज़ल वेलोसिटी रडार और सेंसर जैसे महत्वपूर्ण सिस्टम्स स्वदेशी रूप से डिज़ाइन की गई हैं, जिससे विदेशी प्रौद्योगिकी और आयात पर भारत की निर्भरता में काफी कमी आती है.
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