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पूजा सखी: मेहनत और लगन से आत्मनिर्भर बनीं कौशांबी की महिला.

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पूजा सखी, उत्तर प्रदेश की एक गरीब महिला ने स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने का सफर तय किया. उन्होंने साबुन, पाउडर और हार्पिक बनाने का काम शुरू कर 30 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया. ब्रांडिंग की कमी के बाव…और पढ़ें

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साबुन बनाने का कार्य करती महिलाये 

कौशांबी- उत्तर प्रदेश के जनपद कौशांबी के घटमापुर गांव की निवासी पूजा सखी एक गरीब परिवार की महिला हैं, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से आत्मनिर्भर बनने का रास्ता चुना है. पूजा न केवल अपनी गृहस्थी संभाल रही हैं, बल्कि साथ में महिला समूह का संचालन भी कर रही हैं. इसके साथ ही, उन्होंने साबुन, पाउडर और हार्पिक जैसे उत्पादों का निर्माण शुरू कर दिया है, जिससे वे अन्य महिलाओं को भी रोजगार दें रही हैं.

30 महिलाओं को दिया रोजगार
पूजा सखी ने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर साबुन, पाउडर और हार्पिक जैसे उत्पाद बनाने का कार्य शुरू किया. उन्होंने इस काम में 30 से अधिक महिलाओं को भी शामिल किया, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें. पूजा का मानना है कि यदि महिलाएं स्वावलंबी बनेंगी तो उन्हें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

ग्रामीण मिशन से मिली ट्रेनिंग
पूजा सखी ने बताया कि उन्होंने यह ट्रेनिंग उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण मिशन के तहत बड़ौदा रोजगार योजना से प्राप्त की. ट्रेनिंग के बाद उन्होंने अपने गांव की महिलाओं को इस काम से जोड़ा, ताकि वे भी स्वरोजगार कर सकें और आर्थिक तौर पर सशक्त बन सके.

ब्रांडिंग की कमी, लेकिन हौसला बुलंद
लोकल 18 से बातचीत के दौरान पूजा ने बताया कि वे अपने उत्पादों को फिलहाल गांव में ही बेचती हैं. उनके पास ब्रांडिंग या पैकेजिंग का कोई साधन नहीं है, इसलिए वे अपने प्रोडक्ट को सादे कागज में पैक करके बेचती हैं. इसके बावजूद उनका हौसला मजबूत है और वे लगातार अपने काम का विस्तार कर रही हैं.

अन्य महिलाओं को भी कर रही प्रेरित
पूजा सखी का सपना है कि गांव की अधिक से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और खुद का व्यवसाय शुरू करें. उन्होंने अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है कि वे स्वरोजगार अपनाकर अपने भविष्य को सुरक्षित और उज्ज्वल बनाएं.

सरकार से उम्मीद
पूजा सखी चाहती हैं कि सरकार उनके उत्पादों को बाजार में बेचने और ब्रांडिंग में मदद करें. इससे न केवल उनका व्यवसाय बढ़ेगा, बल्कि गांव की और भी महिलाएं इस काम से जुड़ सकेंगी और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार सकेंगी. पूजा सखी की यह पहल समाज में महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण है. उनकी कहानी यह साबित करती है कि इच्छाशक्ति और मेहनत से कोई भी आत्मनिर्भर बन सकता है.

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गरीबी से करोड़ों का सफर, पूजा सखी की कहानी जिसने 30 महिलाओं की बदल दी जिंदगी!


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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