Fake registry case in Khandwa – FIR against 9 people | खंडवा में फर्जी रजिस्ट्री, 9 लोगों पर FIR: मालिक के फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेच दी जमीन, खरीदार पहले से जेल में – Khandwa News

खंडवा में फर्जी रजिस्ट्री का तीसरा मामला पुलिस के पास पहुंचा हैं। इस केस में थाना कोतवाली पुलिस ने गिरोह के 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर की है। गिरोह ने जमीन मालिक के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार कराएं और फिर गिरोह के सरगना को खरीदार बताकर उसके नाम रजिस्ट्
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मामले में आयुष चांडक निवासी वैकुंठ नगर ने शिकायत की थी। उसने बताया कि उसकी मालिकाना जमीन बड़ियाग्यासुर में थी। वह कुछ सालों से खंडवा से बाहर था, इसी बीच आरोपियों ने उसके नाम से फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज तैयार करवा लिए।
विजय बघेल नाम का आरोपी खुद आयुष गुप्ता बन गया। उसने जमीन की रजिस्ट्री जुबेर और लतीफ के नाम पर करवा दी। जब मैं खंडवा लौटा और जमीन देखने गया तो इस बात का खुलासा हुआ। इसके बाद मैंने जमीन से जुड़े दस्तावेज जुटाएं और पुलिस ने शिकायत की।
इन 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर
1.आयुष गुप्ता उर्फ विजय बघेल पिता नरेंद्र उर्फ खुशी लालसिंह बघेल निवासी परदेशीपुरा, खंडवा
2. सिद्दीक पिता मुश्ताक अहमद निवासी मस्जिद के पास, बुधवारा बाजार खंडवा
3. जुबेर पिता निसार खत्री, निवासी छीपा कॉलोनी मस्जिद के पास खंडवा
4. शाहरुख पिता चांद खान, निवासी बापू नगर, खंडवा
5. अब्दुल लतीफ पिता नसरूद्दीन निवासी संजय नगर (थाना मोघट रोड) खंडवा
6. सोहेब पिता अब्दुल लतीफ, निवासी महात्मा गांधी मार्ग खंडवा
7. इकबाल पिता इब्राहिम निवासी, अभिषेक टॉकिज के सामने खंडवा।
8. तौफीक अहमद पिता अकील मोहम्मद, निवासी सुभाष नगर, रतलाम
9. फारूख शाह पिता तसलीम शाह, निवासी लक्कड़ बाजार, खंडवा।
जमीन फर्जीवाड़े का यह तीसरा मामला
खंडवा में फर्जी दस्तावेज तैयार कर रजिस्ट्री के मामले दर्जनों में है। कई मामले में पुलिस तक पहुंचे है। जिले में पुलिस एफआईआर का यह तीसरा मामला है। कोतवाली में यह दूसरा मामला है। एक एफआईआर थाना मूंदी में हो चुकी है। मूंदी के गुयड़ा गांव में इसी गिरोह ने डीएसपी की मां की जमीन बेच दी थी।
रजिस्ट्रार, सर्विस प्राेवाइडर पर एफआईआर नहीं
कोतवाली पुलिस ने जिन 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर की है, वह एक ही गिरोह के सदस्य है। पुलिस ने इनके खिलाफ तो केस रजिस्टर्ड कर लिया लेकिन जमीन रजिस्ट्री में अहम रोल निभाने वाले संंबंधित सर्विस प्रोवाइडर और रजिस्ट्रार को आरोपी नहीं बनाया है। पूर्व के दो मामलों में भी रजिस्ट्रार और सर्विस प्राेवाइडर के खिलाफ इन्वेस्टिगेशन तक नहीं किया गया है।
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