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Indore: The Family Of Two Hundred And Fifty Year Old Goddess Ahilya Will Decorate Her Daughter’s Umbrella. – Amar Ujala Hindi News Live


महेश्वर की इस छत्री को संवारा जाएगा।
– फोटो : अमर उजाला

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महेश्वर में स्थित श्री देवी अहिल्याबाई होलकर की पुत्री मुक्ताबाई और दामाद यशवंतराव फणसे की छत्री का जीर्णोद्धार उनके इंदौर निवासी वंशजों द्वारा किया जाएगा। यह छत्री 1791 में देवी अहिल्या ने अपनी बेटी और दामाद की स्मृति में महेश्वर घाट पर बनवाई थी। पति यशवंत राव फणसे की बीमारी से मौत होने के बाद बेटी भी उनके साथ सती हो गई थी, जबकि अहिल्या बाई नहीं चाहती थी कि वह सती हो।

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भारतीय शैली में नक्काशीदार पत्थरों से निर्मित छत्री को देखने हाल ही में फणसे परिवार के सदस्य गए थे। उन्होंने तय किया कि छत्री का पुरातत्व महत्व है और पर्यटक भी इसे देखने आते है, इसलिए छत्री को संवारा जाएगा। वंशज नरेंद्र फणसे ने कहा कि छत्री के गुंबद का हिस्सा खराब हो चुका है। उसकी मरम्मत के अलावा पत्थरों को साफ किया जाएगा। इसके लिए महाराष्ट्र के आर्किटेक्टों से चर्चा की गई है। हमारी कोशिश है छत्री के जीर्णोद्धार से हम पूर्वजों को श्रद्धांजलि देंगे बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए महेश्वर की सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत को संरक्षित और समृद्ध करने का काम भी करेंगे।

 

पिड़ारियों को काबू में किया था यशवंतराव ने

यशवंतराव फणसे होलकर राजवंश की सेना में महत्वपूर्ण पद पर थे। देवी अहिल्या की रियासत में लूटपाट करने वाले पिडारियों का बड़ा आंतक था। देवी अहिल्या ने उनका जिम्मा यशवंत राव को दिया था। जिन इलाकों में लूट होती थी। वहां यशवंतराव ने अपनी टुकडि़यां रखना शुरू कर दी और जेल भी बनवाई। वहां पर पिड़ारियों को कैद कर रखा जाने लगा। इसके बाद लूट की घटनाएं कम होने लगी थे। इससे खुश होकर देवी अहिल्या ने अपनी बेटी का रिश्ता यशवंत राव से किया था।

 

1791 में यशवंतराव फणसे की मौत हो गई। तब तमाम कोशिशों के बावजूद देवी अहिल्या अपनी बेटी को सती होने से रोक नहीं पाई थी। उनकी याद में देवी अहिल्या ने दोनो की याद में छत्री बनवाई और नदी किनारे एक फणसे घाट भी बनवाया था।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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