महाराजा कॉलेज के विलय के खिलाफ शहर से राजधानी तक जमकर विरोध: सड़क पर उतरे छात्र, राज्यपाल से मिले जनप्रतिनिधि

छतरपुर। छतरपुर के 130 वर्ष पुराने महाराजा महाविद्यालय को विश्वविद्यालय में विलय कर दिए जाने के कारण इस धरोहर का अस्तित्व खत्म कर दिया गया है। सरकार के इस एकतरफा फरमान के खिलाफ छतरपुर से लेकर भोपाल तक विरोध उबल रहा है। सोमवार को पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सोनम रावत, कांग्रेस नेता अदित सिंह और युवा नेता लोकेन्द्र वर्मा की अगुवाई में जहां शहर की सड़कों पर दो घंटे तक जाम लगाकर हंगाम किया गया तो वहीं राजधानी भोपाल में तीन विधायकों आलोक चतुर्वेदी, नातीराजा, नीरज दीक्षित सहित भाजपा के वरिष्ठ नेता नारायण काले ने राज्यपाल से मिलकर इस विलय को वापस लिए जाने की मांग की।
समाजों के ज्ञापन और छात्रों के हस्ताक्षर सहित राज्यपाल से मिले विधायक

पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अंतर्गत सोमवार को छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी, राजनगर विधायक नातीराजा, महाराजपुर विधायक नीरज दीक्षित और भाजपा के वरिष्ठ नेता नारायण काले ने भोपाल पहुंचकर राज्यपाल से भेंट की। इस मौके पर विधायकों ने राज्यपाल को उन सामाजिक संगठनों और विभिन्न समाज के प्रतिनिधियों की चिट्ठियां राज्यपाल को सौंपी जो महाराजा कॉलेज के विलय के खिलाफ हैं। श्री चतुर्वेदी ने राज्यपाल को बताया कि सरकार का यह निर्णय तानाशाहीपूर्ण है। सरकार ने 9 साल पहले छतरपुर में अलग विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की थी जब सरकार नवीन विश्वविद्यालय के लिए भवन का निर्माण नहीं कर पायी तो हमारी 130 वर्ष पुरानी धरोहर महाराजा कॉलेज का नाम खत्म करके ही इस भवन पर विश्वविद्यालय का बोर्ड टांग दिया गया। हमें अलग विश्वविद्यालय चाहिए एवं जिला मुख्यालय पर एक मात्र सहशिक्षा का उच्च शिक्षा केन्द्र महाराजा कॉलेज भी वापस चाहिए। इस मौके पर विधायक नातीराजा ने कहा कि महाराजा कॉलेज का इतिहास रियासतकाल से जुड़ा है। कॉलेज से पढ़े लाखों छात्रों की स्मृतियों को खत्म किया जा रहा है जो कि उचित नहंी है। विधायक नीरज दीक्षित ने राज्यपाल को बताया कि युवा और छात्र सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं क्योंकि आने वाले दिनों में महाराजा कॉलेज के खत्म होने के कारण उन्हें प्रवेश में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। भाजपा नेता नारायण काले ने राज्यपाल से अनुरोध किया कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होने के नाते उन्हें सरकार के इस निर्णय की तकनीकी विवेचना करना चाहिए। इस महाविद्यालय का खात्मा उचित नहीं है। राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद नेताओं ने भोपाल की मीडिया से भी संवाद करते हुए अपना विरोध जताया।
जाम रही सड़क, लगाए गए सरकार विरोधी नारे

एक तरफ जहां राजधानी में जनप्रतिनिधि महाराजा कॉलेज के विलय का विरोध कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ छत्रसाल चौक छतरपुर में कई छात्र इस निर्णय के खिलाफ सड़क पर उतरे। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सोनम रावत, अदित सिंह और युवक कांग्रेस नेता लोकेन्द्र वर्मा की अगुवाई में कई छात्र-छात्राओं ने सड़क पर उतरकर हमारा कॉलेज वापस दो के नारे लगाते हुए सरकार के इस कदम का विरोध किया। लगभग दो घंटे तक चले इस विरोध प्रदर्शन करने के दौरान छत्रसाल चौक पर जाम की स्थिति निर्मित हो गयी। मौके पर पहुंचे सीएसपी लोकेन्द्र सिंह, डीएसपी शशांक जैन, तहसीलदार अभिनव शर्मा को छात्र संगठन के द्वारा ज्ञापन सौंपा गया। छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस निर्णय को वापिस नहीं लिया तो वे आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन करेंगे।

मुस्लिम समाज ने ज्ञापन सौंपकर किया विलय का विरोध
छतरपुर में मुस्लिम समाज के अध्यक्ष हाजी शहजाद अली ने अंजुमन इस्मामिया कमेटी के बैनर तले इस विलय का विरोध करते हुए ज्ञापन सौंपा। शहजाद अली ने कहा कि छतरपुर में लड़के और लड़कियों के लिए एक मात्र महाविद्यालय है जिसमें आसानी से प्रवेश के साथ सस्ती और सुलभ शिक्षा समाज के हर वर्ग को मिलती है। विश्वविद्यालय के बनने के बाद छतरपुर में सहशिक्षा का कोई कॉलेज मौजूद नहीं रहेगा और विश्वविद्यालय में प्रवेश को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री के नाम कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपते हुए मुस्लिम समाज ने मांग