The devotees performed Tarpan at Hansdas Math | हंसदास मठ पर साधकों ने किया तर्पण: संसार में सबसे सुखी वही, जिसके पास पूर्वजों के आशीष की एफडी – पं. तिवारी – Indore News

माता-पिता ही ईश्वर के रूप होते हैं। संसार के सुख क्षणिक होते हैं, लेकिन पूर्वजों और पितरों के आशीर्वाद से प्राप्त संपत्ति का सुख अनेक पीढ़ियों का उद्धार करता है। माता-पिता और पूर्वजों के आशीष से बड़ी कोई संपत्ति नहीं होती। यह ऐसी संपत्ति है, जिसे कोई
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एयरपोर्ट रोड, पीलियाखाल स्थित प्राचीन हंसदास मंठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति की मेजबानी में चल रहे श्राद्ध पर्व में शनिवार को आचार्य पं. पवन तिवारी ने यह बात कही। महामंडलेश्वर स्वामी राधे राधे बाबा एवं हंसदास मठ के युवराज महामंडलेश्वर पं. पवनदास महाराज के सान्निध्य में भगवान हरि विष्णु के पूजन के साथ अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। आचार्य पं. तिवारी ने दिवंगत पूर्वजों, स्वतंत्रता सैनानियों, शहीदों और गोमाता के लिए भी मोक्ष की कामना के साथ विश्व शांति एवं जन मंगल के लिए अनुष्ठान कराए। तर्पण में 300 से अधिक साधकों ने भाग लिया। शुरू में समिति के अध्यक्ष हरि अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेन्द्र सोनी, महासचिव डॉ. चेतन सेठिया, राजेन्द्र गर्ग, कमल गुप्ता, सूरज सत्यप्रकाश सोनी, माणकचंद पोरवाल, जगमोहन वर्मा आदि ने पं. तिवारी का स्वागत किया। आरती में सीमा सेन, ज्योति शर्मा, राजकुमारी मिश्रा सहित बड़ी संख्या में मातृशक्तियों ने भी भाग लिया।
अध्यक्ष हरि अग्रवाल ने बताया कि हंसदास मठ आने वाले सभी साधकों के लिए तर्पण सामग्री, थाली, कलश, दूध, दुर्वा, काली तिल, जौ, पुष्प एवं जनेऊ सहित सभी सामग्री समिति की ओर से निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। तर्पण के बाद निर्धनों, पशु-पक्षियों के लिए खीर प्रसाद एवं गोवंश के लिए हरे चारे की व्यवस्था भी यहां रोजाना रखी गई है। संचालन राजेन्द्र सोनी ने किया और आभार माना डॉ. चेतन सेठिया ने।
25 से पितृ मोक्षदायी भागवत – समिति के अध्यक्ष हरि अग्रवाल एवं उपाध्यक्ष राजेंद्र सोनी ने बताया कि श्राद्ध पक्ष में रोजाना सुबह 8 से 10 बजे तक आम श्रद्धालु यहां आकर निःशुल्क तर्पण कर सकेंगे। तर्पण मे प्रयुक्त सभी सामग्री की व्यवस्था समिति द्वारा की गई है। इस दौरान 25 सितंबर से 1 अक्टूबर तक पितृ मोक्षदायी भागवत कथा भी आचार्य पं. गौरव तिवारी के श्रीमुख से रोजाना दोपहर 2 से 5 बजे तक होगी। जिन परिजनों को अपने पितरों के निधन की तिथि ज्ञात है, वे उस तिथि के दिन सुबह 7.30 बजे तक घर से स्नान कर स्वच्छ सफेद कपड़े पहनकर हंसदास मठ पहुंच जाएं। जिन्हें अपने पितरों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है, वे सर्वपितृ अमावस्या पर शामिल हो सकते हैं।
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