Rathore postponed the protest after getting written assurance | लिखित आश्वासन के बाद राठौर ने धरना स्थगित किया: मुख्य महाप्रबंधक ने कहा-स्वत्वों की स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही, जल्द मिलेगा लाभ – Bhopal News

मध्य प्रदेश कार्य गुणवत्ता परिषद कार्यालय परिसर में आमरण अनशन पर बैठे रिटायर कर्मचारी जीएल राठौर ने लिखित आश्वासन के बाद धरना स्थगित कर दिया है। उन्हें परिषद के मुख्य महाप्रबंधक ने लिखित में बताया है कि उनके स्वत्वों के भुगतान की प्रक्रिया चल रही है।
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रिटायरमेंट के 10 माह बाद भी स्वत्वों (सामान्य भविष्य निधि, अवकाश नगदीकरण, ग्रेच्युटी, पेंशन और पेंशन सारांशीकरण के लाभ) का भुगतान न होने के कारण जीएल राठौर मंगलवार काे परिषद के कार्यालय में आमरण अनशन पर बैठ गए थे। उन्होंने कहा था कि प्रकरण का निराकरण होने तक वे अनशन खत्म नहीं करेंगे। अनशन शुरू करते ही परिषद के मुख्य महाप्रबंधक ने राठौर को बताया कि उनके प्रकरण में स्वत्वों की स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही है, जल्द ही उन्हें स्वत्वों का भुगतान कर दिया जाएगा पर राठौर अनशन पर बैठे रहे। आखिर समझाइश के बाद राठौर लिखित आश्वासन पर अनशन स्थगित करने को तैयार हुए।
उल्लेखनीय है कि राठौर 30 सितंबर 2023 को परिषद से रिटायर हुए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देश हैं कि कर्मचारी को रिटायरमेंट के साथ ही स्वत्वों का भुगतान कर दिया जाए, पर इस मामले में विभाग अपने ही नियम नहीं मान रहा है। राठौर इसी विभाग के अंतर्गत संचालित मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) में पदस्थ थे, जिसे बाद में मध्य प्रदेश कार्यगुणवत्ता परिषद का नाम दे दिया गया। परिषद बनाया तो निजाम भी बदला और परिषद एवं सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों के बीच पटरी न बैठने से परिषद से रिटायर हुए राठौर को स्वत्वों का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
कौन बड़ा का झगड़ा
राठौर बताते हैं कि परिषद के मुख्य महाप्रबंधक और सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों में ‘कौन बड़ा’ का झगड़ा है। यही कारण है कि विभाग ने परिषद को आहरण संवितरण के अधिकार नहीं दिए। यह सिर्फ राठौर की परेशानी नहीं है। यह मामला सुलझने से पहले कोई और कर्मचारी रिटायर होता है, तो उसे भी इस परेशानी का सामना करना पड़ेगा। राठौर बताते हैं कि स्वत्वों का भुगतान न होने से आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कर्मचारी संगठनों का साथ
लंबे समय तक कर्मचारी राजनीति में सक्रिय रहे राठौर को कई कर्मचारी संगठनों का साथ मिला। कर्मचारियों ने उनके अनशन को समर्थन दिया और जरूरत पड़ने पर मैदान में उतरने का भरोसा भी दिलाया। कर्मचारियों के बढ़ते दबाव के कारण ही अनशन समाप्त कराने के प्रयास किए गए।
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