Sand is my paper and pen is my hand Know the unique story of Patna sand artist Rupesh his passion is such that he has lost one eye while creating artwork

उधव कृष्ण/ पटना:- “रेत पर उकेरता हूं मैं सपने, कलम मेरा हाथ और रेत ही मेरा कागज है” पटना के सैंड आर्टिस्ट रूपेश का ये कहना है, जिनका जुनून इतना गहरा है कि उन्होंने अपनी कला के लिए एक आंख तक गंवा दी. पटना के सैंड आर्टिस्ट रूपेश ने अपने जुनून और लगन से रेत पर अद्भुत कलाकृतियां बनाई हैं. इस बार भी सावन के आखिरी सोमवारी के उपलक्ष्य में वे कुछ अनोखा बनाने का सोच रहे हैं.
पटना सिटी के नवाबगंज मोहल्ले में रहने वाले 28 वर्षीय रूपेश एक सैंड आर्टिस्ट हैं, जो रेत को अपना कागज और अपने हाथों को कलम मानकर अद्वितीय कलाकृतियां उकेरते हैं. रूपेश बताते हैं कि साधारण परिवार से आने की वजह से उनका यह सफर आसान नहीं रहा, लेकिन उनकी कला के प्रति समर्पण ने उन्हें एक अद्भुत कलाकार बना दिया है.
कला के लिए खोई एक आंख
रूपेश का कला के प्रति जुनून इतना गहरा है कि उन्होंने इसे पूरा करने के दौरान एक आंख खो दी. रूपेश लोकल 18 को बताते हैं कि पटना आर्ट कॉलेज में एक स्टोन आर्ट तैयार करते हुए उन्होंने अपनी एक आंख खो दी थी. दरअसल, आर्ट कॉलेज में एक स्टोन आर्ट बनाते समय उन्हें आंख में चोट लग गई थी, लेकिन इसका पता बाद में जाकर लगा, जब उनकी आंखों की दृष्टि क्षीण होने लगी. हालांकि, इसके बाद भी उनका जोश कम नहीं हुआ.
हजारों कलाकृतियां बना चुके हैं रूपेश
अपने करियर में अब तक रूपेश ने रेत पर हजारों कलाकृतियां बनाई हैं. हर एक कृति में उनकी मेहनत और लगन की झलक मिलती है. रूपेश बताते हैं कि कोरोना काल में उन्होंने एमसील से कई कलाकृतियां बनाई, जिसे लोगों ने खूब पसंद भी किया. बता दें कि रूपेश को अभी तक कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कलाकार रूपेश कुमार को सम्मानित किया है. वे लगातार नई और अनोखी चीजें बनाने में लगे रहते हैं.
पटना सिटी के थानों में बनाए स्केच
रूपेश ने अपने हुनर का प्रदर्शन सिर्फ सैंड आर्ट में ही नहीं, बल्कि पटना सिटी के कई थानों में भी किया है, जहां उन्होंने कई स्केच बनाए हैं. ये स्केच उनके व्यापक कला कौशल का प्रमाण हैं. रूपेश केवल एक कलाकार ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक भी हैं. उन्होंने एनसीसी (नेशनल कैडेट कॉर्प्स) में परेड का नेतृत्व किया है, जो उनके अनुशासन और नेतृत्व कौशल को दर्शाता है. बता दें कि रूपेश उन लोगों में से नहीं हैं जो मुश्किलों से हार मान लेते हैं. एक आंख खोने के बावजूद, उन्होंने अपनी कला को नहीं छोड़ा और निरंतर मेहनत करते रहे. उनका हौसला और संघर्ष प्रेरणादायक है.
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भविष्य में पीएचडी की इच्छा
रूपेश की ख्वाहिश है कि वे भविष्य में कला के क्षेत्र में पीएचडी करें. इससे न केवल उनकी कला में और गहराई आएगी, बल्कि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा बनेंगे. रूपेश सिर्फ रेत तक ही सीमित नहीं हैं, वे कागज, मिट्टी और पत्थर पर भी बेहतरीन कलाकृतियां बना सकते हैं. उनकी कला का दायरा बहुत विस्तृत है, जो उनकी प्रतिभा को और भी विशेष बनाता है.
रूपेश की कहानी समाज के लिए एक प्रेरणा है, जो यह दर्शाती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर मन में सच्ची लगन हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है. रूपेश मानते हैं कि उनकी कला उनके अंदर की आत्मा की अभिव्यक्ति है, जिसे वे रेत के माध्यम से दुनिया के सामने लाते हैं. रूपेश की सैंड आर्ट ने पटना और बिहार को गौरवान्वित किया है, और उनकी कहानी ने कई लोगों को अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित किया है. आज रूपेश सैकड़ों बच्चों को कला का प्रशिक्षण भी देते हैं.
Tags: Local18, Motivational Story, PATNA NEWS
FIRST PUBLISHED : August 14, 2024, 11:03 IST
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