Account of transaction of 10 crores not presented, four member team of Zila Panchayat will investigate | भ्रष्टाचार की जांच: 10 करोड़ के लेन-देन का हिसाब नहीं किया पेश, जिला पंचायत की चार सदस्यीय टीम करेगी जांच – Sagar News

महिला बाल विकास विभाग के बाबू सहायक ग्रेड-3 अशोक मिश्रा की कार्यालय में एंट्री भले ही बंद हो गई हो लेकिन उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच पांच माह में भी पूरी नहीं हो सकी है। अशोक मिश्रा 10 करोड़ के लेन-देन का हिसाब-किताब भी नहीं दे रहे हैं। जि
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कलेक्टर ने पांच माह पहले एसडीएम को सौंपी थी जांच
कलेक्टर दीपक आर्य ने बाबू अशोक मिश्रा द्वारा की गई गड़बड़ियों की जांच के लिए पांच माह पहले तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। जिसमें अध्यक्ष एसडीएम विजय डेहरिया, सचिव महिला बाल विकास मालथौन की परियोजना अधिकारी संयोगिता राजपूत और सदस्य जिला कोषालय अधिकारी शशिकांत पौराणिक को बनाया था। कलेक्टर ने इस समिति को जांच कर प्रतिवेदन अपने अभिमत सहित प्रस्तुत करने के लिए कहा था जो अब तक पूरी नहीं हुई है। इस कारण बाबू अशोक मिश्रा पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। जांच पूरी न होने के पीछे की वजह अधिकारी चुनाव की व्यस्तता को बता रहे हैं।
इन गड़बड़ियों को दिया अंजाम : 10 करोड़ रुपए के विभागीय लेन-देन की एंट्री कैशबुक में नहीं की
- बाबू अशोक मिश्रा ने महिला बाल विकास विभाग द्वारा पिछले 10 साल में किए गए 10 करोड़ रुपए के विभागीय लेन-देन की एंट्री कैशबुक में नहीं की। जिला कार्यक्रम अधिकारी बृजेश त्रिपाठी ने इस गड़बड़ी को पकड़ा और 10 करोड़ रुपए के विभागीय लेन-देन की सभी एंट्री कैशबुक में दर्ज कराई।
- बाबू अशोक मिश्रा ने विभागीय मूल खाते के अलावा चार अन्य बैंक खाते खोले। दो बैंक खाते एचडीएफसी बैंक, एक एक्सिस बैंक और एक बैंक अॉफ बड़ौदा में खोला गया। इन खातों का संचालन किया जबकि विभागीय आदेश है कि विभाग का सिंगल खाता हो अन्य कोई बैंक खाता न हो।
- पंचायतों में बनने वाले आंगनबाड़ी भवनों की प्रशासकीय स्वीकृति में जानबूझकर पंचायत का नाम गलत दर्ज किया। इससे समय पर भवनों का भुगतान नहीं हुआ। इससे पंचायत के कर्मचारी गड़बड़ी सुधरवाने के लिए बाबू अशोक मिश्रा के चक्कर लगाते रहे और भुगतान भी देरी से किया गया।
- बाबू अशोक मिश्रा ने विभागीय वाहनों के लिए करीब 5 लाख रुपए की डीजल पर्चियां जारी कीं जबकि पर्ची जारी करने का अधिकार उनको नहीं था। इस कारण 5 लाख रुपए के डीजल का भुगतान लंबित है। बीच में एक बार बजट भी आया लेकिन बाबू अशोक मिश्रा ने भुगतान नहीं कराया। इस कारण बजट की राशि लैप्स हो गई।
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