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रूह अफज़ा या दिल अफज़ा? सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दोनों शरबतों का मामला, जानें कौन जीता और किस पर लगा बैन

हाइलाइट्स

लोकप्रिय रूह अफज़ा शरबत के निर्माताओं ने ट्रेडमार्क उल्लंघन का मुकदमा दायर किया था
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला सही था और वे हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे
हमदर्द ने कहा कि वे 2020 से बेच रहे हैं और हम 1907 से बेच रहे हैं

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने दिल अफज़ा शरबत (Dil Afza Case) के निर्माताओं की एक अपील को खारिज कर दिया, जिसकी बिक्री को दिल्ली उच्च न्यायालय ने हमदर्द फाउंडेशन (Hamdard Foundatin) की अपील के बाद रोक दिया था. लोकप्रिय रूह अफज़ा शरबत के निर्माताओं ने ट्रेडमार्क उल्लंघन का मुकदमा दायर किया था. रूह अफज़ा के निर्माता ने तर्क दिया कि दिल अफज़ा उत्पाद भ्रामक रूप से रूह अफज़ा के समान था.

बार और बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला सही था और वे हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे. अदालत ने कहा कि रूह अफजा (Rooh Afza) की पूरे भारत में एक अच्छी तरह से स्थापित प्रतिष्ठा है और अचानक आप कुछ दवाएं बेचते हैं और 2020 में आप कुछ शरबत बेचना शुरू कर देते हैं. अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले को सही माना.

जस्टिस नरसिम्हा ने पूछा कि अगर कोई ग्राहक रूह अफजा मांगे और बदले में दिल अफजा मिले तो क्या फर्क पड़ेगा. इस पर हमदर्द के वकील ने कहा कि यह पेय सदियों पुराना है और इसने एक स्टेटस हासिल कर लिया है. वकील ने यह भी कहा कि बोतल में गोल छल्ले हैं जो “बेईमान इरादे दिखाते हैं”. हमदर्द ने तर्क दिया कि दिल अफजा रूह अफजा का एक प्रकार जैसा दिखता है और यह कंपनी की साख पर सवार होकर बिजनस कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, हमदर्द ने कहा कि वे 2020 से बेच रहे हैं और हम 1907 से बेच रहे हैं.

हमदर्द फाउंडेशन ने कहा कि दिल अफज़ा के निर्माता सदर लैबोरेटरीज ने इसके ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया है क्योंकि ‘दिल’ और ‘रूह’ शब्दों के समान अर्थ हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी कहा कि ‘दिल’ जिसका अर्थ है दिल और ‘रूह’ जिसका अर्थ है आत्मा, के बीच स्पष्ट संबंध है. कोर्ट ने कहा था कि कोई व्यक्ति दिल अफजा के लेबल को देख सकता है और रूह अफजा के लेबल को याद कर सकता है, क्योंकि ‘अफजा’ शब्द दोनों में आम है.

Tags: DELHI HIGH COURT, Roohafza, Supreme Court


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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