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आप-कांग्रेस 2014-2019 में साथ लड़ते तो क्‍या होता…दिल्‍ली में BJP को चौंका सकता है INDIA गठबंधन?

नई दिल्‍ली. लंबे समय तक चली कभी हाँ, कभी ना के बाद आख़िरकार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच औपचारिक गठबंधन का ऐलान हो गया है. इसी के साथ ये सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या ये गठबंधन बीजेपी को दिल्ली में चुनौती दे सकेगा. पिछले दो विधानसभा और दो लोकसभा चुनावों के नतीजों को देखें, तो साफ़ नज़र आता है कि दिल्ली की जनता का दिल लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में अलग तरह से धड़कता है. विधानसभा में जहां वो आम आदमी पार्टी को दिल खोलकर वोट देते हैं, तो उसी उत्साह से लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी के साथ जुड़ जाते हैं.

दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन क्या कुछ कमाल दिखायेगा या ग़ुब्बारे की तरह इसकी हवा निकल जाएगी, इसे समझने के लिए हम आपको राजधानी की सभी सात लोकसभा सीटों को गणित के जरिए समझाने की कोशिश करते हैं.

चांदनी चौक सीट ………
2014 के चुनाव में चांदनी चौक सीट से बीजेपी की ओर से डॉक्टर हर्षवर्धन, आम आदमी पार्टी की ओर से पत्रकार आशुतोष और कांग्रेस की तरफ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल मैदान में थे. बीजेपी को इस चुनाव में 44.8 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि AAP 30.9 फ़ीसदी वोट पाने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ़ 18 फ़ीसदी ही मत मिले थे. यानी अगर 2014 में AAP और कांग्रेस के वोट अगर मिला लिए जाएँ तो वो बीजेपी से ज्यादा था. लेकिन 2019 के चुनाव में ये तस्वीर पूरी तरह से बदल गई. 2019 में बीजेपी के डॉ हर्षवर्धन को 53.2 फ़ीसदी वोट मिले, जो कांग्रेस को मिले 29.9 फ़ीसदी और AAP को मिले 14.8 फ़ीसदी वोट को मिलाकर भी कहीं ज्यादा था. हालांकि इस चुनाव के ठीक एक साल बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट के 56 फीसदी लोगों ने AAP को वोट दिया.

नई दिल्ली सीट ………
2014 के चुनाव में नई दिल्ली सीट से बीजेपी की ओर से मीनाक्षी लेखी, आम आदमी पार्टी की ओर से आशीष खेतान और कांग्रेस की तरफ़ से अजय माकन मैदान में थे. बीजेपी को इस चुनाव में 46.8 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि AAP 30 फ़ीसदी वोट पाने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ़ 18.9 फ़ीसदी ही मत मिले थे. यानी अगर 2014 में AAP और कांग्रेस के वोट अगर मिला लिए जाएं तो वो बीजेपी से ज्यादा था. लेकिन 2019 के चुनाव में ये तस्वीर इस सीट पर भी पूरी तरह से बदल गई. 2019 में बीजेपी की मीनाक्षी लेखी को 55.1 फ़ीसदी वोट मिले, जो कांग्रेस को मिले 27.1 फ़ीसदी और AAP को मिले 16.5 फ़ीसदी वोट को मिलाकर भी कहीं ज्यादा था. हालांकि इस चुनाव के ठीक एक साल बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट के 55.5 फ़ीसदी लोगों ने AAP को वोट दिया.

पश्चिमी दिल्ली सीट ………
2014 के चुनाव में पश्चिमी दिल्ली सीट से बीजेपी की ओर से प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, आम आदमी पार्टी की ओर से बलबीर सिंह जाखड़ और कांग्रेस की तरफ़ से महाबल मिश्रा मैदान में थे. बीजेपी को इस चुनाव में 48.5 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि AAP 28.6 फ़ीसदी वोट पाने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ़ 14.4 फ़ीसदी ही मत मिले थे. यानी अगर 2014 में AAP और कांग्रेस के वोट अगर मिला लिए जाएँ तो भी वो बीजेपी से काफ़ी पीछे थे. 2019 के चुनाव में तो बीजेपी को मिले वोट और इन दोनों पार्टियों को मिले कुल वोट के बीच का दायरा और ज्यादा बढ़ गया. 2019 में बीजेपी के प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को 60.4 फ़ीसदी वोट मिले, जो कांग्रेस और AAP को मिले कुल वोट से कहीं ज्यादा था. हालाँकि इस चुनाव के ठीक एक साल बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट के भी 54.4 फ़ीसदी लोगों ने AAP को वोट दिया.

उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट ………
2014 के चुनाव में इस रिज़र्व सीट से बीजेपी की ओर से उदित राज, आम आदमी पार्टी की ओर से राखी बिड़लान और कांग्रेस की तरफ़ से कृष्णा तीरथ मैदान में थे. बीजेपी को इस चुनाव में 46.7 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि AAP 38.9 फ़ीसदी वोट पाने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ़ 11.7 फ़ीसदी ही मत मिले थे. यानी अगर 2014 में AAP और कांग्रेस के वोट अगर मिला लिए जाएँ तो भी वो बीजेपी से आगे थे. लेकिन 2019 के चुनाव में इन दोनों पार्टियों को मिले कुल वोट बीजेपी से कम थे. 2019 में बीजेपी के हंसराज हंस को 60.9 फ़ीसदी वोट मिले, जो कांग्रेस को मिले 17 फ़ीसदी और AAP को मिले 21.2 फ़ीसदी वोट को मिलाकर भी कहीं ज्यादा था. हालाँकि इस चुनाव के ठीक एक साल बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट के 52 फ़ीसदी लोगों ने AAP को वोट दिया.

पूर्वी दिल्ली सीट ………
2014 के चुनाव में पूर्वी दिल्ली सीट से बीजेपी की ओर से महेश गिरी, आम आदमी पार्टी की ओर से राज मोहन गांधी और कांग्रेस की तरफ़ से अरविंदर सिंह लवली मैदान में थे. बीजेपी को इस चुनाव में 47.9 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि AAP 32 फ़ीसदी वोट पाने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ़ 17 फ़ीसदी ही मत मिले थे. यानी अगर 2014 में AAP और कांग्रेस के वोट अगर मिला लिए जाएँ तो वो बीजेपी से ज्यादा था. लेकिन 2019 के चुनाव में ये तस्वीर इस सीट पर भी पूरी तरह से बदल गई. 2019 में बीजेपी के गौतम गंभीर को 55.5 फ़ीसदी वोट मिले, जो कांग्रेस को मिले 24.4 फ़ीसदी और AAP को मिले 17.5 फ़ीसदी वोट को मिलाकर भी कहीं ज्यादा था. हालाँकि इस चुनाव के ठीक एक साल बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट के 50.4 फ़ीसदी लोगों ने AAP को वोट दिया.

उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट ………
2014 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी की ओर से मनोज तिवारी, आम आदमी पार्टी की ओर से आनंद कुमार और कांग्रेस की तरफ़ से जे पी अग्रवाल मैदान में थे. बीजेपी को इस चुनाव में 45.2 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि AAP 34.4 फ़ीसदी वोट पाने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ़ 16.3 फ़ीसदी ही मत मिले थे. यानी अगर 2014 में AAP और कांग्रेस के वोट अगर मिला लिए जाएँ तो वो बीजेपी से ज्यादा था. लेकिन 2019 के चुनाव में ये तस्वीर इस सीट पर भी पूरी तरह से बदल गई. 2019 में बीजेपी के मनोज तिवारी को 54  फ़ीसदी वोट मिले, जो कांग्रेस को मिले 29 फ़ीसदी और AAP को मिले 13.1 फ़ीसदी वोट को मिलाकर भी कहीं ज्यादा था. हालाँकि इस चुनाव के ठीक एक साल बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट के 53.6 फ़ीसदी लोगों ने AAP को वोट दिया.

दक्षिणी दिल्ली सीट ………
2014 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी की ओर से रमेश बिधुरी, आम आदमी पार्टी की ओर से कर्नल देवेंद्र सहरावत और कांग्रेस की तरफ़ से रमेश कुमार मैदान में थे. बीजेपी को इस चुनाव में 45.2 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि AAP 35.5 फ़ीसदी वोट पाने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ़ 11.4 फ़ीसदी ही मत मिले थे. यानी अगर 2014 में AAP और कांग्रेस के वोट अगर मिला लिए जाएँ तो वो बीजेपी से ज्यादा था. लेकिन 2019 के चुनाव में ये तस्वीर इस सीट पर भी पूरी तरह से बदल गई. 2019 में बीजेपी के रमेश बिधुरी को 56.8 फ़ीसदी वोट मिले, जो कांग्रेस को मिले 13.6 फ़ीसदी और AAP को मिले 26.5 फ़ीसदी वोट को मिलाकर भी कहीं ज्यादा था. हालाँकि इस चुनाव के ठीक एक साल बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट के 54.4 फ़ीसदी लोगों ने AAP को वोट दिया.

ये तो हुई चुनावी गणित की कहानी, लेकिन कहा जाता है राजनीति सिर्फ़ गणित नहीं होती. ख़ैर अब चुनावी नतीजे बतायेंगे कि इन दोनों दलों के मिलन का कुछ फ़ायदा होता है या एक बार फिर मोदी लहर भारी पड़ती है.

Tags: Aam aadmi party, All India Congress Committee, INDIA Alliance


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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