अजब गजब

उम्र केवल 22 साल, अपने दम पर मर्दों के पेशे में उतरी ये लड़की, मंथली कमाई 1.25 लाख!

निलेश माजीराणा
बनासकांठा: गुजरात को कारोबारी लोगों का प्रदेश कहा जाता है. यहां के लोगों के खून में ही कारोबार बसा है. वे काफी मेहनती होते हैं. उनके लिए कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता. यही कारण है कि देश में कारोबार की दृष्टि से यह राज्य सबसे आगे है. यहीं की एक 22 वर्षीय लड़की ने अपनी मेहनत और हुनर से बड़े-बड़े स्टार्टअप का सपना देखने वाले युवाओं को मात दे दी है. उसने दुनिया की परवाह किए बिना मर्दों के लिए उपयुक्त माने जाने वाले एक पेशे में कदम रखा और आज हर माह करीब 1.25 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमा रही है.

दरअसल, गुजरात के बनासकांठा जिले के ज्यादातर लोग पशुपालन से जुड़े हैं. डिसा के गोगाढाणी गांव की 22 वर्षीय प्रिया माली ने भी इस पारंपरिक बिजनेस में कदम रखा. बिजनेस पारंपरिक था लेकिन उनकी सोच नई थी. वह अपनी सूझबूझ और वैज्ञानिक तरीके के आधार पर प्रति वर्ष लाखों की कमाई कर रही हैं. बदलते समय के साथ खेती में पहले की तरह मुनाफा नहीं है. इस कारण इस जिले के भी अधिकतर लोगों ने पशुपालन की ओर रुख किया. जिले में बनास डेयरी से पशुपालकों को दूध की अच्छी कीमत मिल रही है.

बनासकांठा जिले के डीसा तालुका के मालगढ़, गोगाढाणी की रहने वाली 22 वर्षीय प्रिया लक्ष्मीचंदभाई माली पशुपालन व्यवसाय से जुड़ी हैं. उनका परिवार वर्षों से पारंपरिक खेती से जुड़ा था. लेकिन पारंपरिक खेती में अच्छा मुनाफा नहीं मिलने पर परिवार पशुपालन से जुड़ गया. उन्होंने पशुपालन की शुरुआत सिर्फ पांच पशुओं से की थी. इससे वे प्रतिदिन 10 से 15 लीटर दूध ही गांव की डेयरी में सप्लाई कर पाते थे. समय के साथ आज उनके पास 35 मवेशी हैं.

प्रिया के पास 35 गायें
प्रिया के पास आज 35 गायें हैं. इसमें से 12 गायें दूध दे रही हैं. वे हर दिन गांव की डेयरी में 120 से 130 लीटर दूध की सप्लाई करती है. हर गाय औसतन 10 किलो दूध देती है. फिलहाल डेयरी फैट के हिसाब से दूध का दाम 30 से 35 रुपये देती है. महीने में प्रिया करीब 3600 लीटर की दूध की सप्लाई कर देती है. इस तरह 35 रुपये के हिसाब से वह करीब 1.26 लाख रुपये की दूध बेच देती है. प्रिया बताती है कि मवेशियों के चारे और अन्य चीजों पर करीब 50% खर्च हो जाता है. इस तरह वह कम से कम हर माह 60 से 65 हजार रुपये की शुद्ध बचत कर लेती है.

22 वर्षीय प्रिया माली ने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. इसके बाद वह अपने परिवार के पशुपालन के व्यवसाय के साथ जूड़ गई. अभी प्रिया की मदद पूरा परिवार कर रहा है. उनके परिवार में 6 सदस्य हैं. प्रिया बताती है कि पहले जब पांच में से एक गाय की मौत हो गई तो दूध और आमदनी में कमी आ गई थी. इसके बाद भी कई कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद उन्होंने बिना हिम्मत हारे पशुपालन का व्यवसाय जारी रखा और आज काफी अच्छी कमाई हो रही है.

Tags: Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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