अजब गजब

पैसों की तंगी, घरवालों का विरोध, कभी मोची की ली मदद, फिर 4 जोड़ी जूते से खड़ा किया 600 करोड़ का मेगा एंपायर

नई दिल्ली. आज हम जिनकी सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं, उस ब्रांड का नाम तो लगभग सभी लोगों ने सुना होगा. लेकिन उसे को बनाने वाले को बहुत कम लोग ही जानते होंगे. हम बात कर रहे हैं, सभी के चहेते फुटवियर ब्रांड लिबर्टी की, जो आज करोड़ों का साम्राज्य है. इस साम्राज्य को 1944 में पीडी गुप्ता और डीपी गुप्ता ने चार जोड़ी जूतों से शुरू किया था. दोनों भाइयों की हरियाणा के करनाल में कमेटी चौक पर पाल बूट हाउस नाम से दुकान थी. क्यों‌ंकि उस समय हाथ से जूते बनाए जाते थे, इसलिए सारा दिन में मोची सिर्फ चार जोड़ी जूते ही बना पाते थे और उन्हीं को बेचकर दोनों भाई परिवार का खर्च चलाते थे.

देश को आजाद होने के बाद लिबर्टी की नींव पड़ी है और इसके नाम का कनेक्शन भी उस दौर के हालातों से रहा. हरियाणा के करनाल से लिबर्टी शू लिमिटेड की शुरुआत भी स्वदेशी उत्पाद को बढ़ावा देने के तौर पर हुई थी. इसका मकसद देश के लोगों को बेहतर प्रोडक्ट और उन्हें विदेशी ब्रैंड से आजादी दिलाना था. आजादी के बाद धीरे-धीरे देश में कॉर्पोरेट कल्चर को बढ़ावा मिलने लगा था.

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कुछ ऐसे शुरू हुई है लिबर्टी कहानी
पीडी गुप्ता और डीपी गुप्ता जूतों की एक दुकान ‘पाल बूट हाउस’ चलाया करते थे. चार जोड़ी जूते इनके यहां रोज बना करते थे. उनके इस कारोबार का सबने मजाक उड़ाया, यहां तक कि घर वालों ने भी विरोध किया. जब 1954 में इनके भांजे राजकुमार बंसल ने व्यापार में प्रवेश किया, तो कुछ मशीनें खरीदी गईं, और ज्यादा जूते बनने लगे. नाम रखा गया ‘लिबर्टी शूज’. इसके बाद यह सफर कभी नहीं रुका. तीस साल से भी कम समय में इस कंपनी के नाम के आगे ‘पब्लिक लिमिटेड’ जुड़ गया. चार जोड़ी जूते रोज बनाने से शुरू हुई कहानी आज 50,000 जोड़ी रोज पर आ चुकी है.

1990 में लॉन्च किया सब-ब्रांड
1990 के दौर को कंपनी ने खूब भुनाया जब कैजुअल फुटवियर का चलन तेजी से बढ़ा था. इसी वक्त इन्होंने ‘फोर्स 10’ लॉन्च किया, यह कंपनी का पहला सब-ब्रांड था. वक्त के साथ यह कंपनी का फ्लैगशिप ब्रांड साबित हुआ. इसी की सफलता ने कंपनी को 9 और सब-ब्रांड्स शुरू करने का हौसला दिया. अब यह भारत की सेकंड लार्जेस्ट फुटवियर कंपनी बन चुकी थी, पहले नंबर पर ‘बाटा’ थी.

कई देशों में फैला है कारोबार
इसके साथ ही कंपनी का कारोबार आज अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और खाड़ी देशों में फैला हुआ है. शुरूआत 1964 में हंगरी से मिले ऑर्डर के साथ हुई. इसके बाद विस्तार होता चला गया. इस बीच एक वक्त ऐसा आया, जब कंपनी को अपनों के विरोध का सामना करना पड़ा. इस मुश्किल वक्त में भी दोनों भाइयों ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते चले गए. जिसका परिणाम आज सभी के सामने है. आज लिबर्टी में 4 हजार कर्मचारी और 15 हजार एसोसिएट कर्मचारी काम करते हैं. कंपनी के दुनिया भर में 407 आउटलेट्स हैं. अकेले भारत में 150 डिस्ट्रीब्यूटर हैं.

Tags: Success Story, Success tips and tricks, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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