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Delhi Pollution: कितना और बढ़ा प्रदूषण तो रहने लायक नहीं बचेगी दिल्लीं? एक्‍सपर्ट से जानें

हाइलाइट्स

दिल्‍ली के अधिकांश हिस्‍सों में एयर क्‍वालिटी सीवियर जबकि कुछ में खतरनाक केटेगरी में पहुंच चुकी है.
यहां रह रहे लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्‍कत और दम घुटने की समस्‍याएं हो रही हैं.

How Dangerous is Delhi air Pollution: दिल्‍ली में प्रदूषण स्‍तर लगातार बढ़ रहा है. शहर के अधिकांश हिस्‍सों में एयर क्‍वालिटी सीवियर केटेगरी में पहुंच गई है जबकि कुछ हिस्‍सों में हालात इतने खराब हैं कि लोगों का दम घुट रहा है और सांस लेने में ऑक्‍सीजन के बजाय धुआं अंदर जा रहा है. गुरुवार को आनंद विहार में एक्‍यूआई 999 दर्ज किया गया है. इतने भीषण हालात में कुछ लोग दिल्‍ली को छोड़कर अन्‍य जगहों पर चले गए हैं लेकिन बड़ी आबादी अभी भी राजधानी में रहने को मजबूर है. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल है कि इतने प्रदूषण स्‍तर के बावजूद क्‍या दिल्‍ली अभी भी रहने लायक बची है? या अभी कितना और प्रदूषण बढ़ने पर दिल्‍ली में रहना जानलेवा हो जाएगा और लोगों को इसे छोड़कर जाना पड़ेगा. आइए जानते हैं एक्‍सपर्ट से इसका जवाब…

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की एयर पॉल्‍यूशन यूनिट में एसोसिएट एक्‍सपर्ट विवेक चट्टोपाध्‍याय का कहना है कि दिल्‍ली में प्रदूषण गंभीर हो चुका है. वहीं आनंद विहार जैसी कई जगहों पर तो एयर क्‍वालिटी खतरनाक हो चुकी है और इन जगहों पर इमरजेंसी के हालात हैं. यहां रहना और घरों से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है. यहां सरकार को लोकल स्‍तर पर हेल्‍थ एडवाइजरी जारी करनी चाहिए.

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विवेक कहते हैं कि दिल्‍ली में प्रदूषण तो बढ़ ही रहा है वहीं यहां पॉल्‍यूशन कंट्रोल के प्रयास भी विफल साबित हो रहे हैं. ऐसे में सरकार को कम से कम उन जगहों पर जहां एक्‍यूआई खतरनाक हो चुका है, वहां घोषित कर देना चाहिए कि इन हिस्‍सों में कुछ दिन लोग न रहें. अगर रह रहे हैं तो इन नियमों का पालन करें.

चट्टोपाध्‍याय कहते हैं कि हैरानी की बात है कि दिल्‍ली में जो भी पॉल्‍यूशन मॉनिटरिंग यूनिट लगाई गई हैं उनमें से अधिकांश में मैक्सिमम एक्‍यूआई 1000 तक ही दर्ज हो पाता है. कुछ में 1200 तो कुछ में 1500 तक भी मॉनिटर हो सकता है. हालांकि एक्‍यूआई 999 दर्ज होने के बाद आनंद विहार पूरी तरह ब्‍लैक हो चुका है. एक्‍यूआई 999 पहुंच गया है तो यह खतरनाक है.

क्‍या रहने लायक नहीं बची दिल्‍ली? 
विवेक कहते हैं कि कई साइंटिफिक स्‍टडीज और विदेशों में एयर क्‍वालिटी के नियमानुसार अगर किसी इलाके में पीएम 2.5 की मात्रा 500 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर से ज्‍यादा हो गई है तो उस जगह पर रहना जानलेवा है. उस इलाके को अवॉइड करना चाहिए.

जहां तक दिल्‍ली की बात है तो आधी से ज्‍यादा दिल्‍ली में एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स 500 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर से ऊपर पहुंच चुका है. यहां पार्टिकुलेट मैटर 2.5 की मात्रा भी 500 के आसपास देखी जा रही है. आनंद विहार ही नहीं बल्कि नोएडा के कई इलाकों में भी एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स 700 के आसपास पहुंच गया है. ऐसे में प्रदूषण के और बढ़ने की जरूरत नहीं बल्कि अभी भी दिल्‍ली में रहना सेहत के लिए नुकसानदेह है. एयर क्‍वालिटी में तत्‍काल सुधार होना चाहिए. प्रदूषण को घटाने के उपाय होने चाहिए.

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Tags: Air pollution, Delhi pollution


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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