मध्यप्रदेश

3 साल के मूकबधिर लव्यांश की हुई कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी | Cochlear implant surgery for 3-year-old deaf child

भोपाल14 मिनट पहले

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सुनने में अक्षम एक बच्चे को उसके तीसरे जन्मदिन पर तोहफे के रूप में सुनने की शक्ति मिली। रायसेन के रहने वाले 3 साल के लाव्यांश कुश्वाह पैदाइशी मूकबधिर थे। लंबे समय से लव्यांश के माता पिता उसके बोलने का इंतजार कर रहे थे। शनिवार को शहर के दिव्य एडवांस ईएनटी क्लीनिक में उसका कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी डॉ. एसपी दुबे ने की। सफल सर्जरी के बाद अस्पताल में केक काटकर उसका जन्मदिन भी मनाया गया। बताया जा रहा है कि अब बच्चा सामान्य बच्चों की तरह सुन और बोल सकेगा। यह इंप्लांट मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के तहत मुफ्त हुआ। डॉ. एसपी दुबे ने बताया कि कॉक्लियर इंप्लांट में साढ़े छह लाख खर्च आता है। इसके अलावा लव्यांश के पिता दीपक कुश्वाह ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि अब हम खुश हैं क्याेंकि लव्यांश पहली बार आवाज सुनेगा।

तीन महीने पहले आया था बच्चा
डॉ. एसपी दुबे ने बताया कि हमने लव्यांश कुश्वाह की सभी तरह की जांचों के बाद पता चला वह जन्मजात से ही मूकबधिर है। जिसके बाद उसके परिवार वालों ने मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना में रायसेन से अप्लाई किया। जिसके बाद शनिवार को लव्यांश का ऑपरेशन किया गया।

एक महीने बाद सुनने लगेगा लव्यांश
डॉ. एसपी दुबे ने बताया कि सर्जरी के बाद करीब दस दिन बाद बच्चे के टांके निकाले जाएंगे। फिर करीब 30 दिन के बाद मशीन का दूसरा यानी बाहरी हिस्सा फिट किया जाएगा। फिर बच्चे को पहली बार सुनाई देने लगेगा। फिर साल भर सप्ताह में तीन दिन बच्चे की ऑडियो वर्बल थैरेपी चलेगी । जो लव्यांश को बोलने एवं सुनने में मदद करेगी।

सर्जरी के बाद लव्यांश अपनी मां के साथ।

भोपाल में हो चुकी है 1200 अधिक सर्जरी
डॉ. एसपी दुबे ने बताया कि हमारे सेंटर पर अभी तक कॉक्लियर इंप्लांट की 800 से अधिक सर्जरी की जा चुकी हैं। वहीं भोपाल में यह आंकड़ा 1200 से अधिक है। इसके अलावा प्रदेश में कॉक्लियर इंप्लांट की 2000 से अधिक ऑपरेशन हो चुके हैं। डॉ. दुबे के अनुसार, प्रदेश में लगभग 20 सेंटर हैं, जहां मुख्य बाल श्रवण योजना के तहत यह सर्जरी मुफ्त होती है।

क्या होता है कॉक्लियर इंप्लांट
कॉक्लियर इंप्लांट एक छोटा, इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल उपकरण है। जो कान से कम सुनाई देने से पीड़ित लोगों की मदद करता है। यह लोगों को गंभीर संवेदी बहरापन या सेंसरीन्यूरल बहरापन की स्थिति में आवाज़ को सुनने में मदद करता है। इस उपकरण के उपयोग की सलाह आमतौर पर तब दी जाती है जब पारंपरिक कान की मशीन लाभ नहीं देती है।

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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