मध्यप्रदेश

Rebellion in BJP on 10 out of 39 seats lost, Amit shah, shivraj singh choudhan, MP BJP, BJP NEWS | कांग्रेस के टिकट तय नहीं, मौजूदा विधायक खुद को मान रहे उम्मीदवार; कई सीटों पर 2018 जैसा गणित

भोपाल39 मिनट पहलेलेखक: संतोष सिंह

  • कॉपी लिंक

मध्यप्रदेश में भाजपा ने हारी हुई जिन 39 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें से 10 पर बगावत के सुर तेज हो गए हैं। पिछले चुनाव में बागियों ने भाजपा के समीकरण बिगाड़ दिए थे। लिहाजा इस बार वरिष्ठ नेताओं को डैमेज कंट्रोल में लगाया गया है। इसके बावजूद कुछ सीटों पर असंतुष्टों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा तक कर दी। कुछ इंतजार में हैं।

भाजपा की पहली सूची में घोषित 39 उम्मीदवारों में से सबसे पहली प्रतिक्रिया पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे की आई। उन्हें शहपुरा सीट से प्रत्याशी बनाया है। धुर्वे शहपुरा की बजाय डिंडौरी से टिकट मांग रहे हैं। वहीं, पिछले चुनाव में बागी बने और पार्टी छोड़ चुके लोगों को टिकट देने पर भी कई सीटों पर भाजपा में नाराजगी सामने आ रही है।

बागी भाजपा की चुनावी रणनीति पर कितना असर डालेंगे? पिछली बार इन 39 सीटों में कहां बगावत हुई थी? कांग्रेस की ओर से कौन चेहरा होगा? दैनिक भास्कर के मंडे स्पेशल में पढ़ें ये पूरी रिपोर्ट…

39 सीटों के लिए आई बीजेपी की पहली लिस्ट में पिछली बार चुनाव लड़ चुके 16 लोगों के टिकट काटे गए हैं। इन सीटों पर ही सबसे अधिक विरोध के स्वर भी सुनाई पड़ रहे हैं। पार्टी के घोषित प्रत्याशियों को लेकर बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल अंचल और मालवा-निमाड़ में एक गुट नाराज है।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर-चंबल में होने वाले बगावत के सुरों को साधने की कोशिश की है। लेकिन दावेदार खामोश हैं। वो मान गए हैं या फिर समय के इंतजार में है, इसे लेकर पार्टी आशंकित है।

पार्टी की एक महिला नेत्री तो इतने गुस्से में है कि उन्होंने सर्वे पर ही सवाल खड़े कर दिए। बोलीं- ये कैसा सर्वे कि मेरी सीट पर ऐसी महिला को टिकट दे दिया गया, जो पिछले पंचायत चुनाव में मुझसे हार गई थी।

झाबुआ में तो पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष धन सिंह बारिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने पार्टी पर भाई-भतीजावाद का गंभीर आरोप लगाया। कहा कि संगठन कहता है कि परिवारवाद नहीं चलेगा तो झाबुआ में बुआ-भतीजे कैसे प्रत्याशी बन गए?

सबसे पहले पढ़ते हैं कहां बगावत के सुर सबसे ज्यादा है…

शहपुरा: 34 हजार वोटों से हारे धुर्वे बोले, मेरी तैयारी तो डिंडौरी से

डिंडौरी जिले की शहपुरा सीट से भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश धुर्वे का नाम घोषित होते ही वहां सवाल खड़े हो गए हैं। सवाल खड़ा किया है खुद धुर्वे ने। उन्होंने कहा मैं एक साल से डिंडौरी से तैयारी कर रहा हूं। अपनी बात पार्टी फोरम पर रखूंगा।

समीकरण: 2018 में कांग्रेस यहां काफी मजबूत थी। कांग्रेस के युवा प्रत्याशी भूपेंद्र मरावी ने धुर्वे को एकतरफा मुकाबले में हरा दिया था। माना जा रहा है कि यहां मरावी को कांग्रेस फिर से मौका देगी। इसका संकेत उन्हें मिल भी गया है। इधर धुर्वे पशोपेश में है।

चाचौड़ा: 9 हजार वोट से हारी ममता ने भाजपा के सर्वे पर उठाया सवाल

गुना जिले की चाचौड़ा सीट से प्रियंका मीणा के नाम पर पूर्व विधायक ममता मीना ने सवाल उठाए हैं। ममता बोली कि पार्टी कार्यकर्ताओं से बिना पूछे पैराशूट प्रत्याशी उतार दिया। वो पंचायत चुनाव में मेरे से 235 सीटों से हार गई थीं। उनके देवर भी चुनाव हार गए। 21 अगस्त को पार्टी कार्यकर्ताओं से चर्चा कर अगला कदम उठाऊंगी।

समीकरण: 2018 में कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह ने भाजपा की ममता मीना को हरा दिया था। ये कांग्रेस की मजबूत सीट मानी जाती है। माना जा रहा है कि कांग्रेस लक्ष्मण सिंह को ही फिर से टिकट देगी। वे क्षेत्र में सक्रिय हैं। अब निगाहें बीजेपी की ममता मीना पर है कि उनका अगला कदम क्या होगा?

सबलगढ़: 9 हजार वोटों से हारी सरला को लेकर एक धड़ा नाराज

मुरैना की सबलगढ़ सीट से पार्टी ने पिछली बार तीसरे स्थान पर रही सरला विजय रावत को प्रत्याशी बनाया है। इसे लेकर भाजपा के प्रदेश महामंत्री रणवीर सिंह रावत के बेटे आदित्य की पीड़ा दिखाई दे रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा “पहले 2018, फिर राज्यसभा चुनाव, अब फिर नजरअंदाज।” बाद में यह पोस्ट डिलीट कर दी। रणवीर सिंह ने सफाई दी “पार्टी का निर्णय उचित है। प्रत्याशी सरला को शुभकामनाएं।”

समीकरण: 2018 में कांग्रेस के बैजनाथ कुशवाह ने बसपा के लाल सिंह केवट और भाजपा के सरला विजय रावत को हराया था। इस सीट पर बसपा का अच्छा आधार है। बसपा प्रत्याशी यहां तय करेगा कि कौन जीतेगा? कांग्रेस की ओर से इस बार भी बैजनाथ कुशवाह क्षेत्र में सक्रिय हैं।

सोनकच्छ: 9 हजार वोटों से हारे वर्मा बोले पार्टी ने नाइंसाफी की

देवास की सोनकच्छ सीट से भाजपा ने इस बार इंदौर भाजपा के ग्रामीण अध्यक्ष राजेश सोनकर को टिकट दिया है। राजेश सोनकर इंदौर की सांवेर सीट से विधायक रह चुके हैं। इस सीट से अभी तुलसी सिलावट विधायक हैं।

सोनकर को टिकट मिलने पर पूर्व विधायक राजेंद्र वर्मा की नाराजगी दिखाई दी। उन्होंने कहा कि 23 हजार वोटों से हारे पूर्व मंत्री लाल सिंह सहित दूसरे लोगों को टिकट मिल गया। मेरे साथ ही नाइंसाफी क्याें?

समीकरण: 2018 में कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा ने भाजपा के राजेंद्र वर्मा को हराया था। उनकी पकड़ यहां मजबूत बताई जाती है। कांग्रेस के बड़े नेता हैं। इस बार भी उन्हें टिकट मिलना तय माना जा रहा है।

बंडा: 24 हजार वोटों से हारी थी भाजपा, नए प्रत्याशी का विराेध

सागर की बंडा सीट पर पार्टी की ओर से इस बार पूर्व सांसद शिवराज सिंह लोधी के बेटे वीरेंद्र सिंह लम्बरदार को टिकट दिया गया है। इस पर यहां से दावेदारी कर रहे भाजपा नेता रंजोर सिंह और उनके समर्थकों ने प्रदर्शन कर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के खिलाफ नारे लगाए। शाहगढ़ में रैली भी निकाली।

समीकरण: कांग्रेस के तरबर सिंह ने भाजपा के हरवंश सिंह राठौर को एकतरफा मुकाबले में हराया था। पार्टी एक बार फिर तरबर सिंह को ही मैदान में उतारने की तैयारी में है। बंडा कांग्रेस की मजबूत सीटों में है।

छतरपुर: साढ़े तीन हजार वोटाें से हारी भाजपा ने बदला चेहरा

छतरपुर शहर की इस सीट पर पार्टी ने पूर्व विधायक ललिता यादव को टिकट दिया है। उनका विरोध पूर्व जिलाध्यक्ष पुष्पेंद्र प्रताप सिंह गुड्डू के समर्थक कर रहे हैं। वे पुष्पेंद्र की पत्नी पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष रही अर्चना सिंह की दावेदारी खारिज होने से नाराज हैं।

समीकरण: कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी “पज्जन भईया” ने कड़े मुकाबले में अर्चना गुड्‌डू सिंह को हराया था। इस बार भी पार्टी आलोक चतुर्वेदी को ही चेहरा बनाने का संकेत दे चुकी है।

महाराजपुर: 14 हजार वोटों से हारे मानवेंद्र के बेटे की खिलाफत

छतरपुर जिले की महाराजपुर सीट से प्रत्याशी बने पूर्व विधायक मानवेंद्र सिंह के बेटे कामाख्या प्रताप सिंह की मुखालफत शुरू हो गई है। पार्टी के एक गुट ने विरोध में उनका पुतला दहन किया। यहां के स्थानीय कार्यकर्ता इस बात से नाराज हैं कि एक बार फिर टिकट राजघराने को ही दे दी गई।

समीकरण: कांग्रेस के नीरज विनोद दीक्षित ने भाजपा के मानवेंद्र सिंह को बड़े अंतर से हराया था। इस बार भी नीरज दीक्षित को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। यहां बसपा का भी बड़ा जनाधार है। पिछली बार उसे 27 हजार वोट मिले थे।

लांजी: 18 हजार वोटों से हारी भाजपा ने चेहरा बदला, फिर भी विरोध

बालाघाट की लांजी सीट से प्रत्याशी बनाए गए राजकुमार कर्राहे का विरोध शुरू हो गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं को गुस्सा इस बात का है कि एक भगोड़े को टिकट दिया गया है। पूर्व विधायक रमेश पटेल यहां से दावेदारी कर रहे थे।

समीकरण: कांग्रेस की हिना कांवरे ने भाजपा के रमेश भटेरे को पिछली बार बड़े मार्जिन से हराया था। वे लिखीराम कांवरे की बेटी हैं। कांग्रेस सरकार में विधानसभा उपाध्यक्ष थीं। इस बार भी उनका टिकट पक्का माना जा रहा है।

झाबुआ: 27 हजार से उपचुनाव में हारे भानु के खिलाफ खोला मोर्चा

झाबुआ जिले के भाजपा जिला अध्यक्ष भानु भूरिया को टिकट मिलते ही पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष धन सिंह बारिया ने बगावत कर कर दी। उन्होंने पार्टी पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। आरोप लगाया कि संगठन कहता है कि परिवारवाद नहीं चलेगा तो झाबुआ में बुआ-भतीजा को कैसे टिकट दे दिया?

समीकरण: कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया ने उपचुनाव 2019 में भानु भूरिया को बड़े अंतर से हराया था। इस बार भी कांतिलाल भूरिया या उनके बेटे विक्रांत भूरिया में से कोई एक चुनाव लड़ेगा।

गोहद: 9 हजार वोटों से हारे रनवीर को ना पर समर्थकों में गुस्सा

भिंड जिले की गोहद सीट से भाजपा ने बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को प्रत्याशी बनाया। इस पर रनवीर जाटव के समर्थक गुस्सा हो गए। दावे किए जाने लगे कि जाटव पार्टी छोड़ सकते हैं। जाटव को मनाने का जिम्मा सिंधिया ने संभाला। बात कर रनवीर के गिले-शिकवे दूर कर लिए गए। उन्होंने सार्वजनिक बयान देकर कहा कि वे पार्टी के निर्णय के साथ हैं।

समीकरण: कांग्रेस के मेवाराम जाटव ने 2020 के उपचुनाव में सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए सीटिंग एमएलए रनवीर जाटव को हराया था। इस बार भी कांग्रेस मेवाराम पर ही दांव लगाने का संकेत दे चुकी है।

अब पढ़िए कांग्रेस कहां-कहां मौजूदा विधायकों को रिपीट करेगी

सुमावली (मुरैना): सिंधिया के समर्थक और 4 बार के विधायक रहे एंदल सिंह कंसाना को 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाह ने 10944 वोटों से हराया था। इस सीट पर बसपा को भी 31 हजार वोट मिले थे। अजब सिंह कुशवाहा के मुताबिक वो क्षेत्र में लगातार जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे टिकट का पक्का भरोसा है।

पिछोर (शिवपुरी): कांग्रेस के केपी सिंह ने प्रीतम लोधी को कड़े मुकाबले में 2675 वोटों से हराया था। दो बार के विधायक केपी को पार्टी की हरी झंडी मिल चुकी है। प्रीतम के सामने वो ही कांग्रेस से चेहरा होंगे।

चंदेरी (अशोक नगर): दो बार से लगातार जीत रही कांग्रेस के सामने भाजपा ने पूर्व विधायक जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को उतारा है। वे 20 साल बाद विधायक का चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस के गोपाल सिंह चौहान पिछली बार भाजपा के बागी राजकुमार सिंह यादव के चलते 4175 वोटों से जीतने में सफल हुए थे। बसपा से लड़े राजकुमार को 34 हजार वोट मिले थे। पिछली बार रनर रहे भाजपा के भूपेंद्र द्विवेदी नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि भाजपा राजकुमार को पार्टी में वापस ला चुकी है। कांग्रेस की ओर से गोपाल ही चेहरा बनाए जा सकते हैं।

पथरिया (दमोह): बसपा की रामबाई ने भाजपा के लखन पटेल को 2205 वोटों से हराया था। तब यहां निर्दलीय राजेंद्र सिंह को 27 हजार वोट मिले थे और वे तीसरे नंबर पर थे। कांग्रेस 25 हजार वोट पाकर चौथे पायदान पर थी। यहां एक बार फिर भाजपा के लखन पटेल का मुकाबला बसपा की रामबाई से होगा। कांग्रेस इस बार ब्रजेंद्र सिंह, लक्ष्मण सिंह और धर्मेंद्र कटारे में किसी एक को टिकट दे सकती है।

गुन्नौर (पन्ना): कांग्रेस के शिवदयाल बागरी ने 2018 में भाजपा के राजेश कुमार वर्मा को करीबी मुकाबले में 1984 वोट से हराया था। यहां बसपा भी एक फैक्टर है। पिछली बार उसे 32 हजार वोट मिले थे। भाजपा के राजेश कुमार वर्मा को इस बार भी कांग्रेस के शिवदयाल बागरी से चुनौती मिलने की उम्मीद है। बागरी को पार्टी ने चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया है।

चित्रकूट (सतना): कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी ने पिछली बार भाजपा के पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार को 10198 वोटों से हराया था। वे 2017 उपचुनाव में भी जीत चुके हैं। पार्टी इस बार भी उन्हें ही चेहरा बनाने के मूड़ में है। इस बार भी यहां मुकाबला भाजपा के सुरेंद्र और कांग्रेस के नीलांशु के बीच देखा जा सकता है। हालांकि यहां बसपा फैक्टर किसी का भी समीकरण बिगाड़ सकती है। पिछली बार बसपा को 24 हजार वोट मिले थे।

पुष्पराजगढ़ (अनूपपुर): कांग्रेस के फुंदेलाल सिंह मार्को ने 2018 में भाजपा के नरेंद्र सिंह मरावी को एकतरफा मुकाबले में हराया था। इस बार भी पार्टी की ओर से उन्हें चुनाव लड़ने का संकेत मिल चुका है। उनका मुकाबला भाजपा से पहली बार प्रत्याशी बनाए गए हीरा सिंह श्याम से होगा। इस सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी अच्छा-खासा जनाधार है। पिछले चुनाव में गोंगपा को 19 हजार वोट मिले थे।

बड़वारा (कटनी): कांग्रेस के विजय राघवेंद्र सिंह ने 2018 में भाजपा के मोती कश्यप को 21360 वोटों के बड़े अंतर से हराया था। इस बार भी पार्टी ने उन्हें चुनाव में उतारने का संकेत दे चुकी है। वे क्षेत्र में लगातार लोगों के बीच जा रहे हैं। उनका मुकाबला इस बार भाजपा के नए चेहरे धीरेंद्र सिंह से होगा।

बरगी (जबलपुर): कांग्रेस के संजय यादव ने 2018 में भाजपा के इस मजबूत गढ़ में सेंध लगाई थी। उन्होंने भाजपा की प्रतिभा सिंह को 17563 वोटों से हराया था। इस बार उनका मुकाबला प्रतिभा सिंह के बेटे नीरज ठाकुर से होगा। संजय के मुताबिक मैं पिछले 5 साल क्षेत्र में सक्रिय रहा। लोगों की समस्याओं को लेकर लड़ता रहा। पार्टी बोल चुकी है कि तुम क्षेत्र संभालो, टिकट की चिंता मत करो।

जबलपुर पूर्व: कांग्रेस के लखन घनघोरिया ने भाजपा के अंचल सोनकर को एकतरफा मुकाबले में पिछली बार 35136 वोटों से हराया था। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे लखन का टिकट इस बार भी पक्का है। वे पूरे पांच साल क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। उनका मुकाबला इस बार भी भाजपा के अंचल से होगा। इस सीट से दोनों दो-दो बार विधायक रह चुके हैं।

बिछिया (मंडला): कांग्रेस के नारायण सिंह पट्‌टा ने 2018 में भाजपा के डॉ. शिवराज साह को एकतरफा लड़ाई में 21388 वोटों से हराया था। वे 2008 में भी यहां से जीत चुके हैं। कांग्रेस इस बार भी उन्हें प्रत्याशी बनाने का संकेत दे चुकी है। इस बार उनका मुकाबला आरएसएस पृष्ठभूमि एवं डॉक्टरी पेशा से आने वाले भाजपा के नए चेहरे डॉ. विजय आनंद मरावी से होगा।

बरघाट (सिवनी): कांग्रेस के अर्जुन सिंह ककोड़िया ने 2018 में भाजपा के नरेश वारखेड़े को करीबी मुकाबले में 7527 वोटों से हराया था। इस बार भी वे टिकट पक्का मानकर क्षेत्र में सक्रिय हैं। भाजपा की ओर से पूर्व विधायक कमल मर्सकोले को प्रत्याशी बनाया गया है।

बैहर (बालाघाट): कांग्रेस के संजय उइके ने भाजपा के अनुपमा नेताम को 2018 में एकतरफा मुकाबले में 16480 वोटों से हराया था। यहां गोंगपा भी एक बड़ा फैक्टर है। तब गोंगपा को 17 हजार वोट मिले थे। कांग्रेस की ओर से संजय उइके को ही चेहरा बनाने का संकेत दिया जा चुका है। भाजपा ने यहां भगत सिंह नेताम को अपना प्रत्याशी बनाया है।

गोटेगांव (नरसिंहपुर): कांग्रेस के नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने पिछली बार भाजपा के सीटिंग एमएलए कैलाश जाटव को रोचक मुकाबले में हराया था। इस बार भी पार्टी उन पर ही दांव लगाने का संकेत दे चुकी है। उनका मुकाबला भाजपा की ओर से उतारे गए नए चेहरे महेंद्र नागेश से होगा।

सौंसर (छिंदवाड़ा): कांग्रेस के विजय रेवनाथ चौरे ने पिछली बार भाजपा के दो बार के विधायक रहे नानाभाऊ माेहोड़ को एकतरफा मुकाबले में 20472 वोटों से हराया था। चौरे के मुताबिक पार्टी ने इस बार भी टिकट का भरोसा देते हुए क्षेत्र में सक्रिय रहने का निर्देश दिया है। बीजेपी ने यहां नानाभाऊ को टिकट दिया है।

पांढुर्णा (छिंदवाड़ा): कांग्रेस के नीलेश पुष्पराम उइके ने 2018 में भाजपा के टीकाराम कोरची को एकतरफा मुकाबले में 21349 वोटों से हराया था। कांग्रेस की ओर से नीलेश को टिकट की हरी झंडी मिल चुकी है। भाजपा ने यहां मजिस्ट्रेट रहे प्रकाश उइके को प्रत्याशी बनाया है।

मुलताई (बैतूल): 2018 में कांग्रेस के सुखदेव पांसे ने भाजपा के राजा पवार को 17250 वोटों के बड़े अंतर से हराया था। इस बार भी कांग्रेस सुखदेव पांसे पर ही दांव लगाने का संकेत दे चुकी है। वे क्षेत्र में सक्रिय भी हैं। भाजपा ने पूर्व विधायक चंद्रशेखर को प्रत्याशी बनाया है। पिछली बार उनका टिकट कटने से भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा था।

भैंसदेही (बैतूल): कांग्रेस के धरमू सिंह सिरसाम ने पिछली बार भाजपा के महेंद्र सिंह चौहान को 30880 वोटों के बड़े अतर से हराया था। महेंद्र यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। उनके पिता और दादा भी विधायक रह चुके हैं। बीजेपी ने इस बार भी उन पर भरोसा जताया है। वहीं कांग्रेस से संकेत मिलने के बाद धरमू सिंह भी क्षेत्र में सक्रिय हैं।

भोपाल उत्तर: कांग्रेस के आरिफ अकील ने 2018 में भाजपा की फातिमा रसूल सिद्दकी को 34857 वोटों से हराया था। आरिफ की उम्र अधिक हो चुकी है। कांग्रेस की ओर से यहां आतिफ, माजिद या नासिर इस्लाम में किसी एक को टिकट मिलेगा। भाजपा ने इस बार पूर्व महापौर आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है।

भोपाल मध्य: कांग्रेस के आरिफ मसूद ने 2018 में भाजपा के सुरेंद्र नाथ सिंह को 14757 वोटों से हराया था। कांग्रेस की ओर से इस बार भी आरिफ मसूद को टिकट की हरी झंडी मिल चुकी है। भाजपा ने इस बार पूर्व विधायक ध्रुव नारायण सिंह को प्रत्याशी बनाया है।

महेश्वर (खरगोन) : कांग्रेस की डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ ने 2018 में भाजपा के भूपेंद्र आर्या को बड़े अंतर से हराया था। वे कांग्रेस सरकार में मंत्री भी बनी थी। इस बार भी उन्हें टिकट मिलना पक्का है। तब भाजपा के दावेदार रहे राजकुमार बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े थे। वे दूसरे स्थान पर थे। उन्हें 47251 वोट मिले थे। यही भाजपा की हार की वजह भी बनी थी।

इस बार भाजपा ने घर वापसी कर चुके राजकुमार मेव को प्रत्याशी बनाया है। इसे लेकर भाजपा के अंदरखाने विरोध के स्वर भी सुने जा रहे हैं, लेकिन कोई खुलकर सामने नहीं आया है। हालांकि चुनाव में भितरघात से इंकार नहीं किया जा सकता है।

कसरावद (खरगोन) : कांग्रेस के सचिन सुभाष यादव ने पिछली बार भाजपा के आत्माराम पटेल को 5539 वोटों से कड़े मुकाबले में हराया था। पिछले दो चुनाव से सचिन यहां से जीत रहे हैं। कांग्रेस से इस बार भी उनका टिकट पक्का है। वे क्षेत्र में लगातार लोगों के बीच जा रहे हैं। भाजपा ने इस बार भी पूर्व विधायक आत्माराम पटेल को उतारा है।

आलीराजपुर : 2018 में कांग्रेस के मुकेश रावत ने भाजपा के नागर सिंह चौहान को एकतरफा मुकाबले में 21962 वोटों से हराया था। इस बार भी कांग्रेस की ओर से मुकेश रावत का टिकट फाइनल है। भाजपा ने भी नागर को उतारा है।

पेटलावद (झाबुआ) : कांग्रेस के वाल सिंह मेड़ा ने भाजपा की निर्मला दिलीप भूरिया को कड़े मुकाबले में 5000 वोटों से हराया था। निर्मला भूरिया चार बार से विधायक रह चुकी है। इस बार भी पार्टी ने निर्मला भूरिया को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस की ओर से इस बार भी मेड़ा पर दांव लगाने का संकेत पार्टी दे चुकी है। मेड़ा क्षेत्र में सक्रिय भी हैं।

कुक्षी (धार) : कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह हनी बघेल ने 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के वीरेंद्र सिंह बघेल को 62930 वोटों के बड़े अंतर से हराया था। इस बार भी कांग्रेस की ओर से सुरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया जाना तय है। भाजपा ने इस बार पूर्व मंत्री रंजना बघेल के रिश्तेदार जयदीप पटेल को टिकट दिया है।

धरमपुरी (धार) : 2018 में कांग्रेस के पांचीलाल मेढ़ा ने भाजपा के गोपाल कन्नौज को 13972 वोटों से हराया था। इस बार भी कांग्रेस की ओर से पांचीलाल मेढ़ा को उतारने की तैयारी है। भाजपा ने यहां पूर्व विधायक कालू सिंह ठाकुर को उतारा है।

राऊ (इंदौर) : कांग्रेस के जीतू पटवारी ने पिछली बार भाजपा के मधु वर्मा को 5703 वोटों के करीबी अंतर से हराया था। इस बार भी जीतू पटवारी को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। भाजपा ने भी मधु वर्मा पर ही दांव लगाया है। मधु वर्मा को पिछली बार महज 15 दिन का वक्त प्रचार करने को मिला था।

तराना (उज्जैन) : कांग्रेस के महेश परमार ने 2018 में भाजपा के अनिल फिरोजिया को कड़े मुकाबले में 2209 वोटों से हराया था। फिरोजिया अब सांसद बन चुके हैं। भाजपा ने 20 साल पहले विधायक रहे ताराचंद गोयल पर दांव लगाया है। कांग्रेस की ओर से इस बार भी महेश परमार को टिकट मिलने का संकेत मिल चुका है।

घटि्टया (उज्जैन) : 2018 में कांग्रेस के रामलाल मालवीय ने भाजपा के अजीत प्रेमचंद गुड्‌डू को 4628 वोटों से हराया था। कांग्रेस से इस बार भी मालवीय को ही टिकट देना तय माना जा रहा है। रामलाल के मुताबिक पार्टी के संकेत के आधार पर वे क्षेत्र में सक्रिय हैं। वहीं भाजपा से इस बार यहां सतीश मालवीय को उम्मीदवार बनाया है।


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!