Son of illiterate parents became ras – News18 हिंदी

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. कहते हैं कि अगर हौंसले बुलंद हों तो उसे कोई पछाड़ नहीं सकता है. इसी बात को सच साबित कर दिखाया है पश्चिम राजस्थान के बाड़मेर जिले के भीमड़ा गांव के पवन प्रजापत ने. पवन ने न केवल घर-घर जाकर सब्जियां बेचकर अपने परिवार का गुजारा चलाया बल्कि जोधपुर में महज 50 रुपए में मजदूरी भी की है.पवन प्रजापत की जिंदगी बचपन से ही संघर्ष भरी रही है. वो बचपन में घर घर जाकर सब्जियां बेचा करते थे.
इसके बाद वो जोधपुर में एक फैक्ट्री में मजदूरी करते थे.लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी भी हार नहीं मानी. भीमड़ा गांव निवासी पवन प्रजापत ने 170वी रैंक के साथ आरएएस परीक्षा पास की है. बचपन से प्रजापत का जीवन संघर्ष भरा रहा है. गांव की सरकारी स्कूल में पांचवी उतीर्ण करने के बाद पवन कुमार के जीवन मे संघर्ष का दौर शुरू हो गया.
आर्मी में लगी चपरासी की नौकरी
गांव में 10वी तक पढाई के दौरान जब भी समय मिलता पवन घर से 9 किलोमीटर दूर बाटाडू गांव पहुंचते और वहां से एक सब्जी व्यापारी से सब्जी खरीदकर गांव में ढाणी-ढाणी जाकर सब्जियां बेचेते थे. इसी से पवन के घर का गुजारा चलता था. दसवीं के बाद 4 माह जोधपुर में 50 रुपये प्रतिदन के हिसाब से फैक्ट्री में मजदूरी की. बारहवीं करने के बाद बीए प्राइवेट की और फिर 2012 में आर्मी में चपरासी की नौकरी लग गई लेकिन जॉइन नही किया. इसके बाद साल 2013 में रेलवे में गनमैन लग गए.
2014 में पटवारी में हुआ चयन
इसके बाद साल 2014 में पटवारी में चयन हो गया. इसके बाद पवन आरएएस की तैयारी में जुट गए. इसके साथ ही साल 2016 में पवन का एलआरओ पद पर चयन हो गया. साल 2018 में आरएएस का पहला एक्जाम दिया लेकिन सफल नही हो पाए. इसके बाद भी हार नही मानी और अपने संघर्ष को जारी रखा और 2021 की भर्ती परीक्षा में जमकर मेहनत की और आखिरकार दूसरे प्रयास में 170वी रैंक के साथ पवन का आरएएस में चयन हो गया है. पवन प्रजापत बताते है कि उनका बचपन कठिनाइयों भरा रहा है,उनके माता-पिता किसान और निरक्षर है. हर इंसान की अलग अलग परिस्थितियां होती है लेकिन उन हालातों में इंसान को टूटना नही चाहिए.
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Tags: Barmer news, Local18, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : March 11, 2024, 10:36 IST
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