home for school | बुजुर्ग महिला ने स्कूल के लिए दान दिया सरकार से मिला आवास

शिवपुरी14 मिनट पहले
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शिवपुरी सर्वशिक्षा अभियान के सहायक यंत्री सतीश निगम के मुताबिक, विस्थापन के दौरान यहां के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया। अब ऐसे में सरकार दूसरा भवन इतनी जल्दी बनाकर नहीं दे सकती। झोपड़ी में रहती बुजुर्ग शीला
नरेंद्र शर्मा
प्रदेश सरकार आदिवासियों के कल्याण के लिए बजट की कमी नहीं आने देने का दावा तो करती है, लेकिन हकीकत जुदा है। दरअसल, नेशनल पार्क सीमा में स्थित फार्म का पुरा मामाैनी गांव है। यहां के 150 आदिवासी परिवारों को शिवपुरी-ग्वालियर फोरलेन पर सतनवाड़ा के पास विस्थापित किए 9 साल हो चुके हैं, लेकिन इन परिवारों के 51 बच्चों काे पढ़ने के लिए आज तक स्कूल भवन नहीं मिल पाया है।
इन बच्चों का पढ़ाई से वंचित होने का दर्द सरकार ने भले ही न समझा हो, लेकिन इसी गांव की बुजुर्ग महिला ने जरूर नजीर पेश की है। इन महिला को जो प्रधानमंत्री आवास रहने के लिए मिला था, वह उन्होंने बच्चों को पढ़ाई के लिए प्राथमिक विद्यालय को दान दे दिया है। अब बुजुर्ग महिला खुद झोपड़ी में रहकर जीवन बिता रही हैं।
हालांकि इस पहल के बाद भी इस भवन में सिर्फ पहली और दूसरी कक्षा के बच्चे ही पढ़ पा रहे हैं, क्योंकि कक्षा एक से पांचवीं तक की पढ़ाई के लिए पांच कमरे चाहिए। हालांकि जनवरी 2023 में 4.25 लाख रुपए की लागत से स्कूल में अतिरिक्त एक कक्ष अभी बन रहा है, लेकिन बजट न मिलने के कारण वह भी अधूरा पड़ा है। ग्राम फार्म का पुरा मामौनी वैसे तो आदिवासी बहुल गांव है। यहां के शासकीय प्राइमरी स्कूल में 51 बच्चे पढ़ रहे हैं। यहां दो शिक्षक रोजाना गांव में बच्चों को पढ़ाने पहुंचते हैं। पढ़ाई के लिए स्कूल भवन न होने के बाद भी यहां के 5 बच्चों का चयन नवोदय विद्यालय के लिए हुआ है।
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