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Russia what lies for the West and US in its new foreign policy

हाइलाइट्स

यूक्रेन युद्ध केबाद से रूस की अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थिति बदल गई है.
नई विदेश नीति में इस बदलाव की स्पष्ट झलक दिखाई दे रही है.
रूस ने पश्चिमी देश खास तौर पर अमेरिका को अपने लिए खतरा बताया है.

रूस ने अपनी नई विदेश नीति का ऐलान कर दिया है जिस पर हाल ही में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मुहर ला दी है. उम्मीद के मुताबिक रूस ने भारत को वैश्विक मंच पर भारत और चीन को प्रमुख साथियों का दर्जा दिया है. दोनों ही देशों से, विशेष तौर  पर भारत से रूस के पिछले कुछ समय से राजनयिक, कूटनीतिक, सैन्य और आर्थिक संबंधों में गहराई नजर आई है. लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद रूस का पश्चिमी देशों का क्या रुख इस पर पूरी दुनिया की निगाहे हैं क्योंकि यह आने वाले समय में वैश्विक भूराजनैतिक और भूरणनीतिक हालातों की परिभाषा निर्धारित करने में सक्षम होगा.

पश्चिम से टकराव का असर
42 पन्नों के दस्तावेज में यूक्रेन विवाद से पहले के रूसी नजरिए में अब एक स्पष्ट बदलाव देखने को मिला है और पश्चिम से टकरावपूर्ण स्थितियों को देखते हुए उम्मीद के मुताबिक रूस का रुख की झलक दिखाई दे रही है. रायटर्स के अनुसार रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने राष्ट्रपति पुतिन को दस्तावेज सौंपते हुए कहा कि उनका देश “अमित्र देशों” अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है.

यूक्रेन युद्ध ने लाए हैं बदलाव
लावरोव के मुताबिक यूक्रेन में मॉस्को के अनुसार शुरू हुए विशेष सैन्य ऑपरेशन ने दुनिया के मामलों में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं और अब उन्हें रूस की प्रमुख विदेश नीति में प्रतिबिम्बित होने की जरूरत है. उन्होंने साफ काह कि रूस के पश्चिमी शत्रु “रूस को हर संभव प्रयास से कमजोर” करने का प्रयास कर रहे हैं.

अमेरिका के प्रति नया नजरिया
इस दस्तावेज में अमेरिका को स्पष्ट तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्थायित्व के लिए खतरा माना गया है. और साथही उसे रूसी विरोधी दिशा का प्रेरक करार दिया गया है. लेकिन इसके साथ ही इसमें यह मंशा भी जताई गई है कि वह अमेरिका के साथ शांतिपूर्ण अस्तित्व और हितों में संतुलन की अपेक्षा करता है. दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि रूस अमेरिका से रणनीतिक स्थायित्व कायम करना चाहता है.

रूस की विदेश नीति में यूक्रेन संकट का सबसे ज्यादा प्रभाव दिखाई दे रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

बदलते हालात की जरूरत
इस नीति में सबसे खास बात यह रही कि फरवरी में ही रूस ने अमेरिका के साथ न्यू स्टार्ट ट्रीटी खत्म करने के बाद भी रूस ने अमेरिका के साथ स्थिरता कायम करने पर जोर दिया है. वहीं पुतनि ने भी कहा कि ज्यादा बदलते हालात की वजह से रूस को अपनी अंतरराष्ट्रीय नीति में परिवर्तन करने की जरूरत बहुत अधिक हो गई थी.

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पश्चिम की प्रतिक्रिया
रूस की इस नीति को 31 मार्च पर अपनाया गया है और इस पर यूके के विदेश, कॉमनवेल्थ डेवलपमेंट ऑफिस ने रूसी विदेश मंत्रालय के ट्वीट को शेयर करते हुए लिखा है कि कल अप्रैल फूल का दिन है. वहीं पश्चिमी मीडिया ने भी इस पर पश्चिमी देशों के लिए विरोधी नीति और अमेरिका विरोधी कहा है.

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इस नीति से साफ पता चलता है कि अब भारत का अंतरराष्ट्रीय महत्व कितना बढ़ गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

भारत की बढ़ी अहमियत
वहीं दूसरी तरफ भारत और चीन के लिहाज से यह नीति अच्छी मानी जा रही है. इसमें भी रूस में भारत को बहुत ज्यादा अहमियत ही है और कहा है कि भारत पश्चिमी देशों की वर्चस्ववादी रवैये को रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकता है. दस्तावेज में कहा गया है कि रूस दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और तकनीकी संबों को मजबूत करने पर जोर देगा.

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दस्तावेज से साफ है कि भारत की अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में कितनी बड़ी अहमियत होती जा रही है. वहीं  यह भी गौर करने वाली बात है कि हाल ही मे चीन और रूस भी दशकों बाद करीब आए हैं. साम्यवादी देश होने के बाद भी दोनों देशों के रास्ते अलग हो गए थे जब 1960-70 के दशक के दौरान चीन ने सोवियत नेतृत्व को छोड़ अपने लिए अलग रास्ता अपनाया था. लेकिन अभी दोनों एक दूसरे के केवल महत्वपूर्ण सहयोगी के तौर पर साथ आए हैं.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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