स्मार्टफोन से तीन दिन की दूरी से ब्रेन एक्टिविटी में सुधार: जर्मन शोध

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जर्मन शोधकर्ताओं ने पिछले दिनों स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल पर एक शोध किया. उन्होंने एक दिलचस्प निकाला कि युवा लोग अगर केवल तीन दिनों के लिए स्मार्ट फोन का इस्तेमाल छोड़ दें तो उनके ब्रेन का क्या होगा.
हाइलाइट्स
- स्मार्टफोन से 3 दिन दूर रहने पर ब्रेन रिसेट हो सकता है.
- स्मार्टफोन से दूरी मस्तिष्क की संरचना में बदलाव ला सकती है.
- ब्रेन को आराम देने से आत्म-नियंत्रण और ध्यान में सुधार होता है.
इसमें तो कोई शक ही नहीं कि स्मार्ट फोन के बगैर जिंदगी चल ही नहीं सकती. यंग जेनरेशन तो बिना इसके रह ही नहीं सकती. ये उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है. जर्मन शोधकर्ताओं ने एक दिलचस्प और चौंकाने वाली रिसर्च की. जिसमें बताया गया कि युवा अगर केवल तीन दिनों के लिए स्मार्ट फोन से दूर हो जाएं तो उनके ब्रेन की एक्टिवटीज में महत्वपूर्ण बदलाव देखे जा सकते हैं.
यह शोध 18 से 30 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों पर केंद्रित था. ये वो आयु वर्ग है जो स्मार्टफोन का सबसे अधिक उपयोग करता है. शोधकर्ताओं का उद्देश्य यह समझना था कि स्मार्टफोन के लगातार उपयोग से मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर सिस्टम पर क्या असर पड़ता है. खासकर वो न्यूरोट्रांसमीटर जो ब्रेन में इनाम (रिवार्ड) और आवेग नियंत्रण (इंपल्स कंट्रोल) से जुड़े हैं.
इसके लिए उन्होंने 72 घंटे (तीन दिन) तक स्मार्टफोन के उपयोग को सीमित करने के बाद मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तनों को ट्रैक किया. शोध में एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) स्कैन और मनोवैज्ञानिक आकलन का उपयोग किया गया. अध्ययन में शामिल युवाओं को तीन दिनों तक अपने स्मार्टफोन का उपयोग न्यूनतम करने के लिए कहा गया. यानि वो केवल जरूरी फोन लें या कॉल करें और बहुत जरूरी संदेश ही भेजें. इस अवधि के पहले और बाद में उनके मस्तिष्क की स्कैनिंग की गई ताकि तुलनात्मक परिणाम मिल सकें.
ब्रेन नया स्ट्रक्चर बना लेता है
केवल तीन दिनों की अवधि में मस्तिष्क की गतिविधियों में बदलाव देखा गया, खासकर उन क्षेत्रों में जो न्यूरोट्रांसमीटर सिस्टम से जुड़े हैं. निष्कर्षों से पता चला कि स्मार्टफोन से दूरी बनाने से मस्तिष्क में संरचनात्मक बदलाव हो सकते हैं. लगातार स्मार्टफोन उपयोग हमारी तत्काल संतुष्टि (इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन) की चाहत को बढ़ाता है और इससे दूरी बनाना मस्तिष्क को फिर से अलग तरीके से काम करने का मौका देता है. ब्रेन अपना नया स्ट्रक्चर बना लेता है.
मस्तिष्क पर प्रभाव का विश्लेषण
स्मार्टफोन का उपयोग हमारी दिनचर्या में इतना घुलमिल गया है कि हम हर कुछ मिनट में नोटिफिकेशन चेक करते हैं, सोशल मीडिया स्क्रॉल करते हैं, या गेम खेलते हैं. यह व्यवहार डोपामाइन के स्तर को प्रभावित करता है, जो हमें हर बार कुछ नया देखने या करने पर “खुशी” का एहसास देता है. अध्ययन के अनुसार, जब यह चक्र टूटता है, यानी जब स्मार्टफोन से दूरी बनाई जाती है तो मस्तिष्क के इनाम और आवेग नियंत्रण से जुड़े क्षेत्र सामान्य स्थिति की ओर लौटने लगते हैं. इससे आत्म-नियंत्रण में सुधार और व्यसन जैसी प्रवृत्तियों में कमी की संभावना बढ़ सकती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (image generated by leonardo ai)
ये ब्रेन के लिए फायदेमंद
आज के युवा, जिन्हें “डिजिटल नेटिव्स” कहा जाता है, स्मार्टफोन के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते. शोध से पता चलता है कि थोड़ा सा ब्रेक भी उनके मानसिक स्वास्थ्य और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के लिए फायदेमंद हो सकता है. ये निष्कर्ष माता-पिता, शिक्षकों और पॉलिसी मेकर्स को भी सोचने के लिए मजबूत कर सकता है कि कैसे स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करने के उपायों पर विचार किया जा सकता है.
दिमाग को चाहिए थोड़ा आराम
ये शोध हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि तकनीक हमारे जीवन को आसान बनाती है, लेकिन उसकी अति हमारे मस्तिष्क को बदल भी सकती है। स्मार्टफोन से थोड़ी दूरी बनाकर हम न केवल अपने दिमाग को आराम दे सकते हैं बल्कि अपनी आत्म-जागरूकता और नियंत्रण को भी मजबूत कर सकते हैं.
ब्रेन को रिसेट करता है
स्मार्टफोन का लगातार इस्तेमाल, जैसे नोटिफिकेशन चेक करना, सोशल मीडिया स्क्रॉल करना, या गेम खेलना, हमारे मस्तिष्क में डोपामाइन (खुशी का रसायन) को बार-बार रिलीज करता है. यह हमें तुरंत संतुष्टि की आदत डाल देता है. जब हम फोन से दूर रहते हैं, तो यह सिस्टम “ओवरड्राइव” से बाहर आता है और सामान्य स्थिति में लौटता है. अध्ययन में पाया गया कि न्यूरोट्रांसमीटर सिस्टम, जो इनाम से जुड़ा है, उसमें बदलाव होता है, जिससे मस्तिष्क को रीसेट होने का मौका मिलता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (image generated by leonardo ai)
तब सेल्फ कंट्रोल बेहतर हो जाता है
फोन की हर घंटी या वाइब्रेशन हमें उसे तुरंत चेक करने के लिए मजबूर करती है. यह आवेग (इंपल्स) को बढ़ाता है और आत्म-नियंत्रण को कमजोर करता है. तीन दिन का ब्रेक लेने से मस्तिष्क के वे हिस्से, जो आवेग नियंत्रण के लिए जिम्मेदार हैं, बेहतर तरीके से काम करने लगते हैं. इसका मतलब है कि आप अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत कर सकते हैं. हर छोटी चीज पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत कम महसूस करते हैं.
ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है
स्मार्टफोन हमें मल्टीटास्किंग की ओर धकेलता है, जिससे हमारा ध्यान बंट जाता है. लगातार स्क्रीन पर रहने से मस्तिष्क को एक काम पर फोकस करना मुश्किल हो जाता है. फोन से दूरी बनाने पर दिमाग को शांति मिलती है. गहरे सोच-विचार या लंबे समय तक ध्यान देने की क्षमता को फिर से हासिल की जा सकती है.
तनाव और चिंता में कमी
सोशल मीडिया, न्यूज, और मैसेज का लगातार प्रवाह तनाव और चिंता को बढ़ा सकता है. स्मार्टफोन से ब्रेक लेने पर मस्तिष्क को यह सब प्रोसेस करने से राहत मिलती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है. शोध में मनोवैज्ञानिक आकलन भी शामिल थे, जो इस बात का संकेत देते हैं कि ऐसा ब्रेक भावनात्मक स्थिति को बेहतर कर सकता है.
ब्रेन स्ट्रक्चर में पॉजिटिव बदलाव
अध्ययन में एमआरआई स्कैन से पता चला कि मस्तिष्क की गतिविधियों के साथ-साथ उसकी संरचना में भी सूक्ष्म बदलाव संभव हैं. यह इस बात का सबूत है कि कम समय के लिए भी स्मार्टफोन से दूर रहना मस्तिष्क को रेस्टोर करने में मदद कर सकता है, जो लंबे समय तक इसके काम करने के तरीके को बेहतर बना सकता है.
क्या यह हमेशा के लिए काम करता है?
यह जरूरी नहीं कि तीन दिन का ब्रेक आपके मस्तिष्क को हमेशा के लिए बदल दे. अगर आप फिर से पुरानी आदतों में लौट जाते हैं, तो प्रभाव धीरे-धीरे कम हो सकता है. अगर नियमित रूप से ऐसे ब्रेक लें जैसे हर हफ्ते कुछ घंटे या महीने में कुछ दिन, तो ये मस्तिष्क को स्वस्थ और संतुलित रखने में मदद कर सकता है.
स्मार्टफोन से दूर रहने से ब्रेन गतिविधियां बेहतर हो सकती हैं. ये आपकी एकाग्रता, आत्म-नियंत्रण, और मानसिक शांति को बढ़ा सकता है. यह एक तरह का “डिजिटल डिटॉक्स” है जो मस्तिष्क को ओवरलोड से बचाता है.
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
March 10, 2025, 17:59 IST
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