All the states of the country will get training in Amarkantak | अमरकंटक में देश के सभी राज्यों को मिलेगी ट्रेनिंग: केंद्र सरकार से एग्रीमेंट के बाद एक्सीलेंस सेंटर के रूप में करेगा काम – Bhopal News

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पेसा एक्ट को लेकर भारत सरकार, एमपी सरकार और ट्राइबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक के बीच एग्रीमेंट हुआ।
प्रदेश के ट्राइबल विश्वविद्यालय अमरकंटक में अब देश के उन सभी राज्यों के लोगों को ट्रेनिंग दी जा सकेगी, जहां आदिवासियों के उत्थान के लिए पेसा एक्ट लागू है। इन राज्यों में मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्रप्रदेश,
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एमपी में पेसा एक्ट के जरिए 8 हजार से अधिक विवादों का निराकरण चौपाल के माध्यम से किया जा चुका है और इसके लिए थाना, कचहरी के चक्कर काटने से लोगों को निजात मिली है।
जनजातीय समुदाय ने प्रदेश में अब तक लगभग 8 हजार से अधिक विवाद के प्रकरणों का चौपाल के माध्यम से निराकरण कर मिसाल पेश की है। इसमें दो भाइयों के बीच, पति-पत्नी, पिता-पुत्र सहित जमीन संबंधी विवाद शामिल हैं।
जनजातीय समुदाय के लोगों को छोटे-छोटे विवाद में पुलिस थाने के चक्कर न लगाने पड़ें, वे आपस में बैठकर ही मामले सुलझाएं और उनकी परंपरा-कला- संस्कृति की भी रक्षा हो सके। इसके लिए प्रदेश सरकार ने पेसा अधिनियम लागू किया है।
जानिए एमपी में पेसा समितियों के बारे में
पेसा अधिनियम में मध्यप्रदेश में तीन प्रकार की समितियां काम कर रही है। इसमें शांति और विवाद निवारण समिति, सहयोगिनी मातृ समिति और वन संसाधन योजना एवं नियंत्रण समिति शामिल हैं।
शांति और विवाद निवारण समिति की संख्या 11 हजार 639 है।
वन संसाधन योजना और नियंत्रण समिति की संख्या 11 हजार 331 है। सहयोगिनी मातृ निवारण समिति की संख्या 21 हजार 887 है।
20 जिले, 88 ब्लॉक, 5133 ग्राम पंचायतों में है पेसा अधिनियम
- प्रदेश के 20 आदिवासी बाहुल्य जिलों के 88 विकासखंड की 5133 ग्राम पंचायतों के 11 हजार 596 ग्रामों में पेसा एक्ट लागू है।
- वर्तमान में 4850 पेसा मोबलाइजर कार्य कर रहे हैं।
- पेसा कानून के लागू होने के बाद राज्य में अब तक 11 हजार 538 खाते खोले गए हैं।
पेसा एक्ट वाले क्षेत्रों में ऐसे विवाद निपटा रहीं समितियां
जिन जिलों में पेसा एक्ट लागू किया गया है, वहां साधारण विवाद समितियों के माध्यम से निपटाए जा रहे हैं। ऐसे विवादों में जिन्हें शामिल किया गया है, उसमें दो भाइयों के बीच विवाद, पति-पत्नी, पिता-पुत्र सहित जमीन संबंधी विवाद शामिल हैं।
लोगों को छोटे-छोटे विवाद में पुलिस थाने के चक्कर न लगाने पड़ें, वे आपस में बैठकर ही मामले की सुलझाएं और उनकी परंपरा-कला- संस्कृति की भी रक्षा हो सके, इस पर फोकस किया जा रहा है।
केंद्र के अफसरों ने की सराहना, ट्राई पार्टी एग्रीमेंट हुआ
एमपी में पेसा एक्ट के क्रियान्वयन की केंद्र के अफसरों ने सराहना की है। इसी के चलते पिछले दिनों पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार के सचिव विवेक भारद्वाज ने एमपी सरकार और ट्राइबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक के बीच एग्रीमेंट के दौरान कहा कि यह त्रिपक्षीय समझौता अनुसूचित जनजाति वर्ग के उत्थान के लिए महत्पूर्ण कदम है।
विवादों का समाधान करने की जो प्रक्रिया है, उसे बाकी लोगों को भी सीखने की जरूरत है। भारद्वाज ने कहा कि पेसा कानून पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय यूनिवर्सिटी अमरकंटक में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए जो समझौता हुआ है, उस समझौते से मध्यप्रदेश को ही नही सभी 10 पेसा राज्यों को भी फायदा होगा।
पेसा (अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996) एक्ट के लिए देश में पहली बार ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना की जा रही है। इसके पहले राज्य स्तर पर इसकी ट्रेनिंग कराई जाती थी।
जनजातीय पंचायतों में आदिवासियों के अधिकारों को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने पेसा एक्ट लागू किया है। जनजातीय समुदाय में नेतृत्व क्षमता का निर्माण किया जाएगा। पारंपरिक कानूनों का दस्तावेजीकरण किया जाएगा। साथ ही शोध कार्य भी होगा।
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