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मोहन भागवत ने शिक्षा सम्मेलन में शिक्षा के महत्व और भारत की वैश्विक भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि शिक्षा आत्मनिर्भर बनाए और भारत को ‘भारत’ ही कहना चाहिए. भारत शांति का संदेशवाहक बनेगा.
मोहन भागवन ने अपनी बात ही. (File Photo)हाइलाइट्स
- भारत शांति का संदेशवाहक बनेगा: मोहन भागवत
- शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाए: भागवत
- भारत को हमेशा ‘भारत’ ही कहना चाहिए: भागवत
भगवान या राक्षस बनने का विकल्प…
भागवत ने मानव जीवन की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मनुष्य के पास भगवान या राक्षस बनने का विकल्प है. राक्षस बनकर वह अपनी और दूसरों की जिंदगी बर्बाद करता है, जबकि भगवान बनकर वह स्वयं और समाज का उत्थान करता है. शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को सही दिशा में ले जाना है, ताकि वह भूखा न रहे और आत्मनिर्भर बन सके. उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा केवल आजीविका तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह व्यक्ति को नैतिक और सांस्कृतिक रूप से भी सशक्त बनाए.
भारत युद्ध का कारण नहीं बनेगा…
मोहन भागवन ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने की बात कही. भागवत ने स्पष्ट किया कि विकसित भारत और विश्व गुरु भारत कभी युद्ध का कारण नहीं बनेगा, बल्कि यह विश्व में शांति और समृद्धि का संदेशवाहक होगा. भारत की यह पहचान उसकी शिक्षा प्रणाली और सांस्कृतिक मूल्यों से और मजबूत होगी. उनके इस संबोधन ने उपस्थित लोगों में शिक्षा और राष्ट्रीयता के प्रति नया उत्साह जगाया.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें
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