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Rajinder Da Dhaba Success Story- रजिंदर दा ढाबा की शुरुआत 1968 में रजिंदर शर्मा ने सफदरजंग बाजार में ₹500 से एक छोटे से फूड स्टॉल से की थी. ना कोई बड़ा फंड, ना कोई निवेशक. रजिंदर के पास था बस खाना बनाने का हु…और पढ़ें
रजिंदर दा ढाबा की शुरुआत 1968 में रजिंदर शर्मा ने की थी. हाइलाइट्स
- रजिंदर दा ढाबा की शुरुआत ₹500 से हुई थी.
- आज रजिंदर दा ढाबा का सालाना कारोबार ₹100 करोड़ है.
- शुद्ध देसी स्वाद ने रजिंदर दा ढाबा को हिट बनाया.
रजिंदर दा ढाबा की शुरुआत 1968 में रजिंदर शर्मा ने सफदरजंग बाजार में ₹500 से एक छोटे से फूड स्टॉल से की थी. ना कोई बड़ा फंड, ना कोई निवेशक. रजिंदर के पास था बस खाना बनाने का हुनर. उनके हाथ का खाना लोगों के दिलों में उतर गया. वे शुरुआत में वे केवल दो ही डिसेजए बटर चिकन और गलौटी कबाब बनाते थे. धीरे-धीरे उन्होंने एक-एक कर अपने मेन्यू में नई डिशेज जोड़ीं, लेकिन स्वाद और गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया.
तीन फॉर्मेट में चल रहा है रजिंदर दा ढाबा
बिजनेस स्टोरीज साझा करने वाले कंटेंट क्रिएटर रॉकी सग्गू कैपिटल ने रजिंदर दा ढाबा की कहानी शेयर की और बताया कि कैसे छोटा सा बिजनेस करोड़ों का बन गया. रॉकी का कहना है कि ना इंवेस्टर्स, ना ऐड, ना जोमैटो, फिर भी सिर्फ बटर चिकन और गलौटी कबाब बेचकर करोड़ों का एंपायर खड़ा कर दिया. रजिंदर दा ढाबा अब तीन फॉरमेट- रजिंदर दा ढाबा (Rajinder Da Dhaba), रजिंदर एक्सप्रेस (Rajinder Xpress) और आरडीएक्स रेस्टो एंड बार (RDX Resto and Bar) में काम कर रहा है.
सर्वे नहीं, ग्राहक से सीधा फीडबैक
फूड को नहीं बनने दिया फास्ट फूड
ग्राहकों का ऑर्डर कम टाइम पर पूरा हो, इसके लिए रजिंदर शर्मा ने कई रणनीतियां अपनाई. बैचेज में मैरिनेट करने से लेकर पहले से ही ग्रेवी तैयार रखने से ऑर्डर टाइम 20 मिनट से घटकर सिर्फ 2-3 मिनट रह गया. बैठने की जगह नहीं थी तो उन्होंने ‘कार डाइनिंग’ का कॉन्सेप्ट ही खड़ा कर दिया. कार डायनिंग का मतलब है आपका खाना आप अपनी कार में ही मंगवा सकते हो.
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