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57 पहले ₹500 लगाकर खोला था छोटा सा स्‍टॉल, आज सालाना ₹100 करोड़ कमाई, कैसे हिट हुआ रजिंदर दा ढाबा, जानिए

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Rajinder Da Dhaba Success Story- रजिंदर दा ढाबा की शुरुआत 1968 में रजिंदर शर्मा ने सफदरजंग बाजार में ₹500 से एक छोटे से फूड स्टॉल से की थी. ना कोई बड़ा फंड, ना कोई निवेशक. रजिंदर के पास था बस खाना बनाने का हु…और पढ़ें

57 पहले ₹500 लगाकर खोला था छोटा सा स्‍टॉल, आज सालाना ₹100 करोड़ कमाईरजिंदर दा ढाबा की शुरुआत 1968 में रजिंदर शर्मा ने की थी.

हाइलाइट्स

  • रजिंदर दा ढाबा की शुरुआत ₹500 से हुई थी.
  • आज रजिंदर दा ढाबा का सालाना कारोबार ₹100 करोड़ है.
  • शुद्ध देसी स्वाद ने रजिंदर दा ढाबा को हिट बनाया.
नई दिल्‍ली. न तो फूड डिलीवरी ऐप्स पर मौजूदगी, ना कोई डिजिटल एडवरटाइजिंग और ना सोशल मीडिया प्रमोशन. फिर भी दिल्ली के सफदरजंग इलाके में चल रहे ‘रजिंदर दा ढाबा’ का सालाना कारोबार ₹100 करोड़ से ऊपर है. और हां,  इस ढाबे में न बैठने की जगह है और न ही कोई आलीशान इंटीरियर. आप सोच रहे होंगे फिर ये इतनी कमाई कैसे करता है? कमाई का राज छुपा है वर्षों से कायम शुद्ध देसी स्वाद में,  जो हर उम्र के खाने के शौकीन को खींच लाता है. स्वाद ही इसकी पहचान है. इसी स्वाद को चखने को ग्राहक लाइन में लगते हैं. ऐसा नहीं है कि ‘रजिंदर दा ढाबा’ को कोई बड़ी पूंजी लगाकर शुरू किया गया था.

रजिंदर दा ढाबा की शुरुआत 1968 में रजिंदर शर्मा ने सफदरजंग बाजार में ₹500 से एक छोटे से फूड स्टॉल से की थी. ना कोई बड़ा फंड, ना कोई निवेशक. रजिंदर के पास था बस खाना बनाने का हुनर. उनके हाथ का खाना लोगों के दिलों में उतर गया. वे शुरुआत में वे केवल दो ही डिसेजए बटर चिकन और गलौटी कबाब बनाते थे. धीरे-धीरे उन्होंने एक-एक कर अपने मेन्यू में नई डिशेज जोड़ीं, लेकिन स्वाद और गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया.

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तीन फॉर्मेट में चल रहा है रजिंदर दा ढाबा

बिजनेस स्टोरीज साझा करने वाले कंटेंट क्रिएटर रॉकी सग्गू कैपिटल ने रजिंदर दा ढाबा की कहानी शेयर की और बताया कि कैसे छोटा सा बिजनेस करोड़ों का बन गया. रॉकी का कहना है कि ना इंवेस्टर्स, ना ऐड, ना जोमैटो, फिर भी सिर्फ बटर चिकन और गलौटी कबाब बेचकर करोड़ों का एंपायर खड़ा कर दिया. रजिंदर दा ढाबा अब तीन फॉरमेट- रजिंदर दा ढाबा (Rajinder Da Dhaba), रजिंदर एक्सप्रेस (Rajinder Xpress) और आरडीएक्स रेस्टो एंड बार (RDX Resto and Bar) में काम कर रहा है.

सर्वे नहीं, ग्राहक से सीधा फीडबैक

रजिंदर ने कभी मार्केटिंग सर्वे नहीं किया. ग्राहकों को क्‍या पसंद है और क्‍या नहीं, यह सीधा कस्‍टमर से ही पूछा. हर फीडबैक पर काम किया. नतीजा सबके सामने है.  उनके मुताबिक, अगर रेसिपी परफेक्ट हो, सर्विस तेज हो और ग्राहक संतुष्ट हो, तो आपको किसी ऐड की ज़रूरत नहीं. यह ढाबा आज जिस मुकाम पर है, उसके पीछे एक बड़ी सोच है – फूड को सिस्टमेटिक तरीके से बनाना, लेकिन स्वाद को पारंपरिक बनाए रखना.

फूड को नहीं बनने दिया फास्‍ट फूड

ग्राहकों का ऑर्डर कम टाइम पर पूरा हो, इसके लिए रजिंदर शर्मा ने कई रणनीतियां अपनाई. बैचेज में मैरिनेट करने से लेकर पहले से ही ग्रेवी तैयार रखने से ऑर्डर टाइम 20 मिनट से घटकर सिर्फ 2-3 मिनट रह गया. बैठने की जगह नहीं थी तो उन्‍होंने ‘कार डाइनिंग’ का कॉन्‍सेप्‍ट ही खड़ा कर दिया. कार डायनिंग का मतलब है आपका खाना आप अपनी कार में ही मंगवा सकते हो.

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