मध्यप्रदेश

Pench National Park:बघीरा और शेर खान की रखवाली का जिम्मा संभालेंगे पांच हाथी, कर्नाटक से मोगली लैंड पहुंचे – Five Elephants Will Take Care Of Guarding Bagheera And Sher Khan In Pench National Park


फाइल फोटो
– फोटो : सोशल मीडिया

ख़बर सुनें

सिवनी के पेंच नेशनल पार्क में शेरखान और बघीरा की सुरक्षा करने के लिए पांच हाथियों का दल कर्नाटक से मोगली लैंड पहुंच गया है, जिससे अब वन्य प्राणियों की सुरक्षा में वनकर्मियों को काफी सुविधा मिलेगी। नेशनल पार्क के डायरेक्टर रजनीश सिंह ने बताया कि कर्नाटक से पांच हाथी पेंच नेशनल पार्क में भेजे गए हैं, जिनके आने से अब वन्य प्राणियों के रेस्क्यू करने और लगातार गश्त करने में काफी मदद मिलेगी। रविवार को नेशनल पार्क में कर्नाटक से हाथियों का दल लगभग 1000 किलोमीटर का सफर कर पहुँचा है, जिनका यहां भव्य स्वागत किया गया। गौर किया जाए तो लंबे समय से मोगली लैंड में हाथियों की डिमांड की जा रही थी।

12 साल के इंतजार के बाद मिले हाथी
2010 से मध्यप्रदेश के छह टाइगर रिजर्व में हाथी लाने की योजना पर काम किया जा रहा है। पहले चरण में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में चार हाथी कर्नाटक से लाए जा चुके हैं। लेकिन पिछले 12 सालों से यह हाथी भेजने को लेकर प्रस्ताव अटका हुआ था लेकिन रास्ता साफ हुआ और लगभग 12 साल के लंबे इंतजार के बाद मोगली लैंड को पांच हाथी दिए गए हैं, जिससे अब वन परिक्षेत्र के अधिकारी भी उत्साहित है। 

दिलचस्प हैं हाथियों के नाम
पेंच पार्क में जो हाथी लाए गए है, जिनमें से एक हाथी का नाम जनरल करियप्पा है, तो दूसरे का नाम जनरल थिमैया है। दोनों हाथियों की उम्र  आठ-आठ साल है। इसके अलावा तीन अन्य हाथियों में बाली (40), लावा (21), मारूति (20 ) शामिल हैं। बता दें कर्नाटक में जन्मे केएम (कोडांदेरा मदप्पा) करियप्पा भारत के पहले सेनाध्यक्ष थे, 15 जनवरी 1949 को उन्होंने थल सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी। इस दिन हर साल थल सेना (आर्मी डे) दिवस मनाया जाता है। वहीं जनरल एसके थिमैया 1957 से 1961 से भारत के सेनाध्यक्ष रहे।

पहले से पांच हाथी कर रहे हैं सुरक्षा
पेंच टाइगर रिजर्व में पहले से ही पांच हाथी मौजूद हैं। इसमें सबसे बुजुर्ग मादा हाथी सरस्वती, दो नर हाथी जंग बहादुर व युवा गणेशा शामिल हैं। इसके अलावा दो मादा हाथी शोरेन व दामिनी भी पेंच नेशनल पार्क में अपनी सेवा दे रहे है। ऐसे में अब पाँच नए हाथी आने से गश्त, रेस्क्यु में आसानी होगी।

विस्तार

सिवनी के पेंच नेशनल पार्क में शेरखान और बघीरा की सुरक्षा करने के लिए पांच हाथियों का दल कर्नाटक से मोगली लैंड पहुंच गया है, जिससे अब वन्य प्राणियों की सुरक्षा में वनकर्मियों को काफी सुविधा मिलेगी। नेशनल पार्क के डायरेक्टर रजनीश सिंह ने बताया कि कर्नाटक से पांच हाथी पेंच नेशनल पार्क में भेजे गए हैं, जिनके आने से अब वन्य प्राणियों के रेस्क्यू करने और लगातार गश्त करने में काफी मदद मिलेगी। रविवार को नेशनल पार्क में कर्नाटक से हाथियों का दल लगभग 1000 किलोमीटर का सफर कर पहुँचा है, जिनका यहां भव्य स्वागत किया गया। गौर किया जाए तो लंबे समय से मोगली लैंड में हाथियों की डिमांड की जा रही थी।

12 साल के इंतजार के बाद मिले हाथी

2010 से मध्यप्रदेश के छह टाइगर रिजर्व में हाथी लाने की योजना पर काम किया जा रहा है। पहले चरण में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में चार हाथी कर्नाटक से लाए जा चुके हैं। लेकिन पिछले 12 सालों से यह हाथी भेजने को लेकर प्रस्ताव अटका हुआ था लेकिन रास्ता साफ हुआ और लगभग 12 साल के लंबे इंतजार के बाद मोगली लैंड को पांच हाथी दिए गए हैं, जिससे अब वन परिक्षेत्र के अधिकारी भी उत्साहित है। 

दिलचस्प हैं हाथियों के नाम

पेंच पार्क में जो हाथी लाए गए है, जिनमें से एक हाथी का नाम जनरल करियप्पा है, तो दूसरे का नाम जनरल थिमैया है। दोनों हाथियों की उम्र  आठ-आठ साल है। इसके अलावा तीन अन्य हाथियों में बाली (40), लावा (21), मारूति (20 ) शामिल हैं। बता दें कर्नाटक में जन्मे केएम (कोडांदेरा मदप्पा) करियप्पा भारत के पहले सेनाध्यक्ष थे, 15 जनवरी 1949 को उन्होंने थल सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी। इस दिन हर साल थल सेना (आर्मी डे) दिवस मनाया जाता है। वहीं जनरल एसके थिमैया 1957 से 1961 से भारत के सेनाध्यक्ष रहे।

पहले से पांच हाथी कर रहे हैं सुरक्षा

पेंच टाइगर रिजर्व में पहले से ही पांच हाथी मौजूद हैं। इसमें सबसे बुजुर्ग मादा हाथी सरस्वती, दो नर हाथी जंग बहादुर व युवा गणेशा शामिल हैं। इसके अलावा दो मादा हाथी शोरेन व दामिनी भी पेंच नेशनल पार्क में अपनी सेवा दे रहे है। ऐसे में अब पाँच नए हाथी आने से गश्त, रेस्क्यु में आसानी होगी।




Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!