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ROHINGYA ISSUE: बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल की सीमा में बड़ी संख्या में रोहिंग्या समुदाय के लोगों की अवैध घुसपैठ होती है. ऐसे में उन पर नजर रखने के साथ ही पूछताछ करने के लिए रोहिंग्या भाषा को जानने वाले अधिकारिय…और पढ़ें
रोहिंग्या की रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कड़े कदमहाइलाइट्स
- कोलकाता IB में रोहिंग्या भाषा का ज्ञान जरूरी.
- देश भर में 4987 पोस्ट के लिए भर्ती निकाली गई है.
- रोहिंग्या घुसपैठ रोकने के लिए सरकार सक्रिय.
18 महीने में 1.5 लाख रोहिंग्या कॉक्स बाजार पहुंचे
बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है और लगातार रोहिंग्या का बांग्लादेश में आने का सिलसिला जारी है. पहले से ही बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित रिफ्यूजी कैंप में 10 लाख रिफ्यूजी रह रहे हैं. म्यांमार के अंदर जारी हिंसा के चलते बड़ी तेजी से विस्थापन हुआ है. इसमें 1.5 लाख रोहिंग्या पिछले 18 महीने के अंदर बांग्लादेश पहुंचे हैं. यूनाइटेड नेशन हाई कमिशनर फॉर रिफ्यूजी (UNHCR) की तरफ से एक बयान जारी किया गया. इस बयान में कहा गया कि म्यांमार के अंदर हिंसक टकराव के तेज़ होने और हालात बिगड़ने के चलते हज़ारों लोग सुरक्षा की तलाश में बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के भीड़भाड़ वाले शिविरों में पहुँच रहे हैं.2017 के बाद से बांग्लादेश में पहुँचने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों का यह सबसे बड़ा पलायन है.
भारत के लिए हो सकती है मुसीबत
भारत में बांग्लादेश के रास्ते रोहिंग्या ने घुसपैठ की है. रिपोर्ट के मुताबिक तकरीबन 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान बिना किसी दस्तावेज के शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं. इनमें से 10,000 के करीब जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं तो बाकी दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और बाकी हिस्सों में फैले हुए है. सरकार इनकी पहचान करने और उन्हें वापस भेजने के लिए कई धरपकड़ अभियान चला रही है. बांग्लादेश में यूनुस सरकार आने के बाद से भारत के लिए चुनौती और बढ़ गई है. यूनुस पाकिस्तान के ISI और जमात के हाथों में खेल रही है. दोनों ही भारत के खिलाफ साजिश रचने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. रिपोर्ट के मुताबिक जमात रोहिंग्या शरणार्थियों को आतंकी ट्रेनिंग भी दे रहा है. रक्षा विशेषज्ञ भी मानते है कि इतनी बड़ी संख्या में रोहिंग्या का बांग्लादेश में आना भारत के लिए परेशानी का सबब हो सकता है. क्योंकि इनका इस्तेमाल पाकिस्तान ISI और जमात भारत के खिलाफ कर सकते हैं, खास तौर पर नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में.
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