Home मध्यप्रदेश Nagdwari fair starts today in Pachmarhi | नागद्वारी यात्रा शुरू, 10 दिन...

Nagdwari fair starts today in Pachmarhi | नागद्वारी यात्रा शुरू, 10 दिन तक चलेगा मेला: गुफा में विराजित नागदेवता के दर्शन को पहुंच रहे श्रद्धालु; टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में आयोजन – narmadapuram (hoshangabad) News

39
0

[ad_1]

सिर पर भंडारे का सामान रखकर मजदूर ऊंचा पहाड़ चढ़ रहे है।

पचमढ़ी में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में स्थित प्राचीन नागद्वारी मंदिर के दर्शन के लिए 10 दिवसीय धार्मिक यात्रा शुक्रवार 19 जुलाई से शुरू हो गई है। यह यात्रा 29 जुलाई तक चलेगी। नागपंचमी से पूर्व हर साल सावन महीने में लगने वाले इस मेले में न

.

नागद्वारी मंदिर सतपुड़ा के घने जंगलों और ऊंचे-नीचे पहाड़ी रास्तों के बीच स्थित है। यह मंदिर कोर फॉरेस्ट क्षेत्र में होने के कारण साल में सिर्फ 10 दिन के लिए दर्शन के लिए खोला जाता है। श्रद्धालु नागफनी से यात्रा शुरू कर काजरी होते हुए नागद्वार तक पहुंचते हैं। कठिन पैदल यात्रा के बावजूद हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

25 स्थानों पर भंडारे, दो दिन पहले से लग गए पंडाल काजरी से नागद्वार मंदिर तक करीब 25 स्थानों पर छोटे-बड़े भंडारे लगाए गए हैं। पंडाल दो दिन पहले से ही लगने शुरू हो गए थे। नागफनी से लेकर काजरी तक भी जगह-जगह श्रद्धालुओं के लिए भोजन और विश्राम की व्यवस्था की गई है।

गुफा में विराजित प्राचीन नागद्वार स्वामी पद्मशेष महाराज।

गुफा में विराजित प्राचीन नागद्वार स्वामी पद्मशेष महाराज।

700 से ज्यादा जवान तैनात, प्रशासन मुस्तैद यात्रा के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था के लिए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं। मेले के दौरान 590 पुलिसकर्मी, 130 होमगार्ड, 50 आपदा मित्र और 12 SDRF के जवान तैनात किए गए हैं। इनके साथ SDM, SDOP, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, RI और पटवारी स्तर के अधिकारी लगातार मौजूद रहेंगे।

गुफा में विराजते हैं पद्मशेष महाराज नागद्वार स्वामी सेवा ट्रस्ट नागपुर के अध्यक्ष और मंदिर के पुजारी उमाकांत झाड़े ने बताया, “करीब 50 साल से मैं इस यात्रा से जुड़ा हूं। नागद्वार गुफा जिस पहाड़ पर है, वह शेषनाग के आकार का है। गुफा फन की ओर खुलती है, जिसमें पद्मशेष महाराज की मूर्ति स्थापित है। तेज बारिश में गुफा के अंदर से जलधारा भी निकलती है।”

गुफा के पीछे ‘दादाजी धूनीवाले’ का स्थान भी है। झाड़े ने बताया कि, “यह मेला पूरी तरह चमत्कारी और सुरक्षित होता है। इतनी कठिन यात्रा होने के बावजूद कभी कोई बड़ी दुर्घटना नहीं होती।”

शेष नाग आकर के पहाड़ के भीतर स्थित नागद्वार मंदिर।

शेष नाग आकर के पहाड़ के भीतर स्थित नागद्वार मंदिर।

महादेव को दामाद मानते हैं श्रद्धालु पचमढ़ी के चौरागढ़ महादेव, बड़े महादेव और नागद्वार स्वामी के दर्शन के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव इस क्षेत्र में दामाद के रूप में पूजे जाते हैं। पुजारी झाड़े ने बताया, “शिवजी ने जब सती की आहुति के बाद वन-वन भटकना शुरू किया, तब वे इस क्षेत्र (पचमढ़ी) में पहुंचे।

चौरागढ़ में त्रिशूल, जटाशंकर में जटा, नंदीगढ़ में नंदी, निशानगढ़ में निशान और नागद्वार में नाग छोड़कर महादेव मंदिर में विराजमान हो गए। बाद में माता पार्वती ने गिरजा नाम से आदिवासी भील समाज में जन्म लिया और उनका विवाह शिव से हुआ। तभी से यहां उन्हें दामाद मानकर पूजा जाता है।” श्रद्धालु यात्रा के दौरान “भोला भगत”, “सेवा भगत”, “हर हर महादेव”, “गिरजा पार्वती” और “छोरा छत्रपति” जैसे जयकारे लगाते हैं।

उमाकांत झाड़े, अध्यक्ष, पुजारी।

उमाकांत झाड़े, अध्यक्ष, पुजारी।

प्रशासन की अपील- नियमों का पालन करें जिला प्रशासन और महादेव मेला समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि यात्रा के दौरान प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करें और जंगल क्षेत्र में कचरा न फैलाएं। यात्रा की पूरी निगरानी प्रशासन कर रहा है ताकि सभी को सुरक्षित और शांतिपूर्ण दर्शन का अनुभव मिल सके।

देखिए तस्वीरें…

काजरी से नागद्वार जाने वाला पहला पड़ाव गणेशगिरि। जहां दर्शन करने की मान्यता है।

काजरी से नागद्वार जाने वाला पहला पड़ाव गणेशगिरि। जहां दर्शन करने की मान्यता है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here