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Yemeni conflict: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया जिस यमन देश की जेल में बंद है वो गृहयुद्ध, भुखमरी और गरीबी से जूझ रहा है. इसकी राजधानी सना पर हूती विद्रोहियों का नियंत्रण है.
हूतियों को ईरान का खुला समर्थन हासिल है और उनका यमन के कई बड़े शहरों पर कब्जा है.
हाइलाइट्स
- भारतीय नर्स निमिषा यमन की जेल में बंद हैं
- यमन गृहयुद्ध, भुखमरी और गरीबी से जूझ रहा है
- हूती विद्रोहियों का राजधानी सना पर नियंत्रण है
क्या है निमिषा प्रिया का मामला
निमिषा प्रिया केरल की एक नर्स हैं, जो 2008 में यमन गई थीं. वहां उन्होंने एक क्लिनिक खोला जिसके लिए यमनी कानून के अनुसार एक स्थानीय साझेदार की आवश्यकता थी. निमिषा पर अपने यमनी बिजनेस पार्टनर, तलाल एब्दो महदी की हत्या का आरोप लगा. आरोप के अनुसार उन्होंने महदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया था ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस पा सकें. लेकिन इंजेक्शन के ओवरडोज के कारण महदी की मौत हो गई. इस मामले में निमिषा को 2017 में गिरफ्तार किया गया था और 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. नवंबर 2023 में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने उनकी अपील को खारिज कर दिया था. उनकी फांसी की तारीख 16 जुलाई 2025 तय की गई थी. भारत सरकार की पहल और राजनयिक प्रयासों के बाद फिलहाल टाल दिया गया है.
यमन में चल रहा है गृहयुद्ध
यमन 2014 से गृहयुद्ध का सामना कर रहा है. यह संघर्ष मुख्य रूप से दो प्रमुख गुटों के बीच है. यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार और हूती विद्रोही आंदोलन. सरकार को (जिसे सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का समर्थन प्राप्त है. हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है. हूती यमन का एक शिया जैदी मिलिशिया समूह है. इस समूह का गठन 1990 के दशक में हुसैन अल-हूती ने किया था. वे खुद को ‘अंसार अल्लाह’ (ईश्वर के साथी) कहते हैं. हूती विद्रोह की जड़ें यमन में लंबे समय से चली आ रही गरीबी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक असमानता में हैं. 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह को सत्ता से हटाए जाने के बाद हूतियों ने राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठाया. उन्होंने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया और सरकार को दक्षिण की ओर भागने पर मजबूर कर दिया.
राजधानी सना पर हूतियों का कब्जा
आज, हूती यमन के उत्तरी हिस्से और राजधानी सना सहित एक बड़े भू-भाग पर नियंत्रण रखते हैं. इस क्षेत्र में वे अपनी सरकार चलाते हैं, टैक्स वसूलते हैं और अपनी मुद्रा भी छापते हैं. यही वजह है कि जिस जेल में निमिषा प्रिया बंद हैं वह भी हूतियों के नियंत्रण में है. यमन का गृहयुद्ध एक क्षेत्रीय संघर्ष बन गया है, जिसमें सऊदी अरब और ईरान एक दूसरे के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर लड़ रहे हैं. हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में जहाजों पर भी हमले किए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार पर असर पड़ा है. देश में आधी से भी कम स्वास्थ्य सेवाएं काम कर रही हैं. कई जिलों में डॉक्टर नहीं हैं. लाखों लोग बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं.
सबसे पुराने शहरों में से एक का घर
आप जानते हैं कि यमन दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे शहरों में से एक, सना का घर है. यह शहर देश की राजधानी और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है. यह शहर 2,500 साल से भी ज्यादा पुराना है. सना का पुराना शहर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए यूनेस्को की सूची में शामिल है. यहां की बहुमंजिला इमारतें सफेद जिप्सम के जटिल ज्यामितीय पैटर्न से सजी हैं. किंवदंती है कि इस शहर की स्थापना नूह के पुत्र शेम ने की थी, जो इसके पौराणिक महत्व को और बढ़ा देता है.
रीति-रिवाजों को संजोये हैं देशवासी
2014 से चले आ रहे गृहयुद्ध और संघर्षों ने देश की प्राकृतिक सुंदरता को गहराई से प्रभावित किया है. हालांकि, विपरीत परिस्थितियों के बावजूद यमन के लोग अपने रीति-रिवाजों, वास्तुकला और व्यंजनों को संरक्षित करना जारी रखे हुए हैं. सना और शिबाम (एक अन्य यूनेस्को स्थल) जैसे विरासत स्थलों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास जारी हैं. अपने समृद्ध इतिहास, सांस्कृतिक विरासत और जैव विविधता के साथ यमन मध्य पूर्व का एक सच्चा खजाना है.
पौराणिक महत्व भी है सना का
यमन दुनिया के सबसे पुराने बसे शहरों में से एक सना का घर है. यह शहर देश की राजधानी और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है. यह शहर 2,500 साल से भी ज्यादा पुराना है. सना का पुराना शहर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए यूनेस्को की सूची में शामिल है. यहां की बहुमंजिला इमारतें सफेद जिप्सम के जटिल ज्यामितीय पैटर्न से सजी हैं. किंवदंती है कि इस शहर की स्थापना नूह के पुत्र शेम ने की थी जो इसके पौराणिक महत्व को और बढ़ा देता है.
यमन का मोचा कॉफी से संबंध
बहुत कम लोग इस तथ्य से वाकिफ होंगे कि यमन ने कॉफी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. लाल सागर तट पर स्थित बंदरगाह शहर मोचा (अल-मखा) 15वीं शताब्दी में कॉफ़ी व्यापार का केंद्र हुआ करता था. ‘मोचा’ शब्द अब लोकप्रिय चॉकलेट-स्वाद वाले कॉफी पेय से जुड़ा है. यमन के लोग कॉफी बनाने वाले पहले लोगों में से थे. देश की अनूठी ड्राई प्रोसेसिंग पद्धति अब विश्व प्रसिद्ध है.
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