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अशोकनगर में वन भूमि को लेकर हुए विवाद में हुई मारपीट का बुधवार को विरोध प्रदर्शन किया गया, रैली निकाली। चंदेरी के सिरसोद गांव से आदिवासियों ने एसडीएम बृज बिहारी लाल श्रीवास्तव को ज्ञापन देकर उन पर हुई FIR रद्द कराने की मांग की।
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साथ ही वन अधिकार पट्टे, पीड़ित परिवारों को 5-5 लाख रुपये मुआवजा, दोषियों की गिरफ्तारी और आदिवासी परिवारों को शस्त्र लाइसेंस देने की मांग की।
आदिवासी समुदाय का आरोप है कि दबंगों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। इसी कारण प्रशासन उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रहा है। मांगों में ग्वालियर-चंबल संभाग में पांचवीं अनुसूची लागू करने और चंदेरी विधानसभा को एसटी आरक्षित सीट बनाने की मांग भी शामिल है।
सिरसोद, केसरपुर, सतपैया समेत कई गांवों के आदिवासी वर्षों से इन दबंगों द्वारा शोषण के शिकार हो रहे हैं। सहरिया समाज ने मध्यप्रदेश शासन से आग्रह किया है कि आदिवासी समुदाय पर हो रहे अत्याचारों पर तत्काल रोक लगाई जाए, दोषियों को कड़ी सजा दी जाए और पीड़ितों को न्याय दिलाया जाए।

आदिवासियों ने रैली निकालकर विरोध किया।
29 जून को हुआ था विवाद अशोकनगर की चंदेरी तहसील के सिरसोद गांव में 29 जून को आदिवासी सहरिया समाज के साथ हिंसक घटना सामने आई। गांव के 25-30 यादव समुदाय के लोग पांच ट्रैक्टरों के साथ आदिवासी बस्ती में पहुंचे। उन्होंने आदिवासी परिवारों की झोपड़ियों में आग लगा दी। साथ ही महिलाओं, पुरुषों और बच्चों पर लाठियों से हमला किया।
हमले में एक महिला का हाथ टूटा। एक अन्य महिला की उंगली काट दी गई। तीसरी महिला की कमर में गंभीर चोट आई। एक युवक का पैर तोड़ा गया। कई अन्य लोग भी घायल हुए।
यह विवाद 30 वर्षों से चल रहा वन भूमि का मामला है। आदिवासी समुदाय इस भूमि पर खेती कर रहा था। 8 साल पहले यादव समुदाय ने इस पर कब्जा कर लिया था। पूर्व विधायक गोपाल सिंह चोहान की मध्यस्थता से आदिवासियों को जमीन वापस मिली थी।

पीड़ित आदिवासियों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की गई।
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