[ad_1]
अब सबसे पहले ये जानते हैं कि अगर तापमान 1000 डिग्री सेंटीग्रेड से 2000 सेंटीग्रेड के बीच हो जाता है तो क्या होता है.
– ये स्थिति बहुत तेज और विनाशकारी आग का संकेत देती है.
– लकड़ी, प्लास्टिक, कपड़ा और अधिकांश जैविक पदार्थ तुरंत जलकर राख हो जाते हैं.
– धातुएं पिघलने लगती हैं, मनुष्य के लिए इसके कुछ सेकेंड का संपर्क भी बहुत जानलेवा होता है
– मतलब ऐसी स्थिति में ना तो यान बचेगा और ना ही उसके अंदर बैठे लोग
क्यों लगती है आग
तब तापमान कितना ज्यादा हो जाता है
इतनी जबरदस्त आग में कैसे होता है बचाव
यान को इतनी जबरदस्त आग और गर्मी से बचाने के लिए इसकी बाहरी परत में एक विशेष प्रकार की हीट शील्ड यानि एक प्रोटेक्शन सिस्टम लगा होता है, जिसे पिका-एक्स (PICA-X यानि Phenolic Impregnated Carbon Ablator) कहते हैं. ये वो पदार्थ होता है जो गर्मी से पिघलता और जलता है. लेकिन इस पिघलने और जलने के दौरान ये अपनी सतह को धीरे-धीरे हटाता है, जिससे यान के अंदर का तापमान सुरक्षित स्तर पर बना रहता है. अंदर कुछ भी नहीं बिगड़ता है.
स्पेस से लौटे क्रू ड्रैगन कैप्सूल की ऊपरी सतह जली हुई नजर आ रही है, दरअसल इसकी वजह यान की ऊपरी सतह पर लगी हॉट शील्ड का जलकर निकल जाना है, जिसकी वजह से ये सुरक्षित रहता है.
इसी वजह से ये धरती पर जला हुआ उतरता है
खास कोण से वायुमंडल में प्रवेश करता है
हालांकि यान में इससे भी ज्यादा गर्मी पैदा हो सकती है, इससे बचाव के लिए कैप्सूल की गति को कम करने के लिए डी-ऑर्बिट बर्न किया जाता है, जिसमें थ्रस्टर्स का उपयोग करके यान की गति को नियंत्रित किया जाता है. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि कैप्सूल सही कोण और गति से वायुमंडल में प्रवेश करे, जिससे घर्षण से उत्पन्न गर्मी को नियंत्रित किया जा सके. शुभांशु शुक्ला के विमान ने भी 14 जुलाई, 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से अलग होने के बाद इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया.
स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल “ग्रेस” कैलिफोर्निया के तट से दूर प्रशांत महासागर में उतरा. (image credit- spaceX)
जब बाहर आग लगी होती है तो अंदर क्या होता है
PICA-X हीट शील्ड और यान के इंसुलेशन की वजह से तब अंदर का तापमान सिर्फ़ 25°C से 30°C तक ही रहता है. कैप्सूल के अंदर बैठे अंतरिक्षयात्री एकदम सुरक्षित और आरामदायक तापमान में रहते हैं. उसकी वजह ये है कि एक तो हाट शील्ड आग के बाद खुद धीरे धीरे अपनी सतह को हटा देती है. फिर इसके नीचे कई परतों वाला थर्मल इंसुलेशन सिस्टम होता है, जो बची-खुची गर्मी को अंदर आने से रोकता है.अंदर बैठे एस्ट्रोनॉट्स को पता तक नहीं चलता.
तो इस यान पर फिर चढ़ेगी हाट शील्ड
जब यान पृथ्वी से अंतरिक्ष में जाता है तो आग क्यों नहीं लगती
तब रॉकेट धीरे-धीरे स्पीड पकड़ता है. लांच के शुरुआती सेकंड में वायुमंडल घना होता है, लेकिन यान की स्पीड कम होती है. जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, वायुमंडल पतला होता जाता है और रॉकेट की स्पीड बढ़ती है.
[ad_2]
Source link


